मामले का परिचय
यह मामला पटना उच्च न्यायालय में दायर सिविल रिट याचिका संख्या 6385/2020 से संबंधित है, जिसे याचिकाकर्ता फैयाज अहमद द्वारा बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ दायर किया गया था।
याचिकाकर्ता का आरोप था कि 17 मई 1996 से 30 नवंबर 1998 तक का उनका वेतन बकाया था, जिसे 20 साल बाद 02 नवंबर 2018 को भुगतान किया गया। उन्होंने इसके लिए 12% वार्षिक ब्याज की मांग की थी, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया था।
मामले की मुख्य बातें
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याचिकाकर्ता की मांग:
- 1996 से 1998 तक का वेतन बकाया ₹3,00,274/- का भुगतान हुआ, लेकिन बहुत देर से।
- इस पर 12% वार्षिक ब्याज देने का अनुरोध किया गया।
- उनका तर्क था कि न्यायालय ने पहले ही आदेश दिया था कि यह वेतन दिया जाए, लेकिन सरकार ने जानबूझकर इसे देरी से चुकाया।
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सरकारी पक्ष:
- सरकार ने दावा किया कि वित्तीय नियमों में वेतन पर ब्याज देने का कोई प्रावधान नहीं है।
- सरकार के अनुसार, इस मामले में कोई अन्याय नहीं हुआ है, और याचिकाकर्ता को ब्याज नहीं मिलना चाहिए।
न्यायालय का अवलोकन और फैसला
न्यायालय ने सरकार के तर्कों को खारिज कर दिया और कहा कि:
- जब किसी कर्मचारी का वेतन इतने लंबे समय तक रोका जाता है, तो उसे ब्याज सहित भुगतान मिलना चाहिए।
- याचिकाकर्ता का वेतन 1998 से 2018 तक बकाया रहा, और यह अत्यधिक देरी थी।
- विजय एल. मेहरोत्रा बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2001) 9 SCC 687 के मामले में उच्चतम न्यायालय ने भी निर्णय दिया था कि वेतन में देरी होने पर ब्याज मिलना चाहिए।
अंतिम निर्णय
- ब्याज: न्यायालय ने 8% वार्षिक ब्याज देने का आदेश दिया।
- समय सीमा: यह ब्याज तीन महीने के भीतर भुगतान किया जाना चाहिए।
- अतिरिक्त हर्जाना: यदि समय पर भुगतान नहीं किया गया तो सरकार को ₹25,000/- का अतिरिक्त जुर्माना भी देना होगा।
इस फैसले का प्रभाव
- यह निर्णय उन कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनका वेतन बिना किसी वैध कारण के वर्षों तक रोका जाता है।
- सरकारी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वेतन समय पर मिले, अन्यथा उन्हें ब्याज और जुर्माने का भुगतान करना पड़ेगा।
- यह फैसला उन लोगों को भी प्रोत्साहित करता है, जो अपने वेतन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, कि वे न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
निष्कर्ष
पटना उच्च न्यायालय का यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह बताता है कि सरकार वेतन बकाया को अनिश्चितकाल तक रोककर कर्मचारियों को आर्थिक रूप से नुकसान नहीं पहुंचा सकती।
पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjNjM4NSMyMDIwIzEjTg==-pJOZ6jE5dgM=