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“सेवानिवृत्ति लाभ में देरी पर न्याय: 17 साल बाद मिला इंसाफ”

 

                                                                



मामला: शिव शंकर लाल बनाम बिहार राज्य और अन्य

न्यायालय: पटना उच्च न्यायालय
मामला संख्या: सिविल रिट अधिकारिता मामला संख्या 18813/2017
तारीख: 17 अक्टूबर, 2019
न्यायाधीश: माननीय श्री न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह

मामले की पृष्ठभूमि:
शिव शंकर लाल, जो देहरी डालमियानगर नगरपालिका में मुख्य लिपिक-सह-लेखाकार के पद पर कार्यरत थे, 1 फरवरी 1997 को सेवानिवृत्त हुए। उनके सेवानिवृत्ति के बाद उनके विभिन्न सेवानिवृत्ति लाभों (जैसे कि ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण, और जीपीएफ का अंतर) के भुगतान में देरी हुई। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उन्हें पुरानी वेतनमान पर आंशिक भुगतान किया गया, जबकि उनका वेतनमान 1 जनवरी 1996 से संशोधित किया गया था।

इस देरी और भुगतान में विसंगतियों के कारण याचिकाकर्ता ने पहले भी संबंधित अधिकारियों और न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, उनका मामला लंबी देरी के बावजूद केवल आंशिक रूप से हल हुआ। इस याचिका में उन्होंने देरी से किए गए भुगतान पर 18% वार्षिक ब्याज की मांग की।

याचिकाकर्ता की दलीलें:

  • सेवानिवृत्ति लाभ उनके अधिकार हैं, और उनके भुगतान में देरी गैर-कानूनी है।
  • याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय और अन्य मामलों में दिए गए निर्णयों का हवाला देते हुए ब्याज का दावा किया।

प्रतिवादी की दलीलें:

  • भुगतान में देरी फंड की कमी और राज्य सरकार द्वारा अनुदान में देरी के कारण हुई।
  • याचिकाकर्ता ने अपने दावे में 16 साल की देरी की, जो कि अनुचित है।

न्यायालय का अवलोकन:

  1. सेवानिवृत्ति लाभ किसी भी कर्मचारी का अधिकार है और इसमें देरी अनुचित है।
  2. इस मामले में, याचिकाकर्ता ने तुरंत कार्रवाई की जब उन्हें 2017 में बकाया राशि का भुगतान मिला।
  3. न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादियों की दलीलें सही नहीं हैं और भुगतान में 13 से 17 वर्षों की देरी अनुचित और अन्यायपूर्ण है।

निर्णय:

  • न्यायालय ने नगर परिषद को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को देरी से भुगतान की गई राशि पर 6% साधारण वार्षिक ब्याज का भुगतान करे।
  • यह भुगतान 12 सप्ताह के भीतर किया जाए।

न्यायालय की टिप्पणी:
इस देरी ने याचिकाकर्ता को अत्यधिक परेशान किया और न्यायालय ने प्रतिवादी पर किसी भी सहानुभूति की आवश्यकता नहीं मानी।

पूरा फैसला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMTg4MTMjMjAxNyMxI04=-reON7zWbShg=

Abhishek Kumar

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