पटना उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका का विवरण
मामला संख्या: सिविल रिट क्षेत्राधिकार मामला संख्या 1839/2015
याचिकाकर्ता: कैफुर रहमान (स्वर्गीय मतियुर रहमान के पुत्र), फुलवारीशरीफ, पटना
प्रतिवादीगण:
- बिहार राज्य (मुख्य सचिव के माध्यम से)
- प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार
- चिकित्सा शिक्षा निदेशक, बिहार सरकार
- भारत सरकार (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग)
- भारतीय चिकित्सा परिषद
- परीक्षा नियंत्रक, बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगी परीक्षा बोर्ड
याचिका का मुख्य उद्देश्य:
- याचिकाकर्ता ने बिहार राज्य से तीन प्रस्तावित मेडिकल कॉलेजों (पूर्णिया, समस्तीपुर और छपरा) में भारतीय चिकित्सा परिषद के मानकों के अनुसार आवश्यक बुनियादी ढांचा स्थापित करने की मांग की, जिससे 2015 सत्र से प्रत्येक कॉलेज में एमबीबीएस में 100 छात्रों का प्रवेश सुनिश्चित किया जा सके।
- इन मेडिकल कॉलेजों को शुरू करने की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय करने की मांग की गई, क्योंकि भारतीय चिकित्सा परिषद ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
न्यायालय का निर्णय और महत्वपूर्ण बिंदु:
- पूर्णिया, समस्तीपुर और छपरा के मेडिकल कॉलेजों के संबंध में:
- न्यायालय ने पहले ही एक विस्तृत आदेश पारित किया था
- बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं की कमी के कारण भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा मान्यता देना संभव नहीं था
- मधेपुरा मेडिकल कॉलेज के संबंध में:
- मान्यता/संबद्धता के लिए आवेदन निर्धारित समय में भारतीय चिकित्सा परिषद को किया गया
- एमसीआई ने जननायक करपूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्राचार्य को 13 अगस्त 2018 को कमियां दूर करने का निर्देश दिया
- कई रिमाइंडर भेजे गए, लेकिन कमियां दूर नहीं की गईं
- राज्य सरकार का पक्ष:
- बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव ने लिखित निर्देश के माध्यम से आश्वासन दिया कि मधेपुरा में मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए सभी आवश्यक बुनियादी ढांचा/सुविधाएं शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 से पहले 31 दिसंबर 2018 तक उपलब्ध करा दी जाएंगी
- भारतीय चिकित्सा परिषद की समय-सीमा:
- केंद्र सरकार को आवेदन प्राप्ति: 15 जून से 7 जुलाई
- केंद्र सरकार द्वारा एमसीआई को आवेदन अग्रेषण: 15 जुलाई तक
- एमसीआई द्वारा तकनीकी जांच और अनुमति पत्र की सिफारिश: 15 दिसंबर तक
- आवेदक से जवाब/अनुपालन की प्राप्ति: 31 जनवरी तक
- एमसीआई द्वारा अंतिम सिफारिशें: 30 अप्रैल तक
- केंद्र सरकार द्वारा अनुमति पत्र जारी करना: 31 मई तक
न्यायालय का अंतिम आदेश:
- राज्य सरकार को, विशेष रूप से स्वास्थ्य विभाग को, एक विशेष टीम गठित करने का निर्देश दिया गया:
- मधेपुरा में नए मेडिकल कॉलेज के लिए बुनियादी ढांचा/सुविधाएं प्रदान करने के काम की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए
- कमियों को दूर करने और आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि एमसीआई 15 दिसंबर 2018 तक तकनीकी जांच, मूल्यांकन और अनुमति पत्र की सिफारिश कर सके
- न्यायालय ने यह भी कहा कि:
- नए मेडिकल कॉलेज को मान्यता/संबद्धता देने के लिए एमसीआई द्वारा निर्धारित समय-सीमा का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए
- राज्य सरकार, संबंधित कॉलेज और अस्पताल को इसका पालन सुनिश्चित करने के लिए सभी ईमानदार कदम उठाने चाहिए
इस प्रकार, न्यायालय ने इस जनहित याचिका का निपटारा किया, जिसका मुख्य उद्देश्य बिहार में नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना में आ रही बाधाओं को दूर करना और मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना था। न्यायालय ने राज्य सरकार को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए कि वह एमसीआई के मानकों के अनुरूप आवश्यक बुनियादी ढांचा और सुविधाएं समय पर उपलब्ध कराए, जिससे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा मिल सके।
इस मामले में न्यायालय ने एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया, जहां एक ओर उसने पूर्णिया, समस्तीपुर और छपरा के मेडिकल कॉलेजों के मामले में बुनियादी ढांचे की कमी को स्वीकार किया, वहीं दूसरी ओर मधेपुरा मेडिकल कॉलेज के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया, जिससे वह शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 से शुरू हो सके। न्यायालय का यह निर्णय चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और मानकों के महत्व को रेखांकित करता है।
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