पटना उच्च न्यायालय में दायर लेटर्स पेटेंट अपील संख्या 2185/2016 एक महत्वपूर्ण करुणा नियुक्ति के मामले से संबंधित है। प्रकरण में नितेश सिन्हा ने अपनी माता की मृत्यु के बाद सरकारी नौकरी में नियुक्ति की मांग की थी।
मामले के मुख्य तथ्य:
• नितेश की माता बद्दशाह नवाब रिजवी प्रशिक्षण महाविद्यालय में क्राफ्ट शिक्षक थीं
• 15 मार्च 2013 को उनकी कैंसर से मृत्यु हो गई
• उनके पिता पहले ही 31 मई 2007 को सेवानिवृत्त हो चुके थे
• नितेश का एक भाई निजी क्षेत्र में कार्यरत था
शिक्षा विभाग ने नितेश की करुणा नियुक्ति के आवेदन को निम्न आधारों पर अस्वीकृत किया:
• पिता सरकारी सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनभोगी
• परिवार को परिवार पेंशन प्राप्त
• भाई पहले से ही नौकरीपेशा
उच्च न्यायालय ने करुणा नियुक्ति के मूल उद्देश्य पर प्रकाश डाला कि यह लाभ नहीं बल्कि सेवा में मृत कर्मचारी के परिवार की आर्थिक कठिनाइयों को दूर करने का एक माध्यम है।
न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के उमेश कुमार नागपाल बनाम हरियाणा राज्य के मामले का उल्लेख किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि:
• करुणा नियुक्ति एक अधिकार नहीं है
• इसका उद्देश्य परिवार को आर्थिक संकट से बचाना है
• केवल मृत्यु पर्याप्त कारण नहीं है
• परिवार की वास्तविक आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन आवश्यक
अंततः न्यायालय ने नितेश के आवेदन को खारिज कर दिया क्योंकि:
• परिवार के पास पर्याप्त संसाधन थे
• पिता पेंशन प्राप्त कर रहे थे
• भाई नौकरीपेशा था
यह निर्णय करुणा नियुक्ति की अवधारणा को स्पष्ट करता है कि यह एक कानूनी अधिकार नहीं बल्कि मानवीय सहायता का एक माध्यम है।
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