बिहार में घटिया दवा मामले में पटना हाईकोर्ट ने समय-सीमा के आधार पर मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द किया – Samvidalaw

बिहार में घटिया दवा मामले में पटना हाईकोर्ट ने समय-सीमा के आधार पर मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द किया

 

निर्णय का सरल विवरण:

हाल ही में पटना हाईकोर्ट ने एक मामले पर फैसला सुनाया जिसमें सिवान के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को आपूर्ति की गई एंटी-स्नेक वेनम दवा की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए थे। यह मामला ड्रग इंस्पेक्टर की शिकायत के बाद शुरू हुआ, जिन्होंने 2010 में एक सैंपल लिया था जिसे जांच में घटिया पाया गया।

इस मामले में मध्यप्रदेश की एक दवा कंपनी सहित आपूर्तिकर्ताओं पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत आरोप लगाए गए। लेकिन आरोपियों ने 2015 में लिए गए संज्ञान आदेश को समय-सीमा समाप्त होने के आधार पर चुनौती दी।

प्रमुख कानूनी सवाल यह था कि क्या अगस्त 2015 में दायर की गई शिकायत दंड प्रक्रिया संहिता (Cr.PC) में निर्धारित समय-सीमा के भीतर थी। कानून के अनुसार, अधिकतम दो वर्ष की सजा वाले अपराधों के लिए तीन वर्ष की सीमा होती है।

न्यायालय ने पाया कि अगस्त 2010 तक ड्रग्स इंस्पेक्टर को दवा के घटिया होने की जानकारी मिल चुकी थी। अतः तीन वर्ष की समय-सीमा अगस्त 2013 में समाप्त हो गई थी। लेकिन शिकायत अगस्त 2015 में की गई और विलंब को लेकर कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण या आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया।

इसलिए न्यायालय ने आदेश को अवैध मानते हुए उसे रद्द कर दिया। कोर्ट ने स्टेट ऑफ राजस्थान बनाम संजय कुमार और स्टेट ऑफ हरियाणा बनाम भजन लाल जैसे निर्णयों का हवाला दिया।

निर्णय का महत्व:

यह फैसला न्यायालयों द्वारा समय-सीमा के पालन को अनिवार्य बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकता है और आम नागरिकों, विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल उद्योग से जुड़े लोगों के लिए राहत प्रदान करता है। सरकारी एजेंसियों के लिए यह एक चेतावनी है कि वे समय पर कार्यवाही करें।

निर्णीत कानूनी मुद्दे व निर्णय:

क्या ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27(d) के तहत अपराध का संज्ञान समय-सीमा समाप्त होने के बाद लिया जा सकता है?

कोर्ट का निर्णय: नहीं। तीन साल की समय-सीमा के बाद की गई शिकायत अवैध है।

क्या मजिस्ट्रेट ने Cr.PC की धारा 473 के तहत विलंब को स्वीकार किया?

कोर्ट का निर्णय: नहीं। विलंब स्वीकार करने का कोई औचित्य नहीं दिया गया।

पक्षकारों द्वारा उल्लेखित निर्णय:

स्टेट ऑफ राजस्थान बनाम संजय कुमार एवं अन्य, (1998) 5 SCC 82

न्यायालय द्वारा उपयोग किए गए निर्णय:

स्टेट ऑफ राजस्थान बनाम संजय कुमार एवं अन्य, (1998) 5 SCC 82

स्टेट ऑफ हरियाणा बनाम भजन लाल, 1992 Supp (1) SCC 335

मामले का शीर्षक: M/s क्वालिटी ड्रग हाउस बनाम बिहार राज्य व अन्य

मामला संख्या: क्रिमिनल मिसलेनियस संख्या 35589/2016

उद्धरण (Citation): 2024(4) PLJR (621) 

पीठ एवं न्यायाधीशों के नाम: माननीय श्री न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार

अधिवक्ताओं के नाम:

याचिकाकर्ता की ओर से: श्री गौतम कुमार यादव, श्री सुशांत कुमार

राज्य की ओर से: श्री चंद्र सेन प्रसाद सिंह, APP

निर्णय का लिंक: 

NiMzNTU4OSMyMDE2IzEjTg==-Kgl–ak1–4aQDqQE=

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