न्यायालय के निर्णय का सरल विश्लेषण
पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया जिसमें गंगा हाईवे (दिघा से दीदारगंज) के निर्माण से जुड़े भूमि विवाद में याचिकाकर्ता की जमाबंदी रद्द करने को अवैध करार दिया गया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि सरकार ने उसकी जमीन का जबरन अधिग्रहण कर मुआवजा देने से बचने के लिए उसकी जमाबंदी रद्द कर दी।
राज्य सरकार ने सारण जिले के सोनेपुर अंचल अंतर्गत सबलपुर गांव में 129.93 एकड़ जमीन चिह्नित की थी। इनमें से 88.99 एकड़ सरकारी जमीन को रोड कंस्ट्रक्शन विभाग को सौंप दिया गया, जबकि शेष 40.24 एकड़ पर निजी दावेदारों का दावा था। कुल 131 लोगों ने भूमि पर दावा किया, लेकिन जांच में 48 जमाबंदियों को अवैध या संदेहास्पद पाया गया। याचिकाकर्ता की जमीन भी इन्हीं में शामिल थी।
अतिरिक्त समाहर्ता ने पहले बिना सुनवाई के याचिकाकर्ता की जमाबंदी रद्द कर दी थी। बाद में जिलाधिकारी ने यह आदेश रद्द कर दिया और नए सिरे से सुनवाई कर फिर से जमाबंदी रद्द कर दी।
हालाँकि, हाईकोर्ट ने पाया कि बिहार भूमि उत्परिवर्तन अधिनियम, 2011 की धारा 9 के अनुसार केवल अतिरिक्त समाहर्ता को ही जमाबंदी रद्द करने का अधिकार है, जिलाधिकारी को नहीं। इसके अलावा, अदालत ने यह भी दोहराया कि उचित प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय का पालन आवश्यक है।
इसलिए अदालत ने दोनों पुराने आदेशों को रद्द कर दिया और मामले को अतिरिक्त समाहर्ता के पास सुनवाई के लिए भेज दिया ताकि तीन महीने के भीतर निर्णय लिया जा सके।
इस निर्णय का महत्व
यह फैसला भूमि स्वामियों के अधिकारों की रक्षा करता है, विशेष रूप से सरकारी परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण के मामलों में। यह निर्णय स्पष्ट करता है कि:
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बिना सुनवाई के जमाबंदी रद्द नहीं की जा सकती।
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कानून का पालन कर ही भूमि का अधिग्रहण किया जा सकता है।
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मुआवजे के अधिकार को कोई प्रशासनिक कार्यवाही छीन नहीं सकती।
आमजन के लिए यह विश्वास बढ़ाता है कि सरकार भी नियमों से बंधी है। सरकार के लिए यह एक चेतावनी है कि वह भूमि से जुड़े मामलों में वैधानिक प्रक्रिया का पालन करे।
न्यायालय द्वारा तय किए गए प्रमुख कानूनी प्रश्न
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क्या जिलाधिकारी को जमाबंदी रद्द करने का अधिकार है?
नहीं, यह अधिकार केवल अतिरिक्त समाहर्ता को है। -
क्या रद्दीकरण आदेश वैध थे?
नहीं, दोनों आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर और प्रकिया में त्रुटिपूर्ण पाए गए। -
अदालत ने क्या आदेश दिया?
मामला अतिरिक्त समाहर्ता को पुनः सुनवाई हेतु तीन महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया गया।
पक्षकारों द्वारा उद्धृत निर्णय
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CWJC No. 21520 of 2013 (पूर्व आदेश जिसमें उचित जांच और मुआवजे का निर्देश था)
न्यायालय द्वारा उद्धृत/आश्रित निर्णय
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बिहार भूमि उत्परिवर्तन अधिनियम, 2011 की धारा 9 की व्याख्या
प्रकरण का शीर्षक
अमरेश कुमार बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
मामला संख्या
सिविल रिट न्यायिक क्षेत्र वाद संख्या 13189 / 2016
साईटेशन
2024 (4) PLJR 591
पीठ
माननीय न्यायाधीश श्री रूद्र प्रकाश मिश्रा
अधिवक्ता
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याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अरुण कुमार, अधिवक्ता
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प्रतिवादी राज्य की ओर से: श्री साजिद सलीम खान, सरकारी अधिवक्ता-25
निर्णय लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMTMxODkjMjAxNiMxI04=-LHGVsrh30cw=