...

“बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: Private Body Declared, Petition Dismissed”

यह मामला पटना उच्च न्यायालय में दायर एक रिट याचिका (संख्या 8923/2021) से संबंधित है, जिसे सुजीत कुमार सिंह नामक याचिकाकर्ता ने बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को चुनौती देने के लिए दायर किया था। इस मामले का मुख्य कानूनी प्रश्न यह था कि क्या बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं।

मामले की पृष्ठभूमि:

याचिकाकर्ता सुजीत कुमार सिंह बिहार पुलिस में एक कांस्टेबल के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने यह दावा किया कि चुनाव में चुने गए उम्मीदवार नरेंद्र कुमार धीरज (प्रतिवादी संख्या 6) का नामांकन अवैध था क्योंकि उनका तबादला पटना से लखीसराय कर दिया गया था और उन्होंने नई पोस्टिंग जॉइन नहीं की थी। याचिकाकर्ता ने चुनाव को निष्पक्ष रूप से संचालित करने की मांग की और चुनाव को रद्द करने की याचना की।

न्यायालय की प्रमुख टिप्पणियाँ:

  1. बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन की कानूनी स्थिति:
    न्यायालय ने इस मुद्दे पर विचार किया कि क्या बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत “राज्य” की श्रेणी में आता है। यदि यह राज्य की परिभाषा में आता, तो यह अनुच्छेद 226 के तहत न्यायिक समीक्षा के अंतर्गत आता।

    • अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के दो महत्वपूर्ण फैसलों का संदर्भ दिया:
      • Federal Bank Ltd. v. Sagar Thomas & Ors. (2003)
      • Zee Telefilms Ltd. & Anr. v. Union of India & Ors. (2005)
    • इन फैसलों के आधार पर अदालत ने माना कि बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन न तो राज्य के अंतर्गत आता है और न ही कोई सार्वजनिक कार्य करता है।
  2. पूर्व मामलों का संदर्भ:

    • अदालत ने इस संबंध में लियाकत अली बनाम बिहार राज्य (2017) और राकेश कुमार सिंह बनाम पुलिस महानिदेशक (2018) मामलों का उल्लेख किया, जिनमें यह निर्णय लिया गया था कि बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन एक निजी निकाय है और इस पर रिट क्षेत्राधिकार लागू नहीं होता।
  3. नियमों का अनुपालन:

    • याचिकाकर्ता ने दावा किया कि बिहार पुलिस के महानिदेशक द्वारा जारी 18 मार्च 2021 के दिशानिर्देशों के तहत चुनाव अवैध था। हालांकि, अदालत ने पाया कि ये दिशानिर्देश केवल प्रशासनिक प्रकृति के थे और इससे एसोसिएशन को सार्वजनिक संस्था नहीं माना जा सकता।

अदालत का निष्कर्ष:

  • बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन कोई सार्वजनिक निकाय नहीं है और न ही यह सरकार द्वारा संचालित है।
  • यह पूरी तरह से एक निजी संगठन है, जो अपने सदस्यों के कल्याण के लिए काम करता है।
  • इसलिए, इस पर अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार नहीं बनता।
  • याचिका को पूरी तरह से “अस्वीकार” कर दिया गया।

सारांश:

इस मामले में अदालत ने स्पष्ट किया कि बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन एक निजी संस्था है और इसे संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत “राज्य” नहीं माना जा सकता। इसलिए, उच्च न्यायालय के पास इस संगठन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता की मांग को न्यायालय ने “पूर्ण रूप से अस्वीकार” कर दिया और चुनाव को वैध माना।


यह फैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाता है कि निजी संगठनों के मामलों में न्यायालय केवल तभी हस्तक्षेप करेगा जब वे सार्वजनिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हों या सरकारी नियंत्रण में हों।

पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjODkyMyMyMDIxIzEjTg==-Ol–ak1–WK8dXH10=

Abhishek Kumar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News