मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला पटना उच्च न्यायालय में सिविल रिट याचिका संख्या 7420/2021 से संबंधित है, जिसे सरिता कुमारी उर्फ सरिता देवी ने दायर किया था। मामला सोनबरसा, सीतामढ़ी (बिहार) के वार्ड नंबर 12 में आंगनवाड़ी सेविका चयन से जुड़ा हुआ था। याचिकाकर्ता का दावा था कि उन्हें अन्यायपूर्ण तरीके से आंगनवाड़ी सेविका पद से वंचित कर दिया गया, जबकि चयन समिति ने प्रमिला देवी को इस पद के लिए चुन लिया।
याचिकाकर्ता की मुख्य मांगें
सरिता कुमारी ने न्यायालय से निम्नलिखित राहत की मांग की:
- चयन समिति के 13 सितंबर 2018 के निर्णय को रद्द किया जाए, जिसमें प्रमिला देवी को आंगनवाड़ी सेविका के रूप में चुना गया था।
- चयन समिति द्वारा जारी चयन पत्र (14 सितंबर 2018) को रद्द किया जाए, जिसमें प्रमिला देवी को नियुक्त किया गया था।
- याचिकाकर्ता को आंगनवाड़ी सेविका के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया जाए।
- न्यायालय द्वारा अन्य आवश्यक निर्देश दिए जाएं, जिससे याचिकाकर्ता को न्याय मिल सके।
सरकारी पक्ष का तर्क
बिहार सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने निम्नलिखित दलीलें दीं:
- याचिकाकर्ता ने अपील दायर करने का वैकल्पिक उपाय (Statutory Remedy) इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि सीधे उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करने से पहले, संबंधित अपीलीय प्राधिकरण (District Magistrate) के समक्ष अपील करनी होती है।
- सरकार ने यह भी तर्क दिया कि अगर कोई उम्मीदवार चयन प्रक्रिया से असंतुष्ट है, तो उसे पहले अपील दायर करनी चाहिए, न कि सीधे उच्च न्यायालय जाना चाहिए।
न्यायालय की टिप्पणियां और फैसला
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याचिका समय से पहले दायर की गई थी:
- न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता ने विधिक प्रक्रिया को पूरा किए बिना सीधे उच्च न्यायालय का रुख किया।
- न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले (State of Jammu and Kashmir Vs. R.K. Zalpuri, AIR 2016 SC 3006) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि पहले अन्य कानूनी विकल्पों को अपनाना चाहिए, फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए।
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याचिकाकर्ता को वैकल्पिक उपाय अपनाने का निर्देश:
- न्यायालय ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता 8 सप्ताह के भीतर जिला मजिस्ट्रेट (सीतामढ़ी) के पास अपील दायर कर सकती हैं।
- यदि याचिकाकर्ता अपील दायर करती हैं, तो जिला मजिस्ट्रेट चार महीने के भीतर फैसला सुनाएंगे।
- न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि प्रमिला देवी को भी सुनवाई का उचित अवसर दिया जाए।
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याचिका खारिज:
- न्यायालय ने याचिका को “समयपूर्व” बताते हुए खारिज कर दिया, लेकिन याचिकाकर्ता को उचित वैकल्पिक मंच पर जाने की स्वतंत्रता दी।
इस फैसले का प्रभाव
✅ आंगनवाड़ी सेविका चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता:
- यह निर्णय सुनिश्चित करता है कि यदि किसी चयन प्रक्रिया में विवाद होता है, तो पहले वैधानिक अपील प्रणाली का पालन किया जाना चाहिए।
✅ न्यायिक प्रक्रियाओं के पालन पर जोर:
- यह फैसला अन्य उम्मीदवारों के लिए एक मिसाल बनेगा, जो बिना उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाए सीधे उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करना चाहते हैं।
✅ सरकारी चयन समितियों के लिए चेतावनी:
- अब चयन समितियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ कार्य करें, अन्यथा उनके फैसले अपीलीय प्राधिकरण में चुनौती दिए जा सकते हैं।
निष्कर्ष
पटना उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को पहले जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अपील करनी चाहिए, न कि सीधे उच्च न्यायालय आना चाहिए। यह फैसला कानूनी प्रक्रिया को मजबूत करने और प्रशासनिक पारदर्शिता बनाए रखने में मदद करेगा।
यह निर्णय अन्य सरकारी पदों पर भर्ती और चयन प्रक्रियाओं में भी मार्गदर्शक सिद्ध होगा और यह सुनिश्चित करेगा कि न्याय उचित प्रक्रिया के तहत ही मिले। 🎓
पूरा फैसला
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https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjNzQyMCMyMDIxIzEjTg==-zzJleOVtxP0=