"सरकारी भर्ती में नए पद जोड़ना सरकार का नीतिगत फैसला – हाईकोर्ट का अहम निर्णय"

“सरकारी भर्ती में नए पद जोड़ना सरकार का नीतिगत फैसला – हाईकोर्ट का अहम निर्णय”

 

भूमिका:

यह मामला सिविल रिट न्यायालयिक याचिका संख्या 3981/2022 से संबंधित है, जिसे चंद्रबीर कुमार और अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा पटना उच्च न्यायालय में दायर किया गया था।

याचिकाकर्ताओं ने बिहार सरकार और बिहार तकनीकी सेवा आयोग (BTSC) के खिलाफ यह याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मत्स्य विस्तार अधिकारी (Fisheries Extension Officer) के 198 नए पदों को पहले से जारी भर्ती विज्ञापन (02/2021) में जोड़ने की माँग की थी।

मामले की मुख्य बातें:

  1. बिहार सरकार ने 6 अप्रैल 2021 को मत्स्य विस्तार अधिकारी के 136 पदों के लिए विज्ञापन (02/2021) जारी किया।
  2. बाद में 25 जून 2021 को 198 नए पद स्वीकृत हुए, लेकिन इन्हें पुराने विज्ञापन में शामिल नहीं किया गया।
  3. याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इन नए पदों को उसी भर्ती में जोड़ने की माँग की।
  4. पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भर्ती प्रक्रिया में नए पद जोड़ने का निर्णय सरकार की नीति का विषय है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

मामले की विस्तृत समीक्षा

1. याचिकाकर्ताओं की माँग:

याचिकाकर्ताओं ने निम्नलिखित माँगें की थीं:

  • 136 पदों की भर्ती प्रक्रिया में 198 नए स्वीकृत पदों को शामिल किया जाए।
  • सरकार और BTSC को निर्देश दिया जाए कि नए पदों के लिए अलग से विज्ञापन जारी करने के बजाय, उन्हें मौजूदा विज्ञापन में ही जोड़ा जाए।
  • अदालत इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करे ताकि योग्य उम्मीदवारों को अधिक अवसर मिल सके।

2. बिहार सरकार और BTSC का पक्ष:

बिहार सरकार और बिहार तकनीकी सेवा आयोग (BTSC) ने कहा कि:

  • विज्ञापन 6 अप्रैल 2021 को जारी किया गया था और आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 5 मई 2021 थी।
  • 25 जून 2021 को जो नए 198 पद स्वीकृत हुए, वे आवेदन की अंतिम तिथि के बाद थे, इसलिए उन्हें मौजूदा विज्ञापन में नहीं जोड़ा जा सकता।
  • नई रिक्तियों को जोड़ना एक “नीतिगत निर्णय” (Policy Decision) है, जिस पर अदालत को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
  • यदि नए पदों के लिए भर्ती करनी होगी, तो सरकार अलग से नया विज्ञापन जारी करेगी।

3. पटना उच्च न्यायालय का अवलोकन

  1. न्यायालय ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान नए पद जोड़ना सरकार का नीतिगत निर्णय है।
  2. अगर आवेदन की अंतिम तिथि (5 मई 2021) बीत जाने के बाद पद स्वीकृत किए गए, तो उन्हें मौजूदा विज्ञापन में जोड़ना उचित नहीं है।
  3. अगर नए पद जोड़े जाते हैं, तो यह भर्ती प्रक्रिया में अनावश्यक देरी करेगा और भर्ती की पारदर्शिता पर सवाल उठेगा।
  4. याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के “संदीप सिंह बनाम हरियाणा राज्य” (2002) 10 SCC 549 केस का हवाला दिया, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया।
  5. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के “P.U. Joshi बनाम अकाउंटेंट जनरल” (2003) 2 SCC 632 और “Union of India बनाम पुष्पा रानी” (2008) 9 SCC 242 केस का हवाला देते हुए कहा कि पदों की संख्या बढ़ाना सरकार का विशेषाधिकार है।

अदालत का निर्णय

1. याचिका खारिज की गई:

  • पटना उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि भर्ती प्रक्रिया में नए पद जोड़ना सरकार का नीतिगत निर्णय है, और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
  • इसलिए याचिका को खारिज कर दिया गया।

2. सरकार के अधिकारों की पुष्टि:

  • न्यायालय ने कहा कि सरकार तय करेगी कि नए पदों को मौजूदा विज्ञापन में जोड़ा जाए या उनके लिए अलग से नई भर्ती निकाली जाए।
  • अदालत इस मामले में सरकार के विशेषाधिकार (Policy Discretion) को चुनौती नहीं दे सकती।

3. उम्मीदवारों के लिए भविष्य का रास्ता खुला:

  • यदि सरकार नए पदों के लिए अलग से भर्ती प्रक्रिया शुरू करती है, तो याचिकाकर्ता उसमें आवेदन कर सकते हैं।

इस फैसले का व्यापक महत्व

1. सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता बनी रहेगी:

  • यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे।
  • अगर आवेदन की अंतिम तिथि के बाद नए पद स्वीकृत होते हैं, तो उन्हें उसी भर्ती में जोड़ना अनुचित होगा।

2. भर्ती प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप सीमित रहेगा:

  • अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरकारी नीतिगत फैसलों में न्यायालयों का सीमित हस्तक्षेप होगा।
  • न्यायपालिका का काम नीतियाँ बनाना नहीं, बल्कि उनके न्यायिक पुनरीक्षण (Judicial Review) तक सीमित है।

3. सरकार के लिए स्पष्ट निर्देश:

  • यदि सरकार चाहती है कि नए स्वीकृत पदों को मौजूदा भर्ती प्रक्रिया में जोड़ा जाए, तो उसे आवेदन की अंतिम तिथि से पहले निर्णय लेना होगा।
  • भविष्य में सरकार को भर्तियों की योजना पहले से बनानी होगी, ताकि ऐसी कानूनी जटिलताएँ न हों।

निष्कर्ष

यह मामला सरकारी भर्तियों में नीतिगत निर्णयों और न्यायिक हस्तक्षेप के दायरे से जुड़ा एक महत्वपूर्ण फैसला है। पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि भर्ती प्रक्रिया में नए पद जोड़ने का निर्णय पूरी तरह सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी।

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि:
सरकार तय करेगी कि नए पद मौजूदा भर्ती में जोड़े जाएँगे या अलग से विज्ञापन निकाला जाएगा।
भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए अदालतें इसमें अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करेंगी।
सरकार को भर्ती नीतियों की योजना पहले से बनानी चाहिए, ताकि भविष्य में कानूनी विवाद न हों।
उम्मीदवारों को नए पदों के लिए अलग से भर्ती निकलने का इंतजार करना होगा, वे मौजूदा भर्ती में इन्हें जोड़ने की माँग नहीं कर सकते।

यह फैसला सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय साबित होगा।

पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMzk4MSMyMDIyIzEjTg==-2RiPm–ak1–yzP6k=

Abhishek Kumar

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