"पटना हाईकोर्ट: बिना सुनवाई टैक्स निर्धारण अवैध, कर विभाग को पुनः सुनवाई का आदेश"

“पटना हाईकोर्ट: बिना सुनवाई टैक्स निर्धारण अवैध, कर विभाग को पुनः सुनवाई का आदेश”

 

भूमिका:

यह मामला सिविल रिट न्यायालयिक याचिका संख्या 4171/2022 से संबंधित है, जिसे HAV Automobiles Pvt. Ltd. द्वारा पटना उच्च न्यायालय में दायर किया गया था। याचिकाकर्ता हरषेन्द्र कुमार, जो कंपनी के निदेशक हैं, ने बिहार राज्य कर विभाग (State Taxes Department) के अधिकारियों के खिलाफ यह याचिका दायर की थी।

मामला जीएसटी (GST) कर निर्धारण से संबंधित था, जहाँ HAV Automobiles Pvt. Ltd. को अचानक कर, ब्याज और जुर्माना चुकाने का आदेश दिया गया था, जबकि उन्हें सुनवाई का उचित अवसर नहीं दिया गया था।

मामले की मुख्य बातें:

  1. बिहार राज्य कर विभाग ने HAV Automobiles Pvt. Ltd. को टैक्स, ब्याज और पेनल्टी चुकाने का आदेश दिया।
  2. कंपनी को बिना उचित सुनवाई के कर निर्धारण किया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
  3. पटना हाईकोर्ट ने आदेश को अवैध घोषित किया और कंपनी को पुनः सुनवाई का मौका देने का निर्देश दिया।
  4. न्यायालय ने याचिकाकर्ता के बैंक खाते को अनफ्रीज करने का आदेश दिया।

मामले की विस्तृत समीक्षा

1. याचिकाकर्ता की माँग:

HAV Automobiles Pvt. Ltd. ने निम्नलिखित राहतों की माँग की:

  • राज्य कर विभाग द्वारा जारी आदेश (13 जनवरी 2021) को रद्द किया जाए, क्योंकि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
  • जीएसटी निर्धारण आदेश (8 अगस्त 2019) को खारिज किया जाए।
  • याचिकाकर्ता के बैंक खाते को अनफ्रीज किया जाए और कोई कठोर कार्रवाई न की जाए।

2. बिहार राज्य कर विभाग का पक्ष:

बिहार राज्य कर विभाग ने कहा कि:

  • याचिकाकर्ता ने जीएसटी रिटर्न और कर भुगतान में अनियमितताएँ की हैं
  • विभाग ने आवश्यक कानूनी प्रक्रिया अपनाई थी और टैक्स देयता तय की थी।
  • याचिकाकर्ता ने पहले अपील नहीं की, इसलिए अब सीधे हाईकोर्ट नहीं आ सकते।

3. पटना उच्च न्यायालय का अवलोकन:

  1. कर निर्धारण आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
  2. याचिकाकर्ता को सुनवाई का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया।
  3. कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया कि कर की गणना कैसे की गई।
  4. याचिकाकर्ता का बैंक खाता जब्त किया गया था, जो अनुचित था।

अदालत का निर्णय

1. कर निर्धारण आदेश रद्द किया गया:

  • न्यायालय ने बिहार राज्य कर विभाग द्वारा जारी कर निर्धारण आदेश को अवैध करार दिया और इसे रद्द कर दिया।
  • कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बगैर उचित सुनवाई टैक्स निर्धारण करना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है।

2. पुनः सुनवाई का आदेश:

  • याचिकाकर्ता को 10% टैक्स जमा करने के बाद नए सिरे से सुनवाई का अवसर दिया जाएगा।
  • कर निर्धारण प्राधिकारी (Assessing Officer) को दो महीने के भीतर उचित प्रक्रिया के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया गया।

3. बैंक खाता अनफ्रीज करने का आदेश:

  • याचिकाकर्ता के बैंक खाते को तुरंत अनफ्रीज करने का निर्देश दिया गया।

4. आगे की कानूनी प्रक्रिया:

  • याचिकाकर्ता को आदेश दिया गया कि वे 11 अप्रैल 2022 को कर निर्धारण प्राधिकारी के सामने पेश हों।
  • कर विभाग को सुनवाई का उचित अवसर देने और याचिकाकर्ता के सभी दस्तावेज स्वीकार करने का निर्देश दिया गया।
  • यदि याचिकाकर्ता को फिर भी न्याय नहीं मिलता, तो वे पुनः न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

इस फैसले का व्यापक महत्व

1. व्यवसायों के लिए राहत:

  • यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी कर निर्धारण उचित प्रक्रिया के बिना नहीं किया जा सकता।
  • व्यवसायों को सुनवाई का उचित अवसर दिया जाना चाहिए।

2. प्राकृतिक न्याय की पुष्टि:

  • न्यायालय ने दोहराया कि बिना सुनवाई कर निर्धारण करने से नागरिकों और व्यवसायों के अधिकारों का हनन होता है।
  • सरकार को कर निर्धारण से पहले पूर्ण सुनवाई देनी होगी।

3. बैंक खातों की अनावश्यक जब्ती पर रोक:

  • न्यायालय ने स्पष्ट किया कि बिना उचित प्रक्रिया के बैंक खाता जब्त करना गैर-कानूनी है।
  • यह फैसला उन व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनके बैंक खाते कर विवादों में जब्त किए जाते हैं।

4. बिहार राज्य कर विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल:

  • यह फैसला बिहार राज्य कर विभाग के कार्य करने के तरीके पर सवाल खड़े करता है।
  • कर अधिकारियों को सुनिश्चित करना होगा कि वे न्यायसंगत प्रक्रिया अपनाएँ और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करें।

निष्कर्ष

यह मामला कर प्रशासन में पारदर्शिता और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को मजबूत करने वाला एक महत्वपूर्ण फैसला है। पटना हाईकोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि बिना उचित प्रक्रिया किसी भी व्यवसाय पर कर, ब्याज या जुर्माना नहीं थोपा जा सकता।

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि:
कर निर्धारण में नागरिकों और व्यवसायों को सुनवाई का पूरा अवसर मिलना चाहिए।
बिना किसी उचित कारण के बैंक खाता जब्त करना गैर-कानूनी है।
सरकार और कर अधिकारियों को निष्पक्ष रूप से टैक्स निर्धारण करना होगा।
यदि कर निर्धारण में गलती होती है, तो पीड़ित व्यवसाय उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं।

यह फैसला व्यवसायों और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय साबित होगा।

पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:
 

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjNDE3MSMyMDIyIzEjTg==-PdwpSzDIpxI=


Abhishek Kumar

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