"जल आपूर्ति योजना ठेके का विवाद: न्यायालय ने सरकारी निर्णय को पुनर्विचार के लिए लौटाया"

“जल आपूर्ति योजना ठेके का विवाद: न्यायालय ने सरकारी निर्णय को पुनर्विचार के लिए लौटाया”

 

परिचय:

यह मामला जल आपूर्ति योजना (Water Supply Scheme) के एक ठेके को रद्द करने और सुरक्षा राशि (Security Deposit) जब्त करने के सरकारी आदेश से संबंधित है। याचिकाकर्ता संजीव कुमार ने इस फैसले को पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

मामले की पृष्ठभूमि:

  1. याचिकाकर्ता का चयन और कार्यादेश:

    • याचिकाकर्ता संजीव कुमार को 2016-17 में “जमालपुर चकसारवर सिंगल ग्राम पाइप जल आपूर्ति योजना” के तहत कार्य करने का ठेका दिया गया था।
    • 09 जनवरी 2017 को बिहार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (Public Health Engineering Department – PHED) और याचिकाकर्ता के बीच अनुबंध (Agreement) हुआ था।
  2. कार्य में देरी और विवाद:

    • विभाग का आरोप था कि याचिकाकर्ता ने निर्धारित समय सीमा में कार्य पूरा नहीं किया और जलाशय (Water Tank) को स्वीकृत डिज़ाइन के अनुसार नहीं बनाया।
    • याचिकाकर्ता ने कहा कि अवैध अतिक्रमण और अन्य प्रशासनिक बाधाओं के कारण काम समय पर पूरा नहीं हो सका।
  3. सरकार का आदेश (18 मार्च 2020):

    • PHED के कार्यपालक अभियंता (Executive Engineer) ने अनुबंध रद्द कर दिया और सुरक्षा राशि जब्त करने का आदेश दिया।
    • साथ ही, परियोजना के अधूरे कार्य को पूरा करने की लागत याचिकाकर्ता से वसूलने का निर्देश दिया गया।

याचिकाकर्ता (संजीव कुमार) के तर्क:

  1. सरकार का आदेश अन्यायपूर्ण और अपारदर्शी था:

    • 29 फरवरी 2020 को विभाग ने याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया, जिसमें जवाब देने के लिए केवल 7 दिन दिए गए।
    • याचिकाकर्ता ने 17 मार्च 2020 को विस्तृत उत्तर दिया, लेकिन इसे बिना समीक्षा किए ही ठेका रद्द कर दिया गया।
  2. न्यायिक प्रक्रिया (Natural Justice) का उल्लंघन:

    • याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकार ने उनके उत्तर पर उचित विचार नहीं किया और सीधे अनुबंध रद्द कर दिया।
    • न्यायालय ने पाया कि आदेश “अस्पष्ट” (Cryptic) और “बिना कारणों के” (Unreasoned) था।
  3. वैकल्पिक उपायों की अनदेखी:

    • सरकार ने अनुबंध की शर्तों के अनुसार वैकल्पिक विवाद निपटान प्रक्रिया (Dispute Resolution Mechanism) का पालन नहीं किया।
    • याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्हें ठेका पूरा करने का अवसर दिया जाना चाहिए था।

सरकार (बिहार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग) के तर्क:

  1. याचिकाकर्ता का कार्य असंतोषजनक था:

    • विभाग ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जलाशय (Water Tank) निर्माण में स्वीकृत डिज़ाइन का पालन नहीं किया और कार्य की गति धीमी थी।
    • इससे परियोजना में अनावश्यक देरी हुई, जिससे जनता को असुविधा हुई।
  2. याचिकाकर्ता के पास वैकल्पिक उपाय थे:

    • सरकार ने तर्क दिया कि अनुबंध के क्लॉज 25 के तहत याचिकाकर्ता वैकल्पिक विवाद निपटान प्रक्रिया (Arbitration) का सहारा ले सकते थे।
    • इसलिए, न्यायालय को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
  3. याचिकाकर्ता को समय दिया गया था:

    • विभाग का कहना था कि याचिकाकर्ता को काम पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

पटना उच्च न्यायालय का निर्णय (22 मार्च 2022):

  1. सरकार का आदेश कानूनन अवैध:

    • न्यायालय ने कहा कि सरकारी आदेश में याचिकाकर्ता के उत्तर पर कोई चर्चा नहीं की गई थी।
    • सरकार ने बिना स्पष्ट कारण बताए अनुबंध रद्द कर दिया, जो कि न्यायिक प्रक्रिया (Natural Justice) का उल्लंघन है।
  2. “कारण बताओ नोटिस” का सही तरीके से निपटारा नहीं हुआ:

    • न्यायालय ने कहा कि जब कोई सरकारी संस्था ठेका रद्द करती है, तो उसे याचिकाकर्ता के उत्तर पर विचार करना जरूरी होता है।
    • लेकिन, सरकार ने याचिकाकर्ता के उत्तर को केवल एक पंक्ति में “असंतोषजनक” बताकर खारिज कर दिया।
  3. अनुबंध पुनर्विचार के लिए वापस भेजा गया:

    • न्यायालय ने सरकार के आदेश को रद्द कर दिया और इसे पुनर्विचार के लिए PHED को वापस भेज दिया।
    • अब PHED को कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए दोबारा विचार करना होगा।
  4. वैकल्पिक उपायों पर न्यायालय की टिप्पणी:

    • सरकार ने तर्क दिया था कि याचिकाकर्ता को विवाद निपटान प्रक्रिया (Arbitration) का सहारा लेना चाहिए था।
    • लेकिन, न्यायालय ने कहा कि जब सरकार ने न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन किया है, तो याचिकाकर्ता के पास रिट याचिका दाखिल करने का अधिकार है।

निष्कर्ष:

  • यह मामला सरकारी अनुबंधों में पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया (Natural Justice) के पालन की अनिवार्यता को दर्शाता है।
  • न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी अनुबंध को रद्द करने से पहले संबंधित पक्ष को उचित सुनवाई (Fair Hearing) का अवसर दे।
  • महत्वपूर्ण बिंदु:
    1. सरकार बिना उचित कारण बताए किसी ठेके को रद्द नहीं कर सकती।
    2. कारण बताओ नोटिस का उत्तर विस्तार से समीक्षा करना अनिवार्य है।
    3. न्यायालय ने सरकार को फिर से उचित प्रक्रिया अपनाने का निर्देश दिया।
    4. याचिकाकर्ता को कानूनी राहत मिली, लेकिन अनुबंध पर अंतिम निर्णय सरकार द्वारा पुनर्विचार के बाद होगा।

यह फैसला सरकारी अनुबंधों की पारदर्शिता और ठेकेदारों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय है।

पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjODQ4MSMyMDIwIzEjTg==-SebtelgLy1w=

Abhishek Kumar

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