"बिहार नगरपालिका अधिनियम के तहत अविश्वास प्रस्ताव की सीमा पर न्यायालय का फैसला"

“बिहार नगरपालिका अधिनियम के तहत अविश्वास प्रस्ताव की सीमा पर न्यायालय का फैसला”

 

केस का परिचय:

यह मामला फराह नाज़ बनाम बिहार राज्य एवं अन्य से संबंधित है। फराह नाज़, जो भभुआ नगर परिषद, कैमूर की वार्ड पार्षद हैं, ने एक सरकारी पत्र को चुनौती दी है जिसमें नगर परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को उपमुख्य पार्षद (नाहिद परवीन) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया था।

मुद्दा:

याचिकाकर्ता (फराह नाज़) का तर्क था कि बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 की धारा 25(4) के अनुसार, किसी भी उपमुख्य पार्षद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की अनुमति नहीं है यदि नगर पालिका के कार्यकाल के समाप्त होने में छह महीने से कम समय बचा हो। याचिकाकर्ता ने इस आधार पर पत्र दिनांक 28.12.2021 को चुनौती दी थी।

याचिकाकर्ता की दलीलें:

  1. अस्पष्ट निर्देश: याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया कि शहरी विकास और आवास विभाग द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए गए थे।
  2. नियमों का उल्लंघन: याचिकाकर्ता ने कहा कि नगर पालिका का कार्यकाल समाप्त होने में छह महीने से कम का समय शेष था, इसलिए उपमुख्य पार्षद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना कानूनी रूप से अमान्य है।
  3. निरंतर प्रक्रिया: याचिकाकर्ता के वकील ने यह दलील दी कि वर्ष 2021 में पहले भी एक अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास किया गया था और वर्तमान मामला उसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है।

न्यायालय का अवलोकन एवं निर्णय:

  1. विधिक आधार: न्यायालय ने बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 की धारा 25(4) का हवाला देते हुए कहा कि इस धारा के तहत किसी भी नगर परिषद के प्रमुख या उप प्रमुख को अविश्वास प्रस्ताव द्वारा तभी हटाया जा सकता है जब यह प्रस्ताव परिषद के कुल पार्षदों के बहुमत से पारित हो।
  2. अविश्वास प्रस्ताव पर प्रतिबंध: न्यायालय ने कहा कि स्पष्ट प्रावधान है कि अविश्वास प्रस्ताव को नगर पालिका के कार्यकाल की अंतिम छह महीनों की अवधि में नहीं लाया जा सकता।
  3. अधिनियम की स्पष्ट व्याख्या: न्यायालय ने याचिकाकर्ता की उस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि प्रस्ताव एक ‘निरंतर प्रक्रिया’ है और कहा कि यदि किसी अविश्वास प्रस्ताव को पहले लाया गया था और विफल हो गया था, तो वह स्वतः जारी प्रक्रिया नहीं मानी जा सकती।
  4. याचिका खारिज: न्यायालय ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई ठोस आधार नहीं है।

निष्कर्ष:

पटना उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि बिहार नगरपालिका अधिनियम के तहत यदि नगर परिषद के कार्यकाल की समाप्ति में छह महीने से कम का समय बचा हो तो अविश्वास प्रस्ताव लाना कानूनी रूप से अवैध है। इस कारण से याचिका को खारिज कर दिया गया।

पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjOTIzIzIwMjIjMSNO-eyrHnIhTA1M=

Abhishek Kumar

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