"34 साल बाद इंसाफ: पटना हाई कोर्ट ने हत्या के आरोपी को निर्दोष बताया"

“34 साल बाद इंसाफ: पटना हाई कोर्ट ने हत्या के आरोपी को निर्दोष बताया”

 

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला बिहार के सहरसा जिले के बंगाon रोड पर स्थित शिव शक्ति मेडिकल एजेंसी में 1987 में हुई डकैती और हत्या से जुड़ा है। इस डकैती में मेडिकल स्टोर के मालिक परमेश्वर लाल डोकानिया को गोली मार दी गई थी, और दुकान से नकदी और गहने लूट लिए गए थे।

इस घटना में बिस्वनाथ केशरी और अशोक कुमार केशरी को दोषी ठहराया गया था। 1995 में सेशंस कोर्ट ने इन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसे इन्होंने पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी


अपराध की संक्षिप्त रूपरेखा

  • 20 अक्टूबर 1987, शाम 6:30 बजे:
    • 11 बदमाशों ने शिव शक्ति मेडिकल एजेंसी में घुसकर लूटपाट शुरू कर दी
    • दुकान के मालिक परमेश्वर लाल डोकानिया के बेटों अनिल कुमार डोकानिया और अरुण कुमार डोकानिया पर हमला किया गया।
    • परमेश्वर लाल डोकानिया को दो गोलियां मारी गईं, जिससे उनकी बाद में मौत हो गई।
    • लुटेरे कैश, गहने और अन्य सामान लेकर फरार हो गए
    • जाते-जाते उन्होंने दो बम विस्फोट किए, जिससे वहां धुआं भर गया और वे भाग निकले।

पुलिस जांच और आरोप पत्र

  • पुलिस ने इस घटना की एफआईआर (क्राइम नंबर 511/1987) दर्ज की।
  • प्रारंभ में धारा 395 (डकैती) के तहत मामला दर्ज हुआ, लेकिन परमेश्वर लाल डोकानिया की मौत के बाद IPC की धारा 396 (डकैती के दौरान हत्या) जोड़ी गई
  • जांच के दौरान पुलिस को सूचना मिली कि यह घटना बिस्वनाथ केशरी और उनके बेटे अशोक केशरी द्वारा करवाई गई थी, जिन्होंने सुपारी देकर हत्यारों को बुलाया था

ट्रायल कोर्ट (सेशंस कोर्ट) का फैसला (1995)

  • कोर्ट ने बिस्वनाथ केशरी और अशोक केशरी को हत्या, डकैती और साजिश का दोषी पाया
  • आजन्म कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई गई
  • साथ ही, IPC की अन्य धाराओं (324, 307, 380 और 147) के तहत अतिरिक्त सजा भी दी गई
  • दोनों दोषियों ने इस फैसले को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी

पटना हाई कोर्ट में अपील (2021)

  • ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दोषियों ने दलील दी कि:
    1. वे निर्दोष हैं और उन्हें झूठा फंसाया गया है
    2. घटना के प्रत्यक्षदर्शी गवाहों ने उनके खिलाफ कोई ठोस गवाही नहीं दी
    3. मृतक का “डाइंग डिक्लेरेशन” (मरने से पहले दिया गया बयान) संदिग्ध है और इसमें अभियुक्तों का नाम स्पष्ट नहीं है
    4. घटना के बाद बने मेडिकल रिपोर्ट और फॉरेंसिक सबूतों में विरोधाभास हैं

पटना हाई कोर्ट का फैसला (2021)

  1. कोर्ट ने पाया कि ट्रायल कोर्ट के फैसले में गंभीर खामियां थीं
  2. मृतक का “डाइंग डिक्लेरेशन” (Dying Declaration) पूरी तरह से संदेहास्पद था क्योंकि:
    • इसमें अभियुक्तों का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया गया था
    • परमेश्वर लाल डोकानिया की हालत बहुत खराब थी, और डॉक्टरों ने पुष्टि नहीं की कि वे बयान देने की स्थिति में थे।
    • बयान की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं थी
  3. घटना के गवाहों ने भी अदालत में दिए बयान में विरोधाभास दिखाया
  4. चूंकि अभियोजन पक्ष ने पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए, इसलिए हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि:
    • अशोक केशरी को सभी आरोपों से बरी किया जाए
    • बिस्वनाथ केशरी की अपील उनकी मृत्यु के कारण समाप्त कर दी जाए

निष्कर्ष

  • इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय बिना ठोस सबूत के किसी को दोषी नहीं ठहरा सकता
  • “डाइंग डिक्लेरेशन” यदि विश्वसनीय न हो, तो उसे अकेले आधार बनाकर किसी को सजा नहीं दी जा सकती
  • कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की जांच को दोषपूर्ण करार दिया और दोषी को बरी कर दिया
  • यह मामला बताता है कि भारत की न्याय व्यवस्था में “बियॉन्ड रीजनेबल डाउट” (संदेह से परे प्रमाण) का सिद्धांत कितना महत्वपूर्ण है

पूरा फैसला
पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/NSM2OSMxOTk1IzEjTg==-UZ5A3O0S4jo=

 

 

Abhishek Kumar

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