मामले का मूल विवाद:
श्याम बाबू यादव ने अपोजिट पार्टी नंबर 2 (अशोक कुमार यादव) पर आरोप लगाया कि उससे 25 लाख रुपये में संपत्ति खरीदने के बाद भी 23.50 लाख रुपये प्राप्त करने के बावजूद बिक्री विलेख नहीं किया गया। अशोक कुमार यादव ने श्याम बाबू यादव के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात का मामला दायर किया।
न्यायालय के महत्वपूर्ण निष्कर्ष:
1. मामले की प्रकृति: न्यायालय ने पाया कि यह मूलतः एक दीवानी विवाद है, जिसे आपराधिक कार्यवाही में नहीं बदला जा सकता।
2. कानूनी विश्लेषण:
– संपत्ति खरीद समझौता अपंजीकृत था
– समझौते पर केवल पहले दो पृष्ठों पर ही हस्ताक्षर थे
– आपराधिक विश्वासघात के लिए कानूनी आधार नहीं था
3. न्यायिक दृष्टिकोण: न्यायालय ने माना कि:
– मामला दीवानी प्रकृति का है
– अशोक कुमार को सिविल न्यायालय में जाना चाहिए था
– मारपीट और गाली-गलौच के आरोप केवल मामले को आपराधिक रंग देने के लिए थे
न्यायालय के निर्देश:
उच्च न्यायालय ने आपराधिक मामले को पूरी तरह रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि पक्षकारों को अपने विवाद के लिए सिविल न्यायालय का रास्ता अपनाना चाहिए।
महत्वपूर्ण कानूनी संदर्भ:
न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों का उल्लेख किया, जिनमें जोर दिया गया कि:
– नागरिक विवादों को आपराधिक दबाव में नहीं बदला जा सकता
– न्यायालय को ऐसी कार्यवाहियों को रोकने की शक्ति है जो उत्पीड़न या उत्रेजना का माध्यम बनती हैं
निष्कर्ष:
मामला मूलतः एक दीवानी विवाद था, जिसे गलत तरीके से आपराधिक मामला बनाया गया था। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सिविल न्यायालय ही सही न्याय प्रदान कर सकता है।
पूरा
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https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/NiMzMzk2IzIwMTUjMSNO-d2VSdWGkhoc=