यह मामला पटना उच्च न्यायालय में दाखिल एक रिट याचिका से संबंधित है, जिसे नरेश चौधरी द्वारा दायर किया गया था। याचिकाकर्ता ने विभिन्न पुरस्कारों और सम्मान के लिए अनुरोध किया, जिसमें ज्ञानपीठ पुरस्कार और पद्म पुरस्कार शामिल थे। न्यायालय ने इस मामले को “पूरी तरह से असंगत और निराधार” बताते हुए खारिज कर दिया।
मुख्य बिंदु:
-
याचिका का आधार:
- याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनके पिता, जो भारतीय सेना में 1939 से 1966 तक सेवा में थे, के जीवन और सेवा से संबंधित एक डायरी में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य हैं, जो राष्ट्र के लिए मूल्यवान हो सकते हैं।
- उन्होंने ज्ञानपीठ पुरस्कार या अन्य राष्ट्रीय पुरस्कार (जैसे पद्म भूषण या पद्म श्री) के लिए अनुरोध किया।
-
ज्ञानपीठ पुरस्कार की मांग:
- ज्ञानपीठ पुरस्कार साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।
- याचिकाकर्ता ने साहित्य में किसी भी योगदान का उल्लेख नहीं किया, जिससे उनकी मांग न्यायोचित न मानी गई।
-
न्यायालय की टिप्पणियां:
- न्यायालय ने पाया कि याचिका में तर्क और साक्ष्य का पूर्ण अभाव है।
- याचिकाकर्ता का आचरण भी न्यायालय के समक्ष उपयुक्त नहीं था; उन्होंने न्यायाधीश के खिलाफ झूठे आरोप लगाए, जिसके लिए उन्हें चेतावनी दी गई।
-
न्यायालय का निर्णय:
- न्यायालय ने याचिका को अनुच्छेद 226 के तहत बनाए रखने योग्य नहीं माना, क्योंकि यह पूरी तरह से अप्रासंगिक थी।
- याचिका खारिज कर दी गई, और याचिकाकर्ता को भविष्य में सावधान रहने की सलाह दी गई।
व्यापक संदेश:
यह मामला यह दर्शाता है कि राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान स्पष्ट योग्यता और योगदान के आधार पर ही प्रदान किए जाते हैं। न्यायालय ने इस बात को रेखांकित किया कि किसी भी याचिका का आधार साक्ष्य और तर्क होना चाहिए।
पूरा फैसला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें;
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjODkwIzIwMTYjMSNO-jcAYgHGaYg8=