“केदार सिंह बनाम बिहार राज्य और अन्य”
यह मामला बिहार राज्य के सिवान जिले के एक हत्याकांड से जुड़ा हुआ है। हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन अभियुक्तों को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस मामले का मुख्य मुद्दा एक पारिवारिक विवाद था,
जिसमें एक प्रेम विवाह को लेकर आपसी दुश्मनी ने खतरनाक रूप ले लिया। नीचे इस केस का विस्तार से विवरण दिया गया है।
मामले का संक्षिप्त परिचय
यह केस
“केदार सिंह बनाम बिहार राज्य”
और अन्य संबद्ध आपराधिक अपीलों से संबंधित है। यह घटना
13 नवंबर
2015 को हुई थी। इसमें तीन अभियुक्त—केदार सिंह,
हरन सिंह
(हरिनारायण सिंह)
और धनंजय सिंह ने मिलकर एक व्यक्ति प्रेमचंद सिंह की हत्या कर दी। हत्या का मुख्य कारण प्रेमचंद सिंह के बेटे राकेश कुमार सिंह द्वारा धनंजय सिंह की बेटी सब्या कुमारी से किया गया प्रेम विवाह था,
जिसे अभियुक्त पक्ष ने अपनी
“इज्जत”
का मुद्दा बनाकर हिंसात्मक प्रतिशोध लिया।
घटना का विवरण
- हत्या
का समय
और स्थान: - घटना
13 नवंबर 2015 की
शाम
4:30 बजे की
है। - यह
घटना
सिवान
जिले
के
रघुनाथपुर
थाना
अंतर्गत
पटार
बाजार
में
हुई। - घटना
के दौरान: - मृतक
प्रेमचंद
सिंह
अपनी
दुकान
के
बाहर
खड़े
होकर
एक
सब्जी
विक्रेता
से
बात
कर
रहे
थे। - उनका
बेटा
राकेश
और
अन्य
गवाह
दुकान
की
छत
पर
थे। - अचानक
तीन
अभियुक्त
मोटरसाइकिल
पर
आए।
केदार
सिंह
मोटरसाइकिल
चला
रहा
था,
जबकि
हरन
सिंह
और
धनंजय
सिंह
उसके
साथ
बैठे
थे। - तीनों
ने
अपनी–अपनी
पिस्तौल
निकाली
और
प्रेमचंद
सिंह
पर
गोली
चलाई। - गोली
लगने
के
बाद,
अभियुक्त
घटनास्थल
से
फरार
हो
गए। - घायल
अवस्था और
मृत्यु: - गोली
लगने
के
बाद
प्रेमचंद
सिंह
को
उनके
बेटे
ने
तुरंत
अस्पताल
पहुंचाया। - रास्ते
में
ही
उनकी
मृत्यु
हो
गई
और
सिवान
के
सदर
अस्पताल
में
डॉक्टर
ने
उन्हें
मृत
घोषित
कर
दिया।
एफआईआर और जांच प्रक्रिया
- एफआईआर
दर्ज: - यह
मामला
रघुनाथपुर
थाना
में
राकेश
कुमार
सिंह
(मृतक
के
बेटे)
द्वारा
दर्ज
किया
गया। - एफआईआर
में
अभियुक्तों
का
नाम
और
घटना
का
पूरा
विवरण
दर्ज
था। - जांच
प्रक्रिया: - पुलिस
ने
घटनास्थल
से
गोलियों
के
खाली
खोल
और
रक्त
के
नमूने
इकट्ठा
किए। - पोस्टमॉर्टम
रिपोर्ट
में
गोली
लगने
से
सिर
और
मस्तिष्क
में
गंभीर
चोट
की
पुष्टि
हुई। - घटनास्थल
पर
बाजार
में
भीड़
थी,
लेकिन
पुलिस
स्वतंत्र
गवाह
जुटाने
में
असफल
रही।
अभियोजन पक्ष का पक्ष
- गवाहों
के बयान:
अभियोजन
पक्ष
ने
कुल
सात
गवाह
पेश
किए,
जिनमें
से
प्रमुख
गवाह
थे: - राजेश
कुमार सिंह
(PW-1): मृतक
का
बेटा। - रवींद्र
कुमार सिंह
(PW-2): मृतक
का
भाई। - पंचानंद
सिंह (PW-3):
मृतक
के
पिता। - राकेश
कुमार सिंह
(PW-4): मृतक
का
दूसरा
बेटा
और
घटना
का
सूचक।
सभी गवाहों ने अभियुक्तों को पहचानने और घटना का सटीक विवरण देने की पुष्टि की।
- डॉक्टरी
और फॉरेंसिक
साक्ष्य: - पोस्टमॉर्टम
रिपोर्ट
(PW-6) में पुष्टि
हुई
कि
गोली
लगने
के
कारण
प्रेमचंद
सिंह
की
मौत
हुई। - घटनास्थल
से
बरामद
गोलियों
और
खून
के
नमूनों
को
सबूत
के
रूप
में
प्रस्तुत
किया
गया। - मकसद:
अभियोजन
पक्ष
ने
यह
तर्क
दिया
कि
प्रेम
विवाह
के
कारण
अभियुक्तों
ने
अपनी
“इज्जत” को
ठेस
पहुंचने
का
बदला
लेने
के
लिए
हत्या
की।
अभियुक्त पक्ष का बचाव
- अपराध
से इनकार: - अभियुक्तों
ने
कोर्ट
में
अपने
बयान
में
हत्या
के
आरोपों
से
इनकार
किया। - उन्होंने
तर्क
दिया
कि
उन्हें
झूठा
फंसाया
गया
है। - साक्ष्यों
पर सवाल: - अभियुक्त
पक्ष
ने
दावा
किया
कि
सभी
गवाह
मृतक
के
परिवार
से
हैं,
इसलिए
उनके
बयान
पक्षपाती
हैं। - पोस्टमॉर्टम
रिपोर्ट
और
गवाहों
के
बयानों
में
विरोधाभास
की
बात
कही
गई। - पुलिस
की
जांच
को
दोषपूर्ण
बताया,
जैसे
कि
फॉरेंसिक
रिपोर्ट
न
होना। - अन्य
कारण: - अभियुक्त
पक्ष
ने
यह
तर्क
भी
दिया
कि
मृतक
का
आपराधिक
इतिहास
था
और
उनकी
हत्या
किसी
अन्य
दुश्मनी
के
कारण
भी
हो
सकती
है।
कोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने निम्नलिखित आधारों पर अभियुक्तों को दोषी ठहराया:
- गवाहों
की विश्वसनीयता: - कोर्ट
ने
कहा
कि
पारिवारिक
गवाहों
के
बयान
को
सिर्फ
इस
आधार
पर
खारिज
नहीं
किया
जा
सकता
कि
वे
रिश्तेदार
हैं। - गवाहों
के
बयान
घटना
के
विवरण
से
मेल
खाते
हैं। - मेडिकल
साक्ष्य: - पोस्टमॉर्टम
रिपोर्ट
में
स्पष्ट
रूप
से
गोली
लगने
को
मौत
का
कारण
बताया
गया। - गोली
लगने
की
दिशा
और
चोटें
घटना
के
गवाहों
के
बयानों
से
मेल
खाती
हैं। - मकसद:
- प्रेम
विवाह
से
उपजा
पारिवारिक
विवाद
अभियुक्तों
के
लिए
हत्या
का
स्पष्ट
मकसद
साबित
करता
है। - संदेह
से परे
साक्ष्य: - कोर्ट
ने
माना
कि
अभियोजन
पक्ष
ने
अपना
मामला
“संदेह से
परे”
साबित
किया
है।
सजा
- अभियुक्तों
को
भारतीय
दंड
संहिता
की
धारा
302 (हत्या) और
धारा
34 (सामूहिक इरादा)
के
तहत
दोषी
ठहराया
गया। - सजा:
- तीनों
अभियुक्तों
को
आजीवन
कारावास। - प्रत्येक
पर
1,000 रुपये का
जुर्माना। - जुर्माना
न
भरने
पर
अतिरिक्त
कारावास। - सभी
सजाएँ
साथ–साथ
चलेंगी।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
- निष्पक्ष
गवाह: - कोर्ट
ने
कहा
कि
गवाहों
की
गवाही
इसलिए
खारिज
नहीं
की
जा
सकती
क्योंकि
वे
मृतक
के
रिश्तेदार
हैं। - यह
भी
कहा
कि
स्वतंत्र
गवाहों
का
आभाव
भारतीय
समाज
में
आम
बात
है। - जांच
में खामियाँ: - कोर्ट
ने
माना
कि
पुलिस
जांच
में
कुछ
खामियाँ
थीं,
लेकिन
इससे
अभियुक्तों
को
संदेह
का
लाभ
नहीं
दिया
जा
सकता। - संदेह
से परे
सिद्धांत: - कोर्ट
ने
स्पष्ट
किया
कि
अभियोजन
पक्ष
को
मामले
को
“संदेह से
परे”
साबित
करना
होता
है,
जो
इस
मामले
में
किया
गया।
निष्कर्ष
यह मामला पारिवारिक विवाद और
“इज्जत”
के मुद्दे के कारण हुई एक भयावह हत्या का है। कोर्ट ने तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्तों को दोषी ठहराया। इस फैसले से यह संदेश मिलता है कि भारतीय न्याय प्रणाली व्यक्तिगत प्रतिशोध के आधार पर की गई हिंसा को सहन नहीं करती।
पूरा फैसला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें