निर्णय की सरल व्याख्या
हाल ही में पटना उच्च न्यायालय ने एक विश्वविद्यालय अधिकारी के वेतन संशोधन के मामले में महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता, जो बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में सहायक रजिस्ट्रार थे, ने छठे वेतन आयोग के तहत वेतन सुधार में अनावश्यक देरी के खिलाफ याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने कई बार प्रार्थनापत्र दिए, और अन्य कर्मचारियों के मामलों पर विश्वविद्यालय ने निर्णय भी कर लिया, फिर भी उनके मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे विवश होकर उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
राज्य सरकार ने अपने जवाब में यह स्वीकार किया कि मामला वेतनमान के सुधार से जुड़ा है और विश्वविद्यालय को रिकॉर्ड की जांच कर निर्णय लेना है। साथ ही यह भी बताया गया कि 27.08.2010 को जारी अधिसूचना के माध्यम से छठे वेतन आयोग के लाभ विश्वविद्यालय के गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों को पहले ही स्वीकृत किए जा चुके हैं।
इस देरी और राज्य सरकार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, माननीय न्यायालय ने विश्वविद्यालय के कुलपति को आदेश दिया कि वे याचिकाकर्ता की पात्रता पर 60 दिनों के भीतर अंतिम निर्णय लें। यदि याचिकाकर्ता योग्य पाए जाते हैं, तो 30 दिनों के भीतर संशोधित वेतन और सभी लाभ प्रदान किए जाएं।
यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि सेवा से जुड़े मामलों में प्रशासनिक पक्षों की जिम्मेदारी तय हो और कर्मचारियों को समय पर लाभ मिलें।
इस निर्णय का महत्व
यह निर्णय सरकारी और विश्वविद्यालय कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करता है, जो प्रशासनिक उदासीनता के शिकार होते हैं। यह आम नागरिकों, विशेष रूप से राज्य संचालित संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों को यह मार्ग दिखाता है कि वेतन या सेवा लाभ में देरी होने पर न्यायालय का सहारा लिया जा सकता है।
साथ ही यह निर्णय प्रशासनिक निकायों को यह याद दिलाता है कि वेतनमान अधिसूचना जारी होने के बाद सभी पात्र कर्मचारियों को निष्पक्ष और समयबद्ध लाभ देना उनकी जिम्मेदारी है।
निर्णयित कानूनी मुद्दे और न्यायालय का निर्णय
- कानूनी मुद्दा: क्या याचिकाकर्ता का छठे वेतन आयोग के तहत वेतन सुधार अनुचित रूप से विलंबित किया जा रहा था?
- न्यायालय का निर्णय:
- विश्वविद्यालय 60 दिनों में याचिकाकर्ता की पात्रता पर निर्णय ले।
- यदि पात्रता स्वीकृत हो, तो 30 दिनों में संशोधित वेतन और लाभ प्रदान किए जाएं।
वाद का नाम
गुलजार राम बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
मामला संख्या
नागरिक रिट याचिका संख्या 1184/2017
उद्धरण (Citation)
2020 (1) PLJR 3
पीठ और न्यायाधीशों के नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय
अधिवक्ताओं के नाम
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री हरेंद्र कुमार तिवारी
- प्रतिवादी की ओर से: श्री कामेश्वर कुमार (जीपी 17), श्री एस. के. रंजन (एसी टू जीपी 17)
निर्णय लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MyMxMTg0IzIwMTcjMSNO-86vHBXt0M48=