निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने तीन जुड़ी हुई अपीलों पर फैसला सुनाया, जो कि किउल घाटी परियोजना के अंतर्गत भूमि अधिग्रहण के मुआवजे से संबंधित थीं। याचिकाकर्ता (भूमि स्वामी) ने जमुई के अवर न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें राजपुरा और प्रतापुर गांवों की भूमि के लिए निर्धारित मुआवजा अपर्याप्त बताया गया था।
यह भूमि नहर और बांध निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्हें मात्र ₹1,745 से ₹22,236 तक की राशि दी गई, जो बहुत कम है। उन्होंने कहा कि भूमि उपजाऊ थी, कीउल नदी के समीप थी, और इसमें गन्ना तथा धान जैसी फसलें उगाई जाती थीं। उनके अनुसार भूमि का मूल्य ₹10,000 प्रति एकड़ से कम नहीं हो सकता था।
हालांकि, निचली अदालत ने सरकारी रिकॉर्ड, रजिस्ट्रेशन कार्यालय के आंकड़े और स्थानीय निरीक्षण के आधार पर मुआवजे का निर्धारण किया। औसत मूल्य ₹1260 से ₹1380 प्रति एकड़ निर्धारित किया गया। याचिकाकर्ता न तो उपयुक्त बिक्री पत्र (sale deed) प्रस्तुत कर सके, न ही भूमि की उपज या नुकसान का कोई साक्ष्य।
दो बिक्री पत्र (प्रस्तावक गवाहों द्वारा) प्रस्तुत किए गए, लेकिन अदालत ने उन्हें अस्वीकार कर दिया क्योंकि:
- वे भूमि उस स्थान से दूर स्थित थी जहाँ अधिग्रहण हुआ;
- खरीदार ने निजी कारणों से अधिक कीमत दी हो सकती है;
- कोई खातियान या फसल पैदावार का रिकॉर्ड नहीं था।
हाईकोर्ट ने पाया कि अवर न्यायाधीश का निर्णय पूरी तरह उचित था। तीन में से केवल एक मामले में — 0.915 एकड़ प्रतापुर भूमि — में मुआवजा ₹134.30 की वृद्धि के साथ स्वीकृत किया गया, जिस पर 6% वार्षिक ब्याज भी मिलेगा। बाकी दो मामलों को खारिज कर दिया गया।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला भूमि अधिग्रहण से जुड़े मामलों में प्रमाणिक दस्तावेजों की आवश्यकता को स्पष्ट करता है। यदि कोई भूमि स्वामी मुआवजे को चुनौती देना चाहता है, तो उसे उपयुक्त बिक्री पत्र, खातियान और उत्पादन आंकड़े प्रस्तुत करने होंगे। बिना ठोस प्रमाण के अदालतें मुआवजा नहीं बढ़ातीं। यह फैसला पुराने अधिग्रहण मामलों में भी न्यायिक स्थिरता और प्रक्रिया की पारदर्शिता को दर्शाता है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- मुद्दा: क्या किउल घाटी परियोजना के अंतर्गत अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा कम था?
- निर्णय:
- याचिकाकर्ता कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका।
- केवल एक मामले में ₹134.30 की मामूली वृद्धि और 6% ब्याज का आदेश दिया गया।
- अन्य दो अपीलें खारिज की गईं।
- निर्णय:
मामले का शीर्षक
Shivendra Sharan Singh बनाम राज्य बिहार
केस नंबर
First Appeal Nos. 524, 525, and 526 of 1978
उद्धरण (Citation)
2020 (1) PLJR 17
न्यायमूर्ति गण का नाम
- Hon’ble श्री संजय प्रिया, न्यायाधीश
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- श्री प्रभात रंजन सिंह, अधिवक्ता (याचिकाकर्ता की ओर से)
- राज्य की ओर से कोई पेश नहीं हुआ
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MSM1MjQjMTk3OCMxI04=-CwjhjqDLjsg=
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