निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि शस्त्र लाइसेंस (arms license) केवल इस आधार पर अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि आवेदक को जान-माल का कोई सीधा खतरा नहीं है। यह फैसला एक पूर्व सैनिक के मामले में दिया गया, जो खगड़िया जिले में एक पेट्रोल पंप चला रहे थे और अपने व्यवसाय की सुरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस की मांग कर रहे थे।
आवेदक ने 2013 में शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन दिया था। अनुमंडल पदाधिकारी और परबत्ता थाना प्रभारी दोनों ने लाइसेंस की अनुशंसा की थी। बावजूद इसके, 2018 में जिलाधिकारी खगड़िया ने यह कहते हुए आवेदन को अस्वीकार कर दिया कि आवेदक को कोई खतरा नहीं है। इसके खिलाफ अपील की गई, लेकिन 2019 में मुंगेर के आयुक्त ने भी इसी आधार पर अपील खारिज कर दी।
हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आवेदक ने तर्क दिया कि 2016 के शस्त्र नियमों (Arms Rules, 2016) के अनुसार, केवल खतरे की स्थिति ही लाइसेंस के लिए जरूरी नहीं है। अगर किसी व्यक्ति का पेशा ऐसा है जहाँ जोखिम होता है, जैसे कि पेट्रोल पंप चलाना या आभूषण का व्यापार, तो यह भी लाइसेंस के लिए वैध कारण हो सकता है।
राज्य सरकार के वकील ने कहा कि जब खतरा नहीं है तो लाइसेंस की जरूरत नहीं है। लेकिन हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
अदालत ने यह भी कहा कि पहले के फैसलों जैसे दीपक कुमार बनाम बिहार राज्य में यह स्पष्ट किया गया है कि पेशे या व्यापार की प्रकृति के आधार पर भी लाइसेंस दिया जा सकता है। 2016 के शस्त्र नियमों के तहत, लाइसेंसिंग अधिकारी को केवल पुलिस रिपोर्ट पर नहीं, बल्कि पेशे और परिस्थितियों के आधार पर भी फैसला लेना चाहिए।
इसलिए कोर्ट ने जिलाधिकारी और आयुक्त के दोनों फैसलों को रद्द कर दिया और मामले को पुनः विचार के लिए जिलाधिकारी को भेज दिया।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला उन सभी लोगों के लिए राहत लेकर आया है जो जोखिम भरे पेशों में काम करते हैं—जैसे पूर्व सैनिक, पेट्रोल पंप संचालक, ज्वेलर्स आदि। अब शस्त्र लाइसेंस के लिए “सीधा खतरा” होना जरूरी नहीं है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रशासन नियमों की सही व्याख्या करे और लाइसेंस देने में मनमानी ना हो।
सरकारी अधिकारियों के लिए यह आदेश एक मार्गदर्शन है कि शस्त्र लाइसेंस मामले में नियमों की सही और व्यावहारिक व्याख्या करें और केवल खतरे की अनुपस्थिति के आधार पर आवेदन खारिज न करें।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या खतरे की अनुपस्थिति शस्त्र लाइसेंस के लिए अस्वीकृति का वैध आधार है?
- नहीं, पेशे और परिस्थितियों को भी ध्यान में रखना जरूरी है।
- क्या जिलाधिकारी और आयुक्त के आदेश विधिक रूप से सही थे?
- नहीं, ये आदेश कानून और न्यायिक निर्णयों के अनुरूप नहीं थे।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- Amrendra Kumar Singh v. State of Bihar, 2008 (1) PLJR 151
- Manish Kumar v. State of Bihar, 2015 (4) PLJR 212
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- State of Bihar v. Deepak Kumar, 2019 SCC OnLine Pat 3759
- State of Bihar v. Manish Kumar, LPA No. 459 of 2018
मामले का शीर्षक
रंजन कुमार मंडल बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 4117 of 2020
उद्धरण (Citation)– 2025 (1) PLJR 23
न्यायमूर्ति गण का नाम
Hon’ble श्री मोहित कुमार शाह
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री रंजीत कुमार सिंह
- राज्य की ओर से: श्री सरोज कुमार शर्मा, सहायक सरकारी अधिवक्ता (AAG-3)
निर्णय का लिंक–
MTUjNDExNyMyMDIwIzEjTg==-d94i–ak1–Sf5tMo=
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