पटना हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: 2015 में नियुक्त प्रखंड शिक्षकों को नियमित करने और वेतन देने का आदेश

पटना हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: 2015 में नियुक्त प्रखंड शिक्षकों को नियमित करने और वेतन देने का आदेश

निर्णय की सरल व्याख्या:

पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में उन प्रखंड शिक्षकों के पक्ष में निर्णय दिया है, जिन्हें वर्ष 2015 से 2019 के बीच बिहार शिक्षक नियोजन नियमावली 2006 और 2008 के तहत नियुक्त किया गया था। ये शिक्षक सारण जिले के विभिन्न मध्य विद्यालयों में कार्यरत थे।

बाद में शिक्षा विभाग ने इन शिक्षकों को वेतन देने से मना कर दिया और यह तर्क दिया कि 2012 में आई नई शिक्षक बहाली नियमावली लागू हो चुकी थी, और इसके अनुसार इनकी नियुक्तियाँ वैध नहीं थीं। विभाग ने यह भी कहा कि इन पुरुष शिक्षकों की नियुक्ति पिछड़ा वर्ग की महिला कोटे में गलती से हो गई थी, इसलिए यह नियुक्ति अमान्य है।

इससे पहले, इन शिक्षकों ने 2019 में एक रिट याचिका CWJC No. 13444 of 2019 दायर की थी, जिसमें कोर्ट ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया था कि यदि ये नियुक्तियाँ वैध पाई जाती हैं, तो इन शिक्षकों को वेतन दिया जाए। लेकिन विभाग ने इस आदेश का पालन नहीं किया और फिर से नियुक्ति की वैधता को चुनौती दी।

अब कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि पूर्ववर्ती आदेश में नियमों की वैधता का मुद्दा पहले ही तय हो चुका है, और विभाग अब वही मुद्दा फिर से नहीं उठा सकता। इसे “constructive res judicata” कहा गया, यानी पहले न उठाए गए मुद्दे को बाद में नहीं उठाया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि चूंकि इन शिक्षकों की नियुक्ति उस समय लागू नियमों के अनुसार हुई थी और इन्होंने 2015 से 2019 तक लगातार सेवा दी है, इसलिए इन्हें नियमित किया जाए और वेतन व अन्य लाभ दिए जाएं।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर:

यह निर्णय बिहार के हजारों संविदा और प्रखंड शिक्षकों के लिए राहत का संदेश लेकर आया है। यह स्पष्ट करता है कि यदि किसी की नियुक्ति उस समय लागू नियमों के अनुसार हुई है, तो बाद में नियम बदल जाने पर उसे अवैध नहीं ठहराया जा सकता।

सरकारी विभागों के लिए यह चेतावनी भी है कि वे न्यायालय के आदेशों का समय पर पालन करें और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखें, ताकि भविष्य में कानूनी अड़चनें न आएं।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में):

  • क्या 2006/2008 नियमों के तहत नियुक्त शिक्षकों पर 2012 नियम लागू होते हैं?
    ❌ नहीं। कोर्ट ने कहा कि उस समय के लागू नियमों के अनुसार नियुक्तियाँ वैध हैं।
  • क्या राज्य अब 2012 नियमों की applicability का मुद्दा उठा सकता है?
    ❌ नहीं। यह पहले नहीं उठाया गया, इसलिए अब उठाना कानूनन वर्जित है (constructive res judicata)।
  • क्या याचिकाकर्ता नियमितीकरण और वेतन के पात्र हैं?
    ✅ हाँ। इन्हें 30 दिनों में नियमित कर वेतन और अन्य लाभ देने का आदेश।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय:

  • CWJC No. 13444 of 2019 (पूर्व में वेतन संबंधी मामला)

मामले का शीर्षक:
Raghubir Thakur & Ors. vs. State of Bihar & Ors.

केस नंबर:
CWJC No. 140 of 2020

उद्धरण (Citation):– 2025 (1) PLJR 65

न्यायमूर्ति गण का नाम:
माननीय श्री न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए:

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री देवेंद्र कुमार सिन्हा (वरिष्ठ अधिवक्ता), श्री अबू हैदर, श्री अबू शजार
  • राज्य की ओर से: श्री प्रियदर्शी मातृ शरण (एसी टू एएजी-15)

निर्णय का लिंक:
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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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