पटना हाई कोर्ट ने फार्मेसी शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का निर्देश देने से किया इनकार, निर्णय सरकार पर छोड़ा

पटना हाई कोर्ट ने फार्मेसी शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का निर्देश देने से किया इनकार, निर्णय सरकार पर छोड़ा

निर्णय की सरल व्याख्या

20 नवम्बर 2024 को पटना उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि वह सरकार को यह निर्देश नहीं दे सकता कि वह फार्मेसी शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 से बढ़ाकर 67 वर्ष करे। यह याचिका बिहार प्रदेश फार्मेसी टीचर्स एसोसिएशन और उसके अध्यक्ष द्वारा दायर की गई थी। उनका कहना था कि फार्मेसी शिक्षा को पहले ही मेडिकल शिक्षा का हिस्सा माना जा चुका है, इसलिए फार्मेसी शिक्षकों को भी उन्हीं नियमों के तहत लाभ मिलना चाहिए, जिनके तहत डॉक्टर्स, आयुष शिक्षकों, डेंटल सेवाओं के शिक्षक आदि की सेवानिवृत्ति आयु पहले ही 67 वर्ष कर दी गई है।

याचिकाकर्ताओं ने विधानसभा में दिए गए उस सरकारी बयान का भी हवाला दिया जिसमें यह कहा गया था कि फार्मेसी संस्थान के नियमित शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु को 65 से 67 वर्ष करने पर विचार चल रहा है।

राज्य सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाना एक नीति निर्णय (policy decision) है और इसके लिए सेवा नियमों में बदलाव करना होता है, जो सिर्फ सरकार कर सकती है। इसलिए अदालत इस पर कोई आदेश नहीं दे सकती।

न्यायालय ने माना कि फार्मेसी शिक्षकों की आयु बढ़ाने के लिए बिहार सेवा संहिता में संशोधन जरूरी है और यह सरकार का अधिकार क्षेत्र है। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने सीमित अधिकारों का हवाला देते हुए याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन सरकार को यह सुझाव दिया कि वह अपने विवेक से इस मांग पर विचार कर सकती है, खासकर जब विधानसभा में इस विषय पर बयान दिया जा चुका है।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय यह सिद्ध करता है कि अदालतें नीतिगत मामलों में तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं जब तक कि वे भेदभावपूर्ण या असंवैधानिक न हों। इससे सरकारी कर्मचारियों को यह समझने में मदद मिलेगी कि सेवानिवृत्ति आयु या सेवा शर्तों में बदलाव केवल विधायी या प्रशासनिक माध्यमों से ही संभव है।

सरकार के लिए यह निर्णय एक संकेत है कि अलग-अलग विभागों में सेवानिवृत्ति आयु के असमान मानदंडों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए, ताकि सभी संबंधित शिक्षकों और कर्मचारियों को समान लाभ मिल सके।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • मुद्दा: क्या उच्च न्यायालय सरकार को यह निर्देश दे सकता है कि वह फार्मेसी शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 से 67 वर्ष करे?
    • निर्णय: नहीं, यह एक नीति निर्णय है और इसके लिए अदालत आदेश नहीं दे सकती।
  • मुद्दा: क्या फार्मेसी शिक्षकों को उन अन्य स्वास्थ्य विभागों के समकक्ष माना जाना चाहिए जिनकी आयु पहले ही 67 वर्ष की जा चुकी है?
    • निर्णय: न्यायालय ने इस मुद्दे को सरकार के विवेक पर छोड़ दिया है।

मामले का शीर्षक

बिहार प्रदेश फार्मेसी टीचर्स एसोसिएशन बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 8800 of 2016

उद्धरण (Citation)- 2025 (1) PLJR 73

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति नानी टैगिया

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री राजेन्द्र नारायण (वरिष्ठ अधिवक्ता), श्रीमती अंजू कुमारी, श्रीमती अन्नपूर्णा सिन्हा, श्री अनंत कुमार सिन्हा
  • प्रतिवादी की ओर से: श्री शुद्धांशु भूषण, सहायक महाधिवक्ता (AC to GP-7)

निर्णय का लिंक

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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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