पटना उच्च न्यायालय ने दूसरी एसीपी (ACP) लाभ में देरी को गलत ठहराया

पटना उच्च न्यायालय ने दूसरी एसीपी (ACP) लाभ में देरी को गलत ठहराया

निर्णय की सरल व्याख्या

इस मामले में एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी, जो बिहार सरकार के लघु जल संसाधन विभाग में कार्यरत थे, ने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उनका कहना था कि उन्हें “दूसरा आश्वस्त कॅरियर उन्नयन” (Assured Career Progression – ACP) समय पर नहीं दिया गया।

उन्होंने 25 मार्च 1983 को सेवा ज्वाइन की थी। सरकार की 2003 की ACP योजना के अनुसार, पहली ACP 12 वर्षों की सेवा के बाद और दूसरी ACP 24 वर्षों की सेवा पूरी होने पर दी जानी चाहिए। इसका मतलब है कि याचिकाकर्ता को 25 मार्च 2007 को दूसरी ACP का लाभ मिलना चाहिए था। लेकिन विभाग ने उन्हें यह लाभ 2 मई 2011 से दिया, जोकि चार साल देर से था।

पहले भी याचिकाकर्ता ने इसी विषय पर एक अलग याचिका (CWJC No. 15700 of 2012) दायर की थी, जिस पर न्यायालय ने निर्देश दिया था कि लाभ दिया जाए। विभाग ने उसके बाद 6 नवम्बर 2013 को आदेश जारी किया, लेकिन तारीख गलत चुनी गई — 2 मई 2011 से लाभ देना शुरू किया गया।

राज्य सरकार ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने 2 मई 2001 को एक विभागीय परीक्षा पास की थी, और उसी के 12 साल बाद (2 मई 2011) ACP दिया गया। लेकिन न्यायालय ने पाया कि यह तर्क आदेश में कहीं भी स्पष्ट नहीं था और यह ACP योजना के नियमों के अनुसार भी नहीं था।

2003 की ACP योजना के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी योजना लागू होने तक 12 साल की सेवा पूरी कर चुका हो और उसे पहली ACP मिल चुकी हो, तो दूसरी ACP सीधे 24 वर्षों की सेवा के बाद दी जानी चाहिए — न कि किसी परीक्षा या योग्यता की तारीख से।

न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार का निर्णय पूरी तरह से अनुचित था और उसे दूसरी ACP की गणना 25 मार्च 1983 से करते हुए 25 मार्च 2007 से लाभ देना चाहिए था। साथ ही तीन महीने के भीतर संबंधित सभी वित्तीय लाभ देने का भी निर्देश दिया गया।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय सरकार के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है। यह स्पष्ट करता है कि सरकारी विभागों को ACP जैसी योजनाओं को नियम के अनुसार समय पर लागू करना अनिवार्य है। यदि कर्मचारी को समय पर लाभ नहीं दिया जाता है, तो वह न्यायालय की शरण ले सकता है।

बिहार जैसे राज्यों में जहाँ सरकारी सेवा में वर्षों तक पदोन्नति नहीं होती, वहां ऐसे लाभ कर्मचारी के जीवन में बड़ा अंतर ला सकते हैं। इस फैसले से यह भी संकेत मिलता है कि यदि सरकार पहले कोर्ट के आदेश का सही पालन नहीं करती, तो आगे की कार्रवाई में उसे जवाबदेह ठहराया जा सकता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • मुद्दा: क्या याचिकाकर्ता को दूसरी ACP लाभ में अनुचित देरी हुई?
    • निर्णय: हां, उन्हें यह लाभ 25 मार्च 2007 से मिलना चाहिए था।
  • मुद्दा: क्या विभागीय परीक्षा की तारीख ACP लाभ के लिए प्रासंगिक है?
    • निर्णय: नहीं, ACP योजना सेवा अवधि पर आधारित है।
  • मुद्दा: क्या विभाग ने पहले कोर्ट आदेश का सही पालन किया?
    • निर्णय: नहीं, आदेश अनुचित और योजना के खिलाफ था।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • 2003 की ACP योजना (धारा 3(1)(1d)(II))
  • मामले का शीर्षक
  • Birendra Kumar बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर
CWJC No. 12517 of 2014

उद्धरण (Citation)
2020 (1) PLJR 70

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री रुपक कुमार, याचिकाकर्ता की ओर से
  • श्री अनुज कुमार, सहायक सरकारी अधिवक्ता (GP XXIV) राज्य की ओर से

निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMTI1MTcjMjAxNCMxI04=—am1–zeM0sd4hSY=

“यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।”

Aditya Kumar

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