भूमि अधिग्रहण मुआवजे के मामले में पटना हाई कोर्ट का निर्देश: नई सुनवाई कर सही फैसला लें अधिकारी

भूमि अधिग्रहण मुआवजे के मामले में पटना हाई कोर्ट का निर्देश: नई सुनवाई कर सही फैसला लें अधिकारी

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए एक भूमि मालिक के पक्ष में आदेश दिया, जिसने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 के तहत अधिग्रहित भूमि के मुआवजे को नकारे जाने को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता को भूमि अधिग्रहण पदाधिकारी (LAO) द्वारा यह कहकर मुआवजा देने से मना कर दिया गया कि दावा देर से किया गया और उसने मालिकाना हक साबित नहीं किया।

यह मामला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19 के चौड़ीकरण से जुड़ा था। याचिकाकर्ता का कहना था कि उसने मालिकाना हक सिद्ध करने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज—जैसे कि जमाबंदी, रसीदें और भू-राजस्व रिकार्ड—प्रस्तुत किए थे। फिर भी उसका दावा बिना समुचित जांच के खारिज कर दिया गया।

कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज स्पष्ट रूप से यह दर्शाते थे कि वह जमीन का वैध मालिक है। इसके बावजूद, LAO ने दावा खारिज करते समय कोई ठोस कारण नहीं बताया और सिर्फ देरी और अपर्याप्त दस्तावेज का हवाला दिया।

याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि अन्य लोगों को समान परिस्थिति में मुआवजा दिया गया है, लेकिन उसे बिना किसी उचित कारण के इससे वंचित कर दिया गया।

NHAI की ओर से पेश वकील ने कहा कि LAO का निर्णय अंतिम है और प्रक्रिया अनुसार लिया गया है। लेकिन कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि हर दावेदार को एक उचित, तर्कपूर्ण और कानूनी रूप से सही आदेश पाने का अधिकार है। सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए दावे को खारिज करना सही नहीं है।

अंत में, हाई कोर्ट ने LAO के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता के दावे पर दोबारा विचार करने का निर्देश दिया। साथ ही, यह भी कहा गया कि यह प्रक्रिया कानून के अनुसार होनी चाहिए और याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका मिलना चाहिए।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला भूमि अधिग्रहण से प्रभावित नागरिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह दिखाता है कि सरकार द्वारा किसी भी सार्वजनिक परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि के बदले मुआवजा देना केवल एक औपचारिक कार्य नहीं है, बल्कि एक कानूनी जिम्मेदारी है जो पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ निभाई जानी चाहिए।

इस निर्णय से आम जनता को यह भरोसा मिलता है कि अगर उनका दावा उचित है, तो वह न्यायालय के माध्यम से अपना हक प्राप्त कर सकते हैं, भले ही अधिकारी शुरुआत में उसे खारिज कर दें।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या LAO मुआवजे का दावा बिना विस्तृत कारण बताए खारिज कर सकता है?
    ❖ नहीं। बिना कारण बताए किया गया खारिज करना कानूनन गलत है।
  • क्या सिर्फ देरी के आधार पर दावा खारिज किया जा सकता है?
    ❖ नहीं। देरी के साथ अन्य तथ्यों को भी देखना ज़रूरी है।
  • क्या याचिकाकर्ता को फिर से सुनवाई का अधिकार है?
    ❖ हां। कोर्ट ने नई सुनवाई और सही जांच के निर्देश दिए।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
कोई विशेष निर्णय पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
कोई विशेष निर्णय स्पष्ट रूप से नहीं उद्धृत किया गया।

मामले का शीर्षक
[Name Redacted] बनाम भारत संघ एवं अन्य

केस नंबर
CWJC No. 11014 of 2023

उद्धरण (Citation)
2020 (1) PLJR 123

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री उदय प्रकाश — याचिकाकर्ता की ओर से
  • श्री अमित कुमार (CGC) — भारत सरकार की ओर से
  • श्री राजीव कुमार — राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से

निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTYjMzY3IzIwMjAjMSNO-enwFHBCpRwQ=

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Aditya Kumar

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