निर्णय की सरल व्याख्या
20 दिसंबर 2024 को पटना हाई कोर्ट ने एक ऐसी याचिका खारिज कर दी, जिसमें पहले से ब्लैकलिस्ट ठेकेदार ने खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा दिए गए परिवहन अनुबंध को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता पहले ही बिहार राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम (BSFC) द्वारा पाँच वर्षों के लिए अयोग्य घोषित की जा चुकी थी।
मामला एक टेंडर (NIT संख्या 723 दिनांक 08.06.2024) से जुड़ा था, जो अनाज के परिवहन और हैंडलिंग से संबंधित था। याचिकाकर्ता पहले की एक निविदा में शामिल हुई थीं, लेकिन अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं कर सकीं क्योंकि ट्रक मालिकों ने अपने वाहन किराया अनुबंध को रद्द कर दिया था। अतिरिक्त समय दिए जाने के बावजूद, याचिकाकर्ता समय पर अनुबंध नहीं कर पाईं।
बाद में निगम ने नई निविदा जारी की, लेकिन याचिकाकर्ता ब्लैकलिस्ट होने के कारण उसमें हिस्सा नहीं ले सकीं। उन्होंने यह तर्क दिया कि अन्य ठेकेदारों को अनुबंध पर हस्ताक्षर के बाद अपने वाहनों को बदलने की अनुमति मिली, इसलिए उन्हें भी यही सुविधा दी जानी चाहिए थी। इसके लिए उन्होंने निविदा के क्लॉज 11(xxv) का हवाला दिया।
लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि यह क्लॉज केवल अनुबंध के बाद वाहन बदलने की अनुमति देता है, पहले नहीं। याचिकाकर्ता तो अनुबंध पर हस्ताक्षर ही नहीं कर पाईं, इसलिए उनका तर्क अपात्र था।
इसके अलावा, उन्होंने जिन ठेकेदारों को चुनौती दी थी, उन्हें याचिका में पक्षकार (party) ही नहीं बनाया गया। कोर्ट ने इसे गंभीर प्रक्रिया त्रुटि माना।
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका का उद्देश्य केवल पिछले अयोग्यता और ब्लैकलिस्टिंग से उत्पन्न नाराजगी को निकालना था। न्यायालय ने इसे “गलत और अनुचित” याचिका मानते हुए खारिज कर दिया।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला स्पष्ट करता है कि यदि कोई व्यक्ति वैध रूप से ब्लैकलिस्ट हो चुका है और न्यायालय उस निर्णय की पुष्टि कर चुका है, तो वह फिर से किसी नई सरकारी निविदा प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे सकता।
यह निर्णय यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी भी टेंडर में भाग लेने वाले व्यक्ति को सभी नियमों का पालन करना होगा, जैसे कि समय पर अनुबंध पर हस्ताक्षर करना और वैध दस्तावेज देना।
साथ ही, अगर कोई व्यक्ति अन्य पक्षों के खिलाफ आरोप लगाता है, तो उसे उन पक्षों को भी केस में शामिल करना जरूरी है। बिना उन्हें पक्ष बनाए, किसी भी याचिका को सही तरीके से नहीं सुना जा सकता।
इससे न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धी निविदाओं की निष्पक्षता बनी रहती है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या ब्लैकलिस्ट ठेकेदार नई टेंडर प्रक्रिया को चुनौती दे सकता है?
✔ नहीं, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ब्लैकलिस्ट व्यक्ति नई निविदा पर सवाल नहीं उठा सकता। - क्या अनुबंध से पहले वाहन बदले जा सकते हैं?
✔ नहीं, क्लॉज 11(xxv) के अनुसार वाहन केवल अनुबंध के बाद बदले जा सकते हैं। - क्या याचिका वैध होती है जब जरूरी पक्षों को शामिल न किया जाए?
✔ नहीं, याचिका दोषपूर्ण मानी गई क्योंकि चुनौती दिए गए पक्षों को शामिल नहीं किया गया। - क्या यह मामला संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय की विशेष शक्ति का उपयोग योग्य था?
✔ नहीं, कोर्ट ने कोई असाधारण परिस्थिति नहीं पाई जिससे यह याचिका स्वीकार की जाती।
मामले का शीर्षक
सीता देवी बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 19215 of 2024
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री के. विनोद चंद्रन (मुख्य न्यायाधीश)
माननीय श्री नानी टैगिया
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से: श्री राजेन्द्र नारायण, वरिष्ठ अधिवक्ता; श्री उदय कुमार, अधिवक्ता
BSFC की ओर से: श्री अंजनी कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता; श्री शैलेन्द्र कुमार सिंह, अधिवक्ता
राज्य की ओर से: श्री अमित प्रकाश (GA-13); श्री डी.के. सिंह, अधिवक्ता
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