पटना हाई कोर्ट ने अस्पष्ट अपीली आदेश को रद्द किया, ब्लैकलिस्टिंग विवाद में पुनः सुनवाई का निर्देश

पटना हाई कोर्ट ने अस्पष्ट अपीली आदेश को रद्द किया, ब्लैकलिस्टिंग विवाद में पुनः सुनवाई का निर्देश

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट ने 5 अक्टूबर 2024 को एक महत्त्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए एक अस्पष्ट अपीली आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक निजी अस्पताल को दो वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। न्यायालय ने यह कहते हुए आदेश को निरस्त किया कि इसमें किसी भी प्रकार का तर्क या स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है, और संबंधित प्राधिकारी को याचिकाकर्ता की अपील को दोबारा सुनने व “स्पष्ट और तर्कयुक्त” (speaking order) निर्णय पारित करने का निर्देश दिया।

मामला एक निजी अस्पताल को सरकार द्वारा स्वास्थ्य संस्थानों में मैनपावर सप्लाई के लिए दिए गए ठेके से जुड़ा था। यह अनुबंध 1 दिसंबर 2022 को एक वर्ष के लिए दिया गया था। बाद में विभाग ने याचिकाकर्ता को अनुबंध रद्द करने और दो वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट करने का नोटिस जारी किया।

याचिकाकर्ता ने पहले एक रिट याचिका (CWJC No. 8122 of 2023) दाखिल की थी, जिसमें हाई कोर्ट ने विभाग को निर्देश दिया था कि वह नया कारण बताओ नोटिस जारी करे, जिसमें प्रस्तावित कार्रवाई स्पष्ट रूप से बताई जाए, और सुनवाई में याचिकाकर्ता को उपस्थित रहने का अवसर दिया जाए।

विभाग ने इसके बाद एक विस्तृत आदेश पारित किया, जिसमें अनुबंध रद्द करने के साथ-साथ दो वर्षों की ब्लैकलिस्टिंग का निर्णय लिया गया। याचिकाकर्ता ने इस आदेश के विरुद्ध अपील दायर की, लेकिन अपीली प्राधिकारी ने यह कहते हुए अपील खारिज कर दी कि कोई नया साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।

इस पर याचिकाकर्ता ने फिर से हाई कोर्ट का रुख किया और अपीली आदेश (Annexure-P/12) को यह कहते हुए चुनौती दी कि यह “नॉन-स्पीकिंग” (अस्पष्ट और बिना तर्क के) है।

कोर्ट ने यह माना कि चाहे मूल आदेश विस्तार से लिखा गया हो, अपीली प्राधिकारी को खुद से तथ्यों की समीक्षा कर उचित कारणों के साथ निर्णय देना अनिवार्य है। “नया साक्ष्य नहीं है” यह कहकर अपील को खारिज करना न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।

अतः कोर्ट ने अपीली आदेश को रद्द कर दिया और प्राधिकारी को निर्देश दिया कि वह अपील को फिर से सुनकर उचित कारणों सहित नया निर्णय दे।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय इस बात को दोहराता है कि अपीली प्राधिकारी को प्रत्येक अपील पर स्वतः विचार कर तर्कयुक्त आदेश देना जरूरी है, विशेष रूप से जब मामला ब्लैकलिस्टिंग जैसा गंभीर हो।

निजी संस्थानों, अस्पतालों, ठेकेदारों और सेवा प्रदाताओं के लिए यह फैसला राहतपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि विभागीय निर्णयों के खिलाफ अपील को उचित और निष्पक्ष रूप से सुना जाए।

सरकारी विभागों के लिए यह निर्णय स्पष्ट संकेत है कि अपीली प्रक्रिया को औपचारिकता मानकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सभी अपीलों पर विस्तृत विचार, दस्तावेजों की समीक्षा और कारण सहित निर्णय देना आवश्यक है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या अपीली प्राधिकारी को तर्कयुक्त आदेश देना अनिवार्य है?
    ✔ हाँ, कोर्ट ने कहा कि अपीली आदेश में कारण और तथ्य आधारित निष्कर्ष होना चाहिए।
  • क्या बिना साक्ष्य पर विचार किए अपील खारिज की जा सकती है?
    ✔ नहीं, ऐसा आदेश “नॉन-स्पीकिंग” माना जाएगा और अवैध होगा।
  • क्या “नया साक्ष्य नहीं है” कहकर अपील को खारिज करना उचित है?
    ✔ नहीं, प्राधिकारी को पहले से उपलब्ध साक्ष्य पर भी विचार करना आवश्यक है।
  • क्या राहत प्रदान की गई?
    ✔ हाँ, कोर्ट ने अपीली आदेश रद्द कर अपील की पुनः सुनवाई का निर्देश दिया।

मामले का शीर्षक
M/s वैष्णवी हॉस्पिटल बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 12018 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री के. विनोद चंद्रन (मुख्य न्यायाधीश)
माननीय श्री पार्थ सार्थी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अजय कुमार ठाकुर, श्री शिवम, श्रीमती वैष्णवी सिंह, अधिवक्ता
प्रतिकारी की ओर से: श्री पी.के. वर्मा (AAG-3), श्री संजय कुमार घोषर्वे (AC to AAG-3)

निर्णय का लिंक
https://www.patnahighcourt.gov.in/ShowPdf/web/viewer.html?file=../../TEMP/1051cd92-ed40-412c-8fb8-5127a244c9ab.pdf&search=Blacklisting

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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