बिना नोटिस के टैक्स डिमांड को पटना हाईकोर्ट ने किया रद्द

बिना नोटिस के टैक्स डिमांड को पटना हाईकोर्ट ने किया रद्द

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में जीएसटी विभाग द्वारा जारी ₹61 लाख से अधिक की टैक्स डिमांड को खारिज कर दिया। यह मामला एक ट्रैक्टर व्यवसायी से जुड़ा था, जिसने वित्तीय वर्ष 2018–2019 के लिए लगाए गए टैक्स, ब्याज और पेनल्टी के आदेश को अदालत में चुनौती दी थी।

व्यवसायी की मुख्य आपत्ति यह थी कि उन्हें न तो कोई शो-कॉज नोटिस दिया गया और न ही उन्हें अपनी बात रखने का अवसर मिला। साथ ही, उनके क्रेडिट लेजर में पहले से उपलब्ध इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को ध्यान में नहीं रखा गया। जब उन्होंने अपील दायर की, तो अपीलीय अधिकारी ने केवल 65 दिनों की देरी के आधार पर मामला खारिज कर दिया, बिना यह देखे कि असल में मामला क्या था।

हाईकोर्ट ने कहा कि अगर टैक्स अधिकारी एकतरफा (ex parte) कार्यवाही करते हैं, तब भी उन्हें कारण बताना अनिवार्य है कि टैक्स की गणना कैसे हुई। साथ ही, कानूनी प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय (Natural Justice) का पालन हर हाल में किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ यह तर्क कि अपील देर से दायर हुई, पर्याप्त नहीं है, खासकर जब मामला करोड़ों की देनदारी और बैंक खाता फ्रीज होने जैसे गंभीर परिणामों से जुड़ा हो।

इन सभी कारणों से कोर्ट ने न केवल टैक्स डिमांड को रद्द कर दिया बल्कि अपीलीय आदेश को भी खारिज कर दिया और पूरा मामला फिर से सुनवाई के लिए असली अधिकारी के पास भेज दिया। साथ ही, कोर्ट ने आदेश दिया कि व्यवसायी का बैंक खाता यदि फ्रीज किया गया है तो उसे तुरंत चालू किया जाए और अगली सुनवाई तक कोई भी जबरदस्ती वसूली न की जाए।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय न केवल व्यापारियों के लिए राहत है बल्कि टैक्स प्रशासन के लिए भी एक सख्त संदेश है:

  • किसी भी टैक्स डिमांड के पहले उचित नोटिस देना और सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है।
  • तकनीकी कारणों से अपील खारिज नहीं की जानी चाहिए यदि मामला गंभीर और व्यावहारिक हो।
  • जीएसटी कानून के तहत टैक्सपेयर के अधिकार सुरक्षित हैं, और उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।

यह फैसला उन सभी व्यापारियों और व्यक्तियों के लिए उम्मीद जगाता है जिन्हें बिना उचित प्रक्रिया के टैक्स नोटिस या जबरदस्ती की कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या बिना नोटिस के टैक्स डिमांड जारी करना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है?
    • हाँ; ऐसा आदेश कानूनन गलत माना जाएगा।
  • क्या सिर्फ देर से अपील करने के आधार पर मामले को खारिज किया जा सकता है?
    • नहीं; अपील की असल बातों को सुना जाना चाहिए।
  • क्या हाईकोर्ट जीएसटी की अपील प्रक्रिया के बावजूद हस्तक्षेप कर सकता है?
    • हाँ; जब साफ तौर पर न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हो रहा हो।

मामले का शीर्षक
M/s Shiv Shakti Tractors बनाम भारत संघ एवं अन्य

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No.129 of 2023

उद्धरण (Citation)– 2023 (2) PLJR 114

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री आलोक कुमार, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
डॉ. के.एन. सिंह (ASG), श्री अंशुमान सिंह (वरिष्ठ अधिवक्ता, CGST & CX), श्री विवेक प्रसाद (GP-7) — प्रतिवादियों की ओर से

निर्णय का लिंक
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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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