निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड (BSEB) द्वारा एक निजी कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट किए जाने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब बोर्ड खुद उस अनुबंध का पक्षकार ही नहीं था, तो उसे ब्लैकलिस्ट करने का अधिकार नहीं था।
मामले में याचिकाकर्ता एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है जिसे BELTRON (बिहार स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) द्वारा कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं के संचालन के लिए टेंडर प्रक्रिया के तहत चुना गया था। BELTRON और याचिकाकर्ता के बीच 30 अगस्त 2022 को सेवा समझौता (Service Agreement) हुआ था।
इस समझौते के तहत कंपनी ने STET, D.El.Ed., जॉइंट एंट्रेंस परीक्षा आदि के लिए कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं का संचालन शुरू किया। हालांकि, कुछ परीक्षाओं में गड़बड़ी और विलंब की शिकायतें आईं, जिसके बाद बोर्ड ने याचिकाकर्ता को कई शो-कॉज नोटिस जारी किए। याचिकाकर्ता ने जवाब भी दिया, लेकिन बोर्ड ने संतोषजनक न मानते हुए 20.10.2023 को एक आदेश जारी कर कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया।
याचिकाकर्ता ने इस आदेश को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी और तर्क दिया कि—
- BELTRON से अनुबंध था, न कि बोर्ड से;
- बोर्ड अनुबंध का पक्षकार नहीं है, इसलिए उसे ब्लैकलिस्ट करने का कोई अधिकार नहीं था;
- यह आदेश कंपनी के व्यापार और प्रतिष्ठा पर बहुत गंभीर प्रभाव डालता है, जिसे बिना अधिकार और उचित प्रक्रिया के पारित किया गया।
कोर्ट ने BELTRON और याचिकाकर्ता के बीच के समझौते की समीक्षा की और यह पाया कि—
- NIT (टेंडर नोटिस) BELTRON ने जारी किया था;
- बोर्ड केवल सेवा का लाभार्थी था, पर अनुबंध का पक्षकार नहीं था;
- अनुबंध की धारा 7 के अनुसार, केवल समझौते में शामिल पक्ष ही अनुबंध को समाप्त कर सकते हैं या कार्रवाई कर सकते हैं।
कोर्ट ने यह भी दोहराया कि ब्लैकलिस्ट करना एक गंभीर कार्रवाई है, जिससे “सिविल मृत्यु” जैसा प्रभाव पड़ता है, और इसे उचित कानूनी प्रक्रिया के बिना नहीं किया जा सकता।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला सरकारी संस्थाओं और ठेकेदारों के बीच संबंधों में पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया की अनिवार्यता को रेखांकित करता है। यह निर्णय स्पष्ट करता है कि यदि किसी संस्था ने सीधे अनुबंध नहीं किया है, तो वह सेवा प्रदाता पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकती।
साथ ही, यह निर्णय बिहार की उन सरकारी संस्थाओं के लिए भी मार्गदर्शन है जो BELTRON जैसे एजेंसियों के माध्यम से सेवाएं प्राप्त करती हैं। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से पहले वैधानिक अधिकार और प्रक्रिया का पालन हो।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या BSEB को बिना अनुबंध के किसी सेवा प्रदाता को ब्लैकलिस्ट करने का अधिकार था?
→ नहीं। बोर्ड अनुबंध का पक्षकार नहीं था, इसलिए उसे कोई अधिकार नहीं था। - क्या ब्लैकलिस्टिंग आदेश उचित प्रक्रिया और सोच-विचार के साथ पारित हुआ?
→ नहीं। आदेश में कोई स्पष्ट कारण या विस्तृत विचार नहीं था। - क्या ऐसे आदेश से याचिकाकर्ता को व्यापारिक और प्रतिष्ठात्मक नुकसान होता है?
→ हां। कोर्ट ने इसे “सिविल मृत्यु” की तरह गंभीर माना।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- Vetindia Pharmaceuticals Ltd. v. State of Uttar Pradesh, (2021) 1 SCC 804.
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- Kulja Industries Ltd. v. Chief General Manager, BSNL, (2014) 14 SCC 731.
मामले का शीर्षक
M/s Edutest Solutions Private Limited v. Bihar School Examination Board & Others
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No.16224 of 2023
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश
माननीय श्री न्यायमूर्ति हरीश कुमार
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- श्री मृगांक मौली, वरिष्ठ अधिवक्ता (याचिकाकर्ता की ओर से)
- श्री साकेत तिवारी, अधिवक्ता (याचिकाकर्ता की ओर से)
- श्री सत्यबीर भारती, अधिवक्ता (बोर्ड की ओर से)
- श्री अभिषेक आनंद, अधिवक्ता
- सुश्री मानवप्रिया, अधिवक्ता
यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।