निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक सरकारी ठेकेदार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने खुद को दस साल की ब्लैकलिस्टिंग से राहत देने की मांग की थी। यह ब्लैकलिस्टिंग उस पर एक जाली अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के कारण की गई थी।
यह ठेकेदार बिहार ठेकेदार पंजीकरण नियमावली, 2007 के अंतर्गत पंजीकृत था और बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (BSEIDC) द्वारा जारी टेंडर में आवेदन किया था। यह टेंडर समस्तीपुर जिले के मनिका में एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (G+2) भवन के निर्माण के लिए था।
जब टेंडर दस्तावेजों की जांच हुई, तो निगम को संदेह हुआ कि ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्र जाली है। इस पर निगम ने ठेकेदार को कारण बताओ नोटिस जारी किया और जवाब न मिलने पर 11 मई 2023 को 10 वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया।
कोर्ट में ठेकेदार ने कई दलीलें दीं:
- नोटिस में पर्याप्त जानकारी नहीं दी गई थी, जिससे वह प्रभावी उत्तर नहीं दे सका।
- उसका पंजीकरण किसी अन्य विभाग द्वारा किया गया था, और केवल वही विभाग उसे ब्लैकलिस्ट कर सकता है।
- टेंडर नोटिस पुराने नियमों के तहत था, लेकिन ब्लैकलिस्टिंग नए नियमों के तहत की गई।
- इसी तरह के मामलों में अन्य को सिर्फ एक साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया था।
हाईकोर्ट ने सभी तर्कों को खारिज करते हुए कहा:
- ब्लैकलिस्टिंग आदेश में स्पष्ट रूप से उस जाली प्रमाण पत्र का उल्लेख किया गया था।
- ठेकेदार ने कोर्ट में वह प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया और न ही इसे असली बताया।
- उसने गलती स्वीकार कर केवल रहम की मांग की थी।
- ब्लैकलिस्टिंग पंजीकरण रद्दीकरण नहीं है; संबंधित विभाग को यह अधिकार है।
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि ठेकेदार ने जिस विभाग (बिजली विभाग, मुज़फ्फरपुर) का प्रमाण पत्र था, उसे पार्टी नहीं बनाया और कई महत्वपूर्ण तथ्य छुपाए। इसलिए कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत कोई राहत देने से इनकार कर दिया।
हालाँकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ठेकेदार चाहें तो संबंधित विभाग से ब्लैकलिस्टिंग अवधि कम करने का निवेदन कर सकते हैं। याचिका को खारिज कर दिया गया।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला सरकारी टेंडरों में पारदर्शिता और ईमानदारी की महत्ता को दर्शाता है। ठेकेदारों के लिए यह चेतावनी है कि जाली दस्तावेज़ देना गंभीर अपराध है और इसके लिए कठोर दंड भुगतना पड़ सकता है।
सरकारी विभागों के लिए यह निर्णय मार्गदर्शक है कि यदि कोई ठेकेदार अनुचित तरीके अपनाए, तो उसे ब्लैकलिस्ट करने का अधिकार पूरी तरह वैध है। साथ ही, यह भी स्पष्ट हुआ कि ब्लैकलिस्टिंग और पंजीकरण रद्द करना दो अलग बातें हैं।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या संशोधित नियमों के तहत दी गई ब्लैकलिस्टिंग वैध थी, जबकि टेंडर पुराना था?
✔️ हाँ, कोर्ट ने माना कि धोखाधड़ी की स्थिति में नया नियम भी लागू किया जा सकता है। - क्या पंजीकरण देने वाले अलग विभाग होने पर ब्लैकलिस्टिंग नहीं की जा सकती?
❌ नहीं, संबंधित विभाग टेंडर शर्तों के उल्लंघन पर ब्लैकलिस्ट कर सकता है। - क्या बिना पर्याप्त विवरण वाले कारण बताओ नोटिस से ब्लैकलिस्टिंग अमान्य हो जाती है?
❌ नहीं, इस मामले में जाली प्रमाण पत्र का स्पष्ट उल्लेख था। - क्या ठेकेदार ब्लैकलिस्टिंग अवधि में राहत मांग सकता है?
✔️ हाँ, वह संबंधित विभाग से दया याचना कर सकता है।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- एक निर्णय (Annexure P/6) का हवाला दिया गया जिसमें ब्लैकलिस्टिंग को निरस्त किया गया था, पर कोर्ट ने उसे इस मामले में प्रासंगिक नहीं माना।
मामले का शीर्षक
Rama Shankar Choudhary v. Bihar State Educational Infrastructure Development Corporation Ltd. & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No.17182
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश
माननीय श्री न्यायमूर्ति राजीव रॉय
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री प्रभात रंजन — याचिकाकर्ता की ओर से
श्री गिरिजीश कुमार — निगम की ओर से
श्रीमती बिनीता सिंह (SC-28) — राज्य की ओर से
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