पटना हाईकोर्ट ने बिना सुनवाई जीएसटी पंजीकरण रद्द करने का आदेश रद्द किया

पटना हाईकोर्ट ने बिना सुनवाई जीएसटी पंजीकरण रद्द करने का आदेश रद्द किया

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने 09 दिसंबर 2022 को एक महत्वपूर्ण निर्णय में एक व्यवसाय के जीएसटी पंजीकरण को बहाल कर दिया, जिसे बिना उचित सुनवाई के कर विभाग द्वारा रद्द कर दिया गया था। यह व्यवसाय बिहार के पूर्णिया जिले में संचालित होता है और उसने अपनी याचिका में बताया कि उसका पंजीकरण एकतरफा तरीके से रद्द कर दिया गया, जबकि उसे न तो ठीक से नोटिस दिया गया और न ही सुनवाई का अवसर।

कर विभाग ने 19 दिसंबर 2019 को यह कहते हुए पंजीकरण रद्द कर दिया कि व्यापारी ने रिटर्न दाखिल नहीं किए। इसके खिलाफ अपील की गई, लेकिन अपीलीय प्राधिकारी ने भी अपील इस आधार पर खारिज कर दी कि यह देर से दायर की गई और साथ में प्रमाणित आदेश की प्रति नहीं लगाई गई थी।

याचिकाकर्ता ने बताया कि वह 2017 से नियमित रूप से जीएसटी रिटर्न दाखिल कर रहा है। महामारी के दौरान कुछ समय के लिए रिटर्न अपलोड करने में देरी हुई क्योंकि उसका काम एक टैक्स सलाहकार के जरिए होता था और कोविड-19 के कारण दिक्कतें आईं। व्यापारी ने यह भी कहा कि उसने किसी भी टैक्स की बकाया राशि नहीं छोड़ी है।

हाईकोर्ट ने माना कि जिस तरह से कर विभाग ने आदेश पारित किया, वह ना केवल अस्पष्ट था बल्कि उसमें रद्द करने का कोई ठोस कारण भी नहीं दिया गया। कोर्ट ने कहा कि जब किसी आदेश से नागरिक के अधिकारों पर असर पड़ता है, तो बिना सुनवाई के ऐसा आदेश देना कानून के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।

अंततः, कोर्ट ने कर विभाग का 19 दिसंबर 2019 का आदेश रद्द कर दिया और जीएसटी पंजीकरण को तुरंत बहाल करने का निर्देश दिया। साथ ही, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रिटर्न दाखिल करने में हुई देरी का मुद्दा दोबारा नहीं उठाया जाएगा।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला बिहार के छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए एक राहत भरा संदेश है। कई बार तकनीकी कारणों या आपदा जैसी परिस्थितियों में रिटर्न दाखिल करने में देरी हो जाती है, जिससे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि किसी भी प्रकार की सजा देने से पहले संबंधित व्यक्ति को सुना जाना जरूरी है।

यह निर्णय सरकारी अधिकारियों को भी यह याद दिलाता है कि आदेश पारित करते समय प्रक्रिया और कानून का पालन अनिवार्य है। विशेष रूप से कोविड-19 जैसी असाधारण परिस्थितियों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या बिना सुनवाई के जीएसटी पंजीकरण रद्द किया गया?
    ✔ हां, कोर्ट ने माना कि प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन हुआ।
  • क्या अपील तकनीकी आधार पर गलत तरीके से खारिज की गई?
    ✔ हां, कोर्ट ने कहा कि प्रक्रिया की गलती के कारण substantive न्याय नहीं रोका जा सकता।
  • क्या पंजीकरण को बहाल किया जाना चाहिए?
    ✔ हां, कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया।

मामले का शीर्षक
M/s Best Bricks बनाम भारत सरकार एवं अन्य

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 16203 of 2022

उद्धरण (Citation)– 2023 (1) PLJR 203

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री अनुराग सौरव, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
श्री अभिनव आलोक, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
श्री विवेक प्रसाद, सरकारी अधिवक्ता-7 — प्रतिवादी की ओर से

निर्णय का लिंक
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“यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।”

Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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