पंचायत चुनाव में मतगणना विवाद: पटना हाई कोर्ट ने पुनर्गणना के आदेश को सही ठहराया

पंचायत चुनाव में मतगणना विवाद: पटना हाई कोर्ट ने पुनर्गणना के आदेश को सही ठहराया

पटना हाई कोर्ट ने ग्राम पंचायत मुखिया चुनाव से जुड़े एक विवाद में दिए गए मतों की पुनर्गणना के आदेश को बरकरार रखते हुए याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि मतगणना में गड़बड़ी के आरोपों और आधिकारिक रिकॉर्ड में की गई काट-छांट के आधार पर निचली अदालत द्वारा पुनर्गणना का आदेश पूरी तरह उचित था।

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला मधेपुरा जिले के शंकरपुर प्रखंड स्थित ग्राम पंचायत राज, मौरा झरखाहा के मुखिया पद से जुड़ा है। याचिकाकर्ता को विजयी घोषित किया गया था और वह अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से केवल 10 मतों से जीता था। दूसरे स्थान पर रहे उम्मीदवार (प्रतिवादी संख्या 7) ने इस परिणाम को चुनाव याचिका के माध्यम से चुनौती दी, जिसमें मतगणना में गड़बड़ी और आधिकारिक रिकॉर्ड में हेराफेरी का आरोप लगाया गया था।

चुनाव याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय (मुनसिफ प्रथम, मधेपुरा) ने मतदान की पुनर्गणना का आदेश दिया। यह आदेश याचिकाकर्ता ने पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि:

  • अदालत ने यह नहीं बताया कि गड़बड़ियों का चुनाव परिणाम पर कोई प्रभाव पड़ा या नहीं।
  • सबूतों की पूरी तरह से जांच नहीं हुई।
  • केवल आरोपों के आधार पर पुनर्गणना का आदेश नहीं दिया जा सकता।

हाई कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मुनसिफ ने मूल दस्तावेजों की जांच की थी और पाया कि आधिकारिक फॉर्म (फॉर्म 20 भाग 1 व 2) में विशेष रूप से याचिकाकर्ता से संबंधित जगहों पर काट-छांट और ओवरराइटिंग की गई थी। यह संदेह पैदा करता है कि चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई हो सकती है।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी चुनाव में मतों की पुनर्गणना के लिए तीन मुख्य शर्तें होती हैं:

  1. याचिका में स्पष्ट तथ्यों के आधार पर आरोप लगाए गए हों।
  2. उन आरोपों का प्राथमिक साक्ष्य उपलब्ध हो।
  3. अदालत को लगे कि न्याय सुनिश्चित करने के लिए पुनर्गणना अनिवार्य है।

पटना हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में ये तीनों शर्तें पूरी हो रही हैं, इसलिए मुनसिफ द्वारा दिया गया आदेश विधिसम्मत है।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे। यदि कोई उम्मीदवार यह साबित कर दे कि मतगणना में गड़बड़ी हुई है, तो अदालत हस्तक्षेप कर सकती है।

इस फैसले का असर यह होगा कि बिहार में पंचायत चुनाव कराने वाले अधिकारी और कर्मचारी दस्तावेजों को संभालने और मतगणना प्रक्रिया में अत्यंत सावधानी बरतेंगे। साथ ही यह फैसला अन्य उम्मीदवारों और मतदाताओं को आश्वस्त करता है कि उनके मतों की रक्षा के लिए न्यायालय तत्पर है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या फॉर्म में ओवरराइटिंग के आधार पर पुनर्गणना का आदेश वैध है?
    ✔ हां, यदि ऐसे प्रमाण मौजूद हों जो चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।
  • क्या बिना पूर्ण साक्ष्य के पुनर्गणना आदेश दिया जा सकता है?
    ✔ हां, यदि अदालत के समक्ष प्राथमिक रूप से स्पष्ट हो कि गंभीर गड़बड़ियां हुई हैं।
  • क्या यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुरूप है?
    ✔ हां, सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई तीनों शर्तें इस मामले में पूरी होती हैं।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • Beauty Patel v. Indira Devi, 2019 (2) PLJR 903
  • Chandrika Prasad Yadav v. State of Bihar, (2004) 6 SCC 331

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • N. Narayanan v. S. Semmalai, AIR 1980 SC 206
  • Bhabhi v. Sheo Govind, 1976 Supp SCR 202

मामले का शीर्षक

Rajendra Prasad Yadav v. The State of Bihar & Ors.

केस नंबर

CWJC No. 23889 of 2019

उद्धरण (Citation)

2020 (1) PLJR 541

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री एस. बी. के. मंगालम
  • राज्य की ओर से: श्री अशोक कुमार गुप्ता, एसी टू जीपी 10
  • राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से: श्री अमित श्रीवास्तव, श्री संजीव निकेश
  • प्रतिवादी संख्या 7 की ओर से: श्री नंद कुमार सागर, श्री प्रशांत सिन्हा, श्री मोहम्मद मोदस्सिर शम्स, श्री मोहम्मद सुफियान

निर्णय का लिंक

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMjM4ODkjMjAxOSMxI04=-vdkgRHdFYWk=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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