पटना हाईकोर्ट का फैसला: सीमा बल द्वारा जब्त गेहूं की बिक्री और आदेश को अवैध ठहराया

पटना हाईकोर्ट का फैसला: सीमा बल द्वारा जब्त गेहूं की बिक्री और आदेश को अवैध ठहराया

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में सीमा सुरक्षा बल (SSB) और कस्टम विभाग द्वारा की गई गेहूं की जब्ती और बाद में उसकी नीलामी को पूरी तरह अवैध और गलत करार दिया। यह फैसला बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में हुए एक जब्ती मामले में आया है।

मामले में याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि वह गेहूं की 35 बोरियां (हर एक में 55 किलो) लेकर एक ट्रैक्टर पर सवार होकर वैध GST बिल के साथ मुख्य बाज़ार की ओर जा रहे थे। इसी दौरान SSB के एक सहायक उपनिरीक्षक (ASI) ने बिना किसी स्पष्ट कारण के उन्हें रोककर ट्रैक्टर और गेहूं को जब्त कर लिया। इसके खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।

जब यह मामला अदालत में विचाराधीन था, उसी दौरान कस्टम विभाग ने 22 दिसंबर 2023 को गेहूं की जब्ती को वैध ठहराने वाला एक आदेश पारित किया। इसके बाद 1 फरवरी 2024 को गेहूं की ई-नीलामी कर दी गई, जिससे ₹31,678 की राशि प्राप्त हुई।

पटना हाईकोर्ट ने पाया कि:

  • जब्ती मेमो में “कारण बताने की अनिवार्यता” नहीं दी गई थी, जैसा कि कस्टम अधिनियम की धारा 110 में अनिवार्य है।
  • जब्ती ASI द्वारा की गई, जबकि वह कानूनन ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं था।
  • जब्ती आदेश पारित करने और गेहूं की बिक्री के दौरान याचिकाकर्ता की बात नहीं सुनी गई, जबकि उसने स्पष्ट रूप से मामले के न्यायालय में लंबित होने की जानकारी दी थी।
  • कानून के अनुसार जब्ती के बाद 120 दिनों तक मालिक को जुर्माना अदा कर माल छुड़ाने का अवसर देना अनिवार्य होता है, लेकिन यहां सिर्फ 29 दिन में ही नीलामी कर दी गई।

अंततः, अदालत ने न केवल जब्ती और जब्ती आदेश को रद्द कर दिया, बल्कि कस्टम विभाग को ₹46,200 (मूल गेहूं मूल्य) और उस पर 6% वार्षिक ब्याज देने का निर्देश दिया। इसके साथ ही ₹5,000 का मुकदमा व्यय भी याचिकाकर्ता को देने का आदेश दिया गया।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला आम नागरिकों, खासकर सीमावर्ती इलाकों में कारोबार करने वालों के लिए एक बड़ी राहत है। यह स्पष्ट करता है कि सरकारी अधिकारी कानून का पालन किए बिना जब्ती नहीं कर सकते। साथ ही, यह फैसला अधिकारियों को चेतावनी देता है कि किसी भी प्रकार की प्रशासनिक जल्दबाजी या अनुचित कार्रवाई अदालत में टिक नहीं पाएगी।

सरकारी विभागों के लिए यह एक महत्वपूर्ण सबक है कि न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान किया जाए और अदालत में मामला लंबित रहते हुए कोई जल्दबाजी न की जाए।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या सहायक उपनिरीक्षक (ASI) गेहूं जब्त करने के लिए अधिकृत थे?
    • नहीं, उनके पास वैध अधिकार नहीं था।
  • क्या जब्ती मेमो कानूनन वैध था?
    • नहीं, उसमें कारण स्पष्ट नहीं किया गया था, जो धारा 110 की अनिवार्यता है।
  • क्या अदालत में मामला लंबित रहते हुए जब्ती आदेश और नीलामी करना सही था?
    • नहीं, यह प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध था।
  • क्या गेहूं की नीलामी वैधानिक थी?
    • नहीं, 120 दिन की अवधि समाप्त होने से पहले नीलामी करना कानून का उल्लंघन था।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • M/s Ashoke Das बनाम भारत संघ, CWJC No. 4918/2021, दिनांक 19.02.2025
  • Jayesh Agarwal बनाम भारत संघ, CWJC No. 7085/2022, दिनांक 24.02.2025
  • A.S. Trading and Company बनाम भारत संघ, CWJC No. 17756/2024, दिनांक 25.04.2025

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • उपर्युक्त तीनों निर्णयों को ही इस मामले में भी अपनाया गया।

मामले का शीर्षक
Fariyad Alam बनाम भारत संघ एवं अन्य

केस नंबर
CWJC No. 13176 of 2023

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद
माननीय श्री न्यायमूर्ति अशोक कुमार पांडेय

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्रीमती अर्चना मीनाक्षी, श्री रोहित सिंह, श्री रणवीर प्रवर
  • भारत संघ की ओर से: डॉ. के.एन. सिंह (ASG), श्री अंशुमान सिंह (Sr. SC), श्री आलोक कुमार (CGC), श्री शिवादित्य धारी सिन्हा

निर्णय का लिंक
5a0056b2-fd9e-4c0d-89ac-cff54d4333cc.pdf

“यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी और आप बिहार में कानूनी बदलावों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो Samvida Law Associates को फॉलो कर सकते हैं।”

Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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