पटना हाई कोर्ट ने एक व्यापारी पर ₹61 लाख से अधिक की GST टैक्स मांग और अपील खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया है। न्यायालय ने इसे प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन और प्रक्रिया में भारी खामियों का मामला माना। इस फैसले से उन व्यापारियों को राहत मिलेगी जिन्हें बिना सुनवाई टैक्स नोटिस जारी कर दिए जाते हैं।
निर्णय की सरल व्याख्या
इस मामले में एक ट्रैक्टर डीलर (याचिकाकर्ता) के खिलाफ अप्रैल 2018 से मार्च 2019 की अवधि के लिए ₹61,35,924.28 की टैक्स, ब्याज और जुर्माना राशि की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि उसे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला और उसके इनपुट टैक्स क्रेडिट को एडजस्ट नहीं किया गया।
जब याचिकाकर्ता ने इस आदेश के खिलाफ अपील की, तो अपीलीय प्राधिकारी ने अपील केवल इस आधार पर खारिज कर दी कि वह 65 दिन की देरी से दायर की गई थी। अपील के मेरिट (मूल मुद्दे) पर कोई विचार नहीं किया गया।
बैंक खाता फ्रीज और टैक्स वसूली जैसी कठोर कार्यवाही से परेशान होकर, याचिकाकर्ता ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
कोर्ट ने यह पाया कि:
- याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।
- आदेश एकतरफा (ex-parte) और बिना किसी तर्क के पारित किया गया।
- अपील को बिना मेरिट पर विचार किए खारिज किया गया।
राजस्व विभाग ने भी सहमति जताई कि मामला फिर से सुना जाए और देरी बाधा नहीं बनेगी।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह निर्णय बिहार और देशभर के कारोबारियों के लिए बेहद अहम है। यह बताता है कि:
- टैक्स विभाग को सुनवाई का पूरा अवसर देना आवश्यक है।
- अपीलों को केवल तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए।
- अदालतें ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर सकती हैं जहां स्पष्ट अन्याय हो।
GST से जुड़े मामलों में जिन व्यापारियों को नोटिस मिलते हैं, उनके लिए यह फैसला राहतकारी मिसाल बन सकता है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या टैक्स आदेश बिना उचित प्रक्रिया के पारित किया गया?
- हां, कोर्ट ने प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन के आधार पर आदेश को रद्द किया।
- क्या हाई कोर्ट अपील प्रक्रिया होते हुए भी हस्तक्षेप कर सकता है?
- हां, जब आदेश स्पष्ट रूप से गलत हो।
- क्या अपील केवल देरी के कारण खारिज हो सकती है?
- नहीं, कोर्ट ने कहा कि मेरिट पर विचार जरूरी था।
- क्या याचिकाकर्ता बैंक खाते और वसूली से राहत का हकदार था?
- हां, कोर्ट ने खाते को डिफ्रीज करने और वसूली पर रोक लगाने का आदेश दिया।
मामले का शीर्षक
M/s Shiv Shakti Tractors बनाम भारत सरकार एवं अन्य
केस नंबर
CWJC No. 129 of 2023
उद्धरण (Citation)- 2023 (2) PLJR 114
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथी
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- श्री आलोक कुमार — याचिकाकर्ता की ओर से
- डॉ. के.एन. सिंह (ASG), श्री अंशुमान सिंह (सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल, CGST & CX), श्री विवेक प्रसाद (GP-7) — प्रतिवादियों की ओर से
निर्णय का लिंक
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