निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बिहार राज्य कर विभाग द्वारा जारी की गई ₹88 लाख से अधिक की GST मांग को खारिज कर दिया है। यह मामला कर निरीक्षण के दौरान प्रक्रियागत अनियमितताओं और रिकॉर्ड में छेड़छाड़ से संबंधित था, जिससे सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही पर भी सवाल उठे हैं।
गोपलगंज जिले में स्थित एक व्यवसायिक प्रतिष्ठान के खिलाफ 18 जनवरी 2024 को राज्य कर विभाग ने निरीक्षण और तलाशी की कार्रवाई की थी। इसके बाद 9 मई 2024 को विभाग द्वारा ₹88,64,550.50 की कर, ब्याज और जुर्माने की मांग की गई थी।
व्यवसायी (याचिकाकर्ता) ने इस मांग को अदालत में चुनौती दी और निम्नलिखित मुख्य तर्क दिए:
- निरीक्षण बिना किसी स्वतंत्र गवाह के किया गया, जो कि BGST/CGST अधिनियम की धारा 67(10) और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 100(4) का उल्लंघन है।
- तलाशी के दौरान तैयार किया गया जब्ती आदेश बाद में छेड़ा गया, जिससे वह दस्तावेज अविश्वसनीय हो गया।
कोर्ट ने इन दलीलों पर गंभीरता से विचार किया। यह पाया गया कि निरीक्षण रिपोर्ट पर दो गवाहों के हस्ताक्षर थे, लेकिन दोनों ही याचिकाकर्ता से जुड़े हुए थे — एक उनका पुत्र और दूसरा स्टाफ। अतः ये स्वतंत्र गवाह नहीं माने जा सकते।
इसके अलावा, जब्ती आदेश में यह दर्शाया गया कि ‘As Per Physical Verification’ शब्द बाद में जोड़ दिए गए थे, और खुद निरीक्षण टीम की अधिकारी ने कोर्ट में यह बात स्वीकार की। उन्होंने अपनी गलती मानी, माफ़ी मांगी और हलफनामा देकर भविष्य में सावधानी बरतने का वादा किया।
हालाँकि कोर्ट ने इस रिकॉर्ड में की गई छेड़छाड़ को गंभीर अनुशासनहीनता माना, लेकिन अधिकारी के अनुभवहीन और नव नियुक्त होने के कारण सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भविष्य में इस तरह की गलती दोहराने पर विभागीय कार्यवाही की जाएगी।
फैसले में कोर्ट ने यह घोषित किया कि निरीक्षण और जब्ती की पूरी प्रक्रिया कानून के अनुरूप नहीं थी, और इसलिए उस पर आधारित कर मांग अवैध है और उसे रद्द किया जाता है।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
- व्यवसायियों के लिए सीख: GST निरीक्षण करते समय सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाना अनिवार्य है। स्वतंत्र गवाहों की गैरमौजूदगी से पूरी प्रक्रिया रद्द हो सकती है।
- सरकारी अधिकारियों के लिए चेतावनी: आधिकारिक रिकॉर्ड में कोई भी छेड़छाड़ गंभीर अपराध है। इस फैसले के बाद अधिकारियों को निरीक्षण और दस्तावेज़ीकरण में अधिक सतर्क रहना होगा।
- शासन व्यवस्था के लिए संकेत: यह निर्णय यह दिखाता है कि न्यायालय कानूनी प्रक्रियाओं के उल्लंघन को हल्के में नहीं लेता और इससे सरकारी विभागों में पारदर्शिता बढ़ेगी।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या GST निरीक्षण विधिसम्मत था?
❌ नहीं, क्योंकि यह दो स्वतंत्र गवाहों के बिना हुआ था। - क्या जब्ती आदेश विश्वसनीय था?
❌ नहीं, क्योंकि उस दस्तावेज़ में छेड़छाड़ हुई थी। - क्या इस निरीक्षण के आधार पर कर मांग वैध है?
❌ नहीं, निरीक्षण प्रक्रिया दोषपूर्ण होने से मांग अमान्य है। - क्या अधिकारी पर कोई कार्रवाई हुई?
🔶 नहीं, केवल चेतावनी दी गई, लेकिन भविष्य में गलती पर सख्त कार्यवाही की चेतावनी दी गई।
मामले का शीर्षक
M/s Sri Sai Food Grain and Iron Stors बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 13674 of 2024
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी
माननीय श्री न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिन्हा
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री विजय कुमार गुप्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
श्री गवर्नमेंट एडवोकेट-11 — प्रतिवादियों की ओर से
निर्णय का लिंक
1de2e6b6-2add-44c9-a899-9c484b29aa55.pdf
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