बिहार उच्च न्यायालय का फैसला: रेत खनन रॉयल्टी पर 18% जीएसटी लगेगा, रिवर्स चार्ज के तहत भुगतान जरूरी

बिहार उच्च न्यायालय का फैसला: रेत खनन रॉयल्टी पर 18% जीएसटी लगेगा, रिवर्स चार्ज के तहत भुगतान जरूरी

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने 18 अप्रैल 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि बिहार में खनन अधिकारों (विशेषकर रेत खनन) के लिए दी जाने वाली रॉयल्टी पर 18% वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होगा। यह कर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (Reverse Charge Mechanism – RCM) के तहत खनन पट्टा धारक यानी ठेकेदार को देना होगा।

यह फैसला कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के बाद आया। सभी याचिकाकर्ता रेत घाटों की नीलामी में सफल होकर सरकार से निश्चित अवधि के लिए खनन का अधिकार प्राप्त करते थे और इसके बदले में वार्षिक रॉयल्टी का भुगतान करते थे।

पृष्ठभूमि:
बिहार की रेत नीति के तहत पांच वर्षों के लिए घाटों का पट्टा दिया जाता था, जिसमें हर साल पिछली राशि से 20% अधिक भुगतान तय था। पहले, बिहार वैट (VAT) कानून के तहत 5% वैट लगता था। जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद यह विवाद खड़ा हुआ कि रॉयल्टी पर कितना और किस प्रकार का जीएसटी लगेगा।

याचिकाकर्ताओं का तर्क था:

  • रॉयल्टी कोई “सेवा शुल्क” नहीं, बल्कि खनिज अधिकारों पर एक तरह का वैधानिक कर है, जिस पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए।
  • शराब लाइसेंस पर 2019 में जीएसटी छूट दी गई थी, तो खनन अधिकारों पर भी वैसी ही छूट मिलनी चाहिए।
  • संविधान का अनुच्छेद 246A, राज्य की विशेष कराधान शक्ति (List II, Entry 50) को ओवरराइड नहीं कर सकता।
  • रॉयल्टी दो हिस्सों में होती है — एक सेवा शुल्क और दूसरा खनिज क्षति का मुआवज़ा — तो पूरी राशि पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए।
  • जो पट्टे जीएसटी लागू होने से पहले दिए गए थे, उन पर बाद में किए गए भुगतान पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए।
  • सेवा वर्गीकरण के अनुसार 2018 तक दर 5% और उसके बाद 18% होनी चाहिए।

पहले, बिहार एडवांस रूलिंग अथॉरिटी ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष मानते हुए 31 दिसंबर 2018 तक 5% और उसके बाद 18% जीएसटी दर तय की थी। लेकिन राज्य कर विभाग की अपील पर एपेलिएट अथॉरिटी ने इसे बदलकर 1 जुलाई 2017 से ही 18% जीएसटी लागू कर दिया।

उच्च न्यायालय का निर्णय:
कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा—

  • खनन अधिकार देना, जीएसटी कानून के तहत “सेवा की आपूर्ति” (Supply of Service) है, जिस पर कर लगना वैध है।
  • रॉयल्टी, खनिज निकालने के अधिकार का प्रतिफल (Consideration) है, केवल एक नियामकीय शुल्क नहीं।
  • शराब लाइसेंस पर छूट, एक विशेष नीति निर्णय था; इसे खनन अधिकारों पर स्वतः लागू नहीं किया जा सकता।
  • अनुच्छेद 246A, जीएसटी के लिए केंद्र और राज्यों को संयुक्त कराधान शक्ति देता है, भले ही वह विषय राज्य सूची में क्यों न हो।
  • जीएसटी लागू होने से पहले दिए गए पट्टों पर भी, 1 जुलाई 2017 के बाद की अवधि के भुगतान पर जीएसटी लगेगा।
  • सेवा को SAC 997337 में वर्गीकृत करते हुए, 18% दर सही है।

इस तरह, अब स्पष्ट है कि 1 जुलाई 2017 के बाद की रॉयल्टी पर 18% जीएसटी देना अनिवार्य है और यह भुगतान ठेकेदार को रिवर्स चार्ज के तहत करना होगा।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  • बिहार व अन्य राज्यों के खनन क्षेत्र में अब यह स्पष्ट हो गया है कि रॉयल्टी पर 18% जीएसटी लगेगा, चाहे पट्टा पहले मिला हो या बाद में।
  • सरकार और ठेकेदार, दोनों को कर भुगतान की कानूनी स्थिति पर निश्चितता मिली है, जिससे विवाद कम होंगे।
  • रेत व अन्य खनिजों की लागत बढ़ सकती है, जिसका असर निर्माण कार्यों की कीमतों पर पड़ेगा।
  • नीति के स्तर पर शराब लाइसेंस जैसी छूट को अन्य क्षेत्रों में स्वचालित रूप से लागू करने पर रोक लग गई है।
  • भविष्य के कर विवादों में यह फैसला मिसाल बनेगा।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या खनन अधिकार देना “सेवा” की श्रेणी में आता है?
    ✅ हां — जीएसटी कानून की धारा 7 के तहत यह सेवा आपूर्ति है।
  • क्या रॉयल्टी, खनिज अधिकारों पर कर है और जीएसटी से बाहर है?
    ❌ नहीं — यह खनिज उपयोग के अधिकार का प्रतिफल है, जिस पर जीएसटी लागू होता है।
  • क्या शराब लाइसेंस पर छूट, खनन अधिकारों पर भी लागू होगी?
    ❌ नहीं — यह एक विशेष नीति निर्णय था, अन्य क्षेत्रों में स्वतः लागू नहीं होगा।
  • क्या अनुच्छेद 246A, राज्य की विशेष शक्ति को सीमित कर सकता है?
    ✅ हां — यह केंद्र और राज्य को जीएसटी के लिए संयुक्त कराधान अधिकार देता है।
  • क्या जीएसटी पहले दिए गए पट्टों के बाद के भुगतान पर लगेगा?
    ✅ हां — 1 जुलाई 2017 के बाद की अवधि के भुगतान पर जीएसटी लागू है।
  • सही जीएसटी दर क्या है?
    ✅ 18% — SAC 997337 के तहत।

मामले का शीर्षक

Broad Son Commodities Pvt. Ltd. एवं अन्य बनाम Union of India एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 3531 of 2022 एवं संबंधित मामले

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय श्री न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद
माननीय श्री न्यायमूर्ति सौरेंद्र पांडेय

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री सुजीत घोष, वरिष्ठ अधिवक्ता, श्री सूरज समदर्शी, श्री अविनाश शेखर, श्री विजय शंकर तिवारी, सुश्री अभिलाषा झा, सुश्री सिमरन कुमारी व अन्य (संबंधित मामलों में अलग-अलग अधिवक्ता)
  • राज्य की ओर से: श्री विकास कुमार, स्थायी अधिवक्ता (SC-11) व अन्य
  • भारत सरकार की ओर से: डॉ. कृष्णानंदन सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता, श्री अंशुमान सिंह, वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता (CGST & CX), श्री शिवादित्य धरी सिन्हा, अधिवक्ता

निर्णय का लिंक

a5272f4a-281d-4e46-8956-51c1ab86f881.pdf

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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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