निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया जिसमें कई रिट याचिकाओं को एक साथ निपटाते हुए यह स्पष्ट किया गया कि बिहार में रेत खनन के अधिकार (माइनिंग राइट्स) के लिए दी जाने वाली रॉयल्टी पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होगा।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता विभिन्न जिलों में रेत घाटों के संचालन के लिए बोली लगाकर ठेका प्राप्त करते थे। इन्हें बिहार सरकार के खान एवं भूविज्ञान विभाग की ओर से एक निश्चित अवधि के लिए रेत उत्खनन का अधिकार दिया गया। बदले में इन्हें सालाना तय रकम—जिसे रॉयल्टी कहा जाता है—किस्तों में सरकार को देनी होती थी।
जीएसटी लागू होने से पहले, बिहार वैट कानून के तहत रॉयल्टी पर केवल 5% वैट लगता था।
1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद, सरकार ने इस रॉयल्टी को “खनिज के उपयोग का लाइसेंस” (Service Code 997337) मानते हुए इस पर 18% जीएसटी (9% सीजीएसटी + 9% एसजीएसटी) लगाया। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने 06.10.2021 की सर्कुलर में भी यही दर स्पष्ट की।
कुछ याचिकाकर्ताओं ने एडवांस रूलिंग प्राधिकरण से स्पष्टीकरण मांगा कि क्या 31.12.2018 तक केवल 5% जीएसटी देना होगा और क्या उन्हें Notification No. 12/2017 के तहत छूट मिल सकती है। एडवांस रूलिंग प्राधिकरण ने आंशिक रूप से सहमति दी, लेकिन 2019 के बाद दर 18% तय की। विभाग की अपील पर अपीलीय प्राधिकरण ने 01.07.2017 से ही पूरे समय के लिए 18% जीएसटी लागू बताया और छूट से इंकार कर दिया।
याचिकाकर्ताओं के मुख्य तर्क
- समानता का अधिकार:
शराब उद्योग को लाइसेंस शुल्क पर जीएसटी से छूट दी गई है (Notification No. 25/2019 दिनांक 30.09.2019)। खनन पट्टों और शराब लाइसेंस दोनों में राज्य द्वारा विशेष अधिकार दिया जाता है, इसलिए समान व्यवहार होना चाहिए। - विधायी अधिकार का अभाव:
संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-II के प्रविष्टि 50 में ‘खनिज अधिकारों पर कर’ लगाने का अधिकार सिर्फ राज्य को है। अनुच्छेद 246A का सहारा लेकर केंद्र और राज्य दोनों एक साथ जीएसटी नहीं लगा सकते। - रॉयल्टी मिश्रित शुल्क है:
रॉयल्टी सिर्फ सेवा शुल्क नहीं है, इसमें पर्यावरणीय क्षति व प्राकृतिक संसाधन क्षरण की भरपाई का हिस्सा भी है। ऐसे में पूरे पर जीएसटी लगाना गलत है। - जीएसटी से पहले समझौते:
खनन अनुबंध 2014 में हुए थे, इसलिए कर लगाने की घटना जीएसटी लागू होने से पहले हो चुकी थी। बाद में दी गई किस्तों पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए। - गलत वर्गीकरण और छूट:
ये सेवाएं कम दर वाली प्रविष्टियों में आती हैं और Notification No. 12/2017 के तहत छूट योग्य हैं।
राज्य का पक्ष
- खनन अधिकार देना ‘सेवा की आपूर्ति’ है, जिस पर रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म से जीएसटी लगता है।
- SAC 997337 के तहत वर्गीकरण सही है और CBIC का सर्कुलर स्पष्ट है।
- अनुच्छेद 246A केंद्र व राज्य दोनों को समान रूप से कर लगाने की शक्ति देता है।
न्यायालय की राय
- खनन अधिकार देना Section 7, CGST/BGST अधिनियम के तहत ‘सप्लाई’ है, जिस पर रिवर्स चार्ज से जीएसटी लगेगा।
- शराब लाइसेंस छूट एक विशेष नीति निर्णय था, इसे खनन पर नहीं बढ़ाया जा सकता।
- अनुच्छेद 246A का गैर-ओब्सटेंटे क्लॉज राज्यों की विशेष शक्ति के बावजूद समानांतर जीएसटी लगाने की अनुमति देता है।
- रॉयल्टी में अगर क्षतिपूर्ति का हिस्सा भी है, तब भी बिना कानूनी विभाजन के पूरी राशि सेवा शुल्क मानी जाएगी।
- जीएसटी लागू होने के बाद दी गई किसी भी किस्त पर कर लगेगा, चाहे अनुबंध जीएसटी से पहले हुआ हो।
इस आधार पर अदालत ने अपीलीय प्राधिकरण का आदेश बरकरार रखते हुए 01.07.2017 से रॉयल्टी पर 18% जीएसटी लागू माना।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला खनन क्षेत्र और प्राकृतिक संसाधन से जुड़े सभी ठेकेदारों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके प्रभाव:
- खनन रॉयल्टी पर जीएसटी लागू रहेगा, चाहे अनुबंध जीएसटी से पहले हुआ हो।
- अलग-अलग क्षेत्रों में छूट या दरों की तुलना कर समानता का दावा स्वतः लागू नहीं होगा।
- सरकार के लिए यह निर्णय राजस्व बढ़ाने और कानूनी स्थिति स्पष्ट करने में मददगार है।
- ठेकेदारों को बोली लगाते समय जीएसटी देयता का हिसाब रखना होगा।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या रेत खनन रॉयल्टी पर जीएसटी लागू है?
✔ हाँ — SAC 997337 के तहत वर्गीकृत, 18% दर से रिवर्स चार्ज पर देय। - क्या शराब लाइसेंस छूट खनन पर लागू होगी?
✘ नहीं — यह विशेष नीति छूट है, अन्य क्षेत्रों पर नहीं बढ़ाई जा सकती। - क्या प्रविष्टि 50, सूची-II जीएसटी से रोकती है?
✘ नहीं — अनुच्छेद 246A समानांतर शक्ति देता है। - क्या रॉयल्टी का कुछ हिस्सा गैर-कर योग्य है?
✘ नहीं — कानूनी विभाजन न होने से पूरी राशि कर योग्य है। - क्या जीएसटी से पहले के अनुबंध पर कर नहीं लगेगा?
✘ नहीं — जीएसटी लागू होने के बाद की सभी किस्तों पर कर लगेगा।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- State of Gujarat v. Shri Ambica Mills Ltd., (1974) 4 SCC 656
- Ayurveda Pharmacy & Anr. v. State of Tamil Nadu, (1989) 2 SCC 285
- S.R. Bommai v. Union of India, (1994) 3 SCC 1
- Calcutta Gas Co. v. State of West Bengal, AIR 1962 SC 1044
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- Mineral Area Development Authority & Anr. v. Steel Authority of India Ltd. & Ors., (2024) 10 SCC 1 (MADA Judgment)
मामले का शीर्षक
CWJC No. 3531 of 2022 — Petitioner vs. State of Bihar & Ors.
केस नंबर
CWJC No. 3531 of 2022 और संबद्ध याचिकाएँ
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद
माननीय श्री न्यायमूर्ति सौरेंद्र पांडेय
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
याचिकाकर्ता की ओर से:
वरिष्ठ अधिवक्ता सुजीत घोष व अन्य
राज्य की ओर से:
अधिवक्ता विकास कुमार (SC-11), अधिवक्ता विवेक प्रसाद (GP-7) व अन्य
केंद्र की ओर से:
वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. कृष्णानंदन सिंह व अन्य
निर्णय का लिंक
080a7af9-0f8e-4e8b-b3b8-01dbed524251.pdf
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