पत्नि का दूसरा विवाह और संपत्ति में हिस्सा मिलने पर भरण-पोषण का अधिकार समाप्त: पटना हाईकोर्ट

पत्नि का दूसरा विवाह और संपत्ति में हिस्सा मिलने पर भरण-पोषण का अधिकार समाप्त: पटना हाईकोर्ट

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ कर दिया कि यदि कोई विधवा महिला अपने ससुर से भरण-पोषण की मांग करती है, तो उसे यह दिखाना होगा कि न तो उसने दूसरा विवाह किया है और न ही उसे अपने पति की संपत्ति में कोई हिस्सा मिला है। यदि इन दोनों में से कोई भी स्थिति मौजूद हो, तो ससुर की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है।

इस मामले में महिला ने अपने ससुर के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी कि पति की मृत्यु के बाद न तो ससुर ने उसे कोई आर्थिक सहायता दी और न ही बच्चों की देखभाल की। महिला ने दावा किया कि पति की मृत्यु 2005 में हुई थी और ससुर ने ना सिर्फ उसे घर से निकाल दिया बल्कि उसकी बेटी और बेटे को जबरन अपने पास रख लिया और उसकी जायदाद का हिस्सा भी नहीं दिया।

उसने यह भी कहा कि ससुर एक रिटायर्ड शिक्षक हैं और उनके पास करीब 20 बीघा जमीन है जिससे अच्छी आमदनी होती है। लेकिन उसके पास खुद का कोई जरिया नहीं है जिससे वह अपने और बच्चों का पालन कर सके।

वहीं, ससुर ने अपना बचाव करते हुए कहा कि महिला ने 2008 में दूसरा विवाह कर लिया है और अब वह अपने दूसरे पति के साथ रह रही है। इसके अलावा उन्होंने अदालत को बताया कि पारिवारिक जमीन का बंटवारा पहले ही Partition Suit No. 48/2006 के तहत हो चुका है और महिला को उसके पति का हिस्सा दिया गया है।

परिवार न्यायालय (Family Court) ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया। इसके खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में दो अपीलें दाखिल कीं।

पटना हाईकोर्ट ने कहा:

  • हिन्दू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 19 के तहत ससुर तभी विधवा बहू को भरण-पोषण देने के लिए बाध्य होता है, जब वह खुद कमाने में असमर्थ हो, पति की संपत्ति से कुछ न मिला हो, और उसका दूसरा विवाह न हुआ हो।
  • इस मामले में महिला ने दोबारा विवाह किया है (जिसे अदालत ने मान्य माना) और उसे पति की जमीन का हिस्सा भी मिला है। इसलिए वह अब भरण-पोषण की हकदार नहीं है।

अदालत ने यह भी कहा कि:

  • महिला के वकील ने दूसरे विवाह के साक्ष्य को चुनौती नहीं दी।
  • Partition Suit के आधार पर महिला को जमीन में हिस्सा मिल चुका है, भले ही उसने दावा किया हो कि उसे असल में कब्जा नहीं मिला।
  • अदालत ने यह भी माना कि भले ही Family Court ने मुकदमे में औपचारिक मुद्दे तय नहीं किए हों, लेकिन निर्णय सभी सबूतों के आधार पर दिया गया है और इसमें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला विशेष रूप से बिहार और अन्य राज्यों की महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यह स्पष्ट करता है कि ससुर पर भरण-पोषण की जिम्मेदारी तभी बनती है जब विधवा बहू न तो दोबारा विवाह कर चुकी हो और न ही उसे संपत्ति में हिस्सा मिला हो।

साथ ही, यह निर्णय यह भी बताता है कि अदालतें केवल आरोपों के आधार पर फैसला नहीं लेतीं — प्रमाण और पारिवारिक पृष्ठभूमि का पूरा अवलोकन आवश्यक होता है।

इस फैसले से यह संदेश जाता है कि भरण-पोषण का कानून उन महिलाओं की रक्षा के लिए है जो सच में असहाय हैं। परंतु जब महिला को पति की संपत्ति में हिस्सा मिल चुका हो या उसने दोबारा विवाह कर लिया हो, तो वह ससुर से आर्थिक सहायता की मांग नहीं कर सकती।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या विधवा बहू को ससुर से भरण-पोषण मिल सकता है?
    ➤ नहीं, अगर उसने दूसरा विवाह कर लिया हो या पति की संपत्ति में हिस्सा पा लिया हो।
  • क्या सिर्फ संपत्ति का कागजी हिस्सा मिलना पर्याप्त है?
    ➤ हाँ। यदि कोर्ट में Partition Suit में हिस्सा मिला है, तो भरण-पोषण की मांग का आधार समाप्त हो जाता है।
  • क्या Family Court द्वारा मुद्दे तय न करना निर्णय को गलत बनाता है?
    ➤ नहीं। अगर सबूतों की पूरी तरह से जांच की गई है, तो तकनीकी गलती से फैसला रद्द नहीं होता।

मामले का शीर्षक
Most. Sangeeta Singh बनाम Bindhyachal Singh

केस नंबर
Miscellaneous Appeal Nos. 57 and 153 of 2016

उद्धरण (Citation)
2020 (2) PLJR 912

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति हेमंत कुमार श्रीवास्तव
माननीय श्री न्यायमूर्ति पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री शिवजी पांडे – अपीलकर्ता की ओर से (MA 57/2016)
  • श्री बिनय कांत मणि त्रिपाठी – अपीलकर्ता की ओर से (MA 153/2016)
  • श्री विवेकानंद विवेक – प्रतिवादी की ओर से

निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MiM1NyMyMDE2IzEjTg==-rOIZzbSlZlY=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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