निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में उस याचिकाकर्ता को राहत दी, जो बिहार गुड्स एंड सर्विस टैक्स (BGST) अधिनियम के तहत टैक्स मांग आदेश के खिलाफ अपील करना चाहता था, लेकिन GST अपीलीय ट्रिब्यूनल के गठन न होने के कारण ऐसा नहीं कर पा रहा था।
इस केस में याचिकाकर्ता एक निजी कंपनी थी, जिसने ट्रिब्यूनल में अपील दाखिल करने की इच्छा जताई थी, जैसा कि BGST अधिनियम की धारा 112 में प्रावधान है। परंतु चूंकि अब तक ट्रिब्यूनल का गठन नहीं हुआ है, याचिकाकर्ता अपने इस वैधानिक अधिकार से वंचित रह गया।
GST कानून के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपील करता है और नियत प्रतिशत टैक्स की राशि अग्रिम जमा करता है, तो टैक्स वसूली पर स्वतः स्थगन (stay) मिल जाता है। पहले यह अग्रिम जमा 20% था, पर अब इसे घटाकर 10% कर दिया गया है, जो 1 नवंबर 2024 से लागू है।
कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता को अपील दायर करने का मौका न मिलने से वह न केवल वैधानिक अधिकार से वंचित हुआ, बल्कि वसूली की प्रक्रिया का सामना भी कर रहा है। ऐसे में कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता विवादित टैक्स राशि का 10% जमा करता है (साथ ही पूर्व में धारा 107(6) के तहत किया गया कोई भी जमा जोड़कर), तो उसे ट्रिब्यूनल के गठन तक टैक्स वसूली से राहत दी जानी चाहिए।
हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह राहत अनिश्चित काल तक नहीं दी जा सकती। ट्रिब्यूनल के गठन के बाद, याचिकाकर्ता को निर्धारित समय के भीतर अपील दाखिल करनी होगी। यदि वह ऐसा नहीं करता, तो राज्य सरकार टैक्स की वसूली की प्रक्रिया आगे बढ़ा सकती है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता ने उपरोक्त राशि जमा कर दी है और उसके बैंक खाते को टैक्स मांग के तहत अटैच किया गया है, तो वह अटैचमेंट समाप्त कर दिया जाए।
यह फैसला उन सभी करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत है, जो ट्रिब्यूनल के गठन के अभाव में वैधानिक उपायों से वंचित हैं।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह निर्णय उन सभी व्यापारियों, फर्मों और करदाताओं के लिए राहत भरा है जो GST विवादों में उलझे हैं और ट्रिब्यूनल की अनुपस्थिति में अपील नहीं कर पा रहे हैं।
सरल शब्दों में:
- अब मात्र 10% टैक्स जमा करके वसूली पर रोक मिल सकती है।
- अपील का अधिकार सुरक्षित रहेगा जब तक ट्रिब्यूनल का गठन नहीं होता।
- सरकार को इस फैसले के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश गया है कि अपीलीय ढांचे की अनुपस्थिति में करदाताओं को परेशान नहीं किया जा सकता।
सरकार के लिए यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि जल्द से जल्द ट्रिब्यूनल का गठन कर न्यायिक प्रक्रिया को पूर्ण करना आवश्यक है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- मुद्दा: क्या ट्रिब्यूनल के गठन न होने से करदाता को अपील का अधिकार नहीं मिल सकता?
- निर्णय: करदाता को अपील का अवसर मिलना चाहिए और टैक्स वसूली पर रोक लगनी चाहिए।
- मुद्दा: विवादित राशि का कितना प्रतिशत अग्रिम जमा जरूरी है?
- निर्णय: अब केवल 10% जमा करना पर्याप्त है (1 नवंबर 2024 से प्रभावी संशोधन के अनुसार)।
- मुद्दा: क्या टैक्स वसूली पर स्टे अनिश्चित काल के लिए है?
- निर्णय: नहीं। ट्रिब्यूनल के गठन के बाद अपील नियत समय में दायर करनी होगी।
- मुद्दा: यदि बैंक खाता अटैच किया गया हो तो क्या होगा?
- निर्णय: यदि 10% राशि जमा हो गई हो, तो अटैचमेंट हटाया जाएगा।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- SAJ Food Products Pvt. Ltd. बनाम बिहार राज्य एवं अन्य, CWJC No. 15465/2022
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- SAJ Food Products Pvt. Ltd. बनाम बिहार राज्य एवं अन्य, CWJC No. 15465/2022
मामले का शीर्षक
M/s Jindal Steel बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No.192 of 2025
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री के. विनोद चंद्रन
माननीय न्यायमूर्ति श्री पार्थ सारथी
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- श्री रंजीत कुमार, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
- श्री संतोष कुमार, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
- श्री कनिष्क कौस्तभ, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
- श्री अंकेश कुमार सिन्हा, अधिवक्ता — याचिकाकर्ता की ओर से
- श्री विकास कुमार, स्टैंडिंग काउंसल (11) — प्रतिवादी की ओर से
निर्णय का लिंक
e475a2fb-3f33-44aa-aba9-b8d90f4d2c35.pdf
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