निर्णय की सरल व्याख्या
पटना हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में यह स्पष्ट किया है कि अगर कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक नहीं है, तो वह बिहार पंचायत चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकता, चाहे उसके पास आधार कार्ड, वोटर आईडी, या पैन कार्ड ही क्यों न हो।
यह मामला एक महिला से जुड़ा था, जो नेपाल में जन्मी थी और 2003 में एक भारतीय नागरिक से विवाह करने के बाद भारत में रहने लगी थीं। उन्होंने भारत में वोटर आईडी बनवाई, आधार और पैन कार्ड लिया, जमीन खरीदी, बैंक खाता खोला, और अपने बच्चों को भारतीय स्कूलों में पढ़ाया। उन्होंने 2016 में नेपाल की नागरिकता भी त्याग दी थी।
2018 में वे ग्राम पंचायत, मणिक चौक (जिला सीतामढ़ी) की मुखिया चुनी गईं। लेकिन एक स्थानीय व्यक्ति ने उनके चुनाव को इस आधार पर चुनौती दी कि वह भारतीय नागरिक नहीं थीं और इसलिए पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य थीं।
राज्य चुनाव आयोग ने इस शिकायत को सही माना और उनका चुनाव रद्द कर दिया। इसके खिलाफ महिला ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसे खारिज कर दिया गया। उन्होंने उसके बाद यह अपील (एलपीए) दायर की थी।
हाई कोर्ट ने दो जजों की बेंच के जरिए साफ कहा कि:
- केवल भारत में शादी करना या लंबे समय तक रहना, नागरिकता पाने के लिए पर्याप्त नहीं है।
- भारतीय नागरिकता पाने के लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत केंद्रीय सरकार के पास आवेदन करना होता है और प्रक्रिया पूरी करनी होती है।
- वोटर आईडी, आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे दस्तावेज नागरिकता का प्रमाण नहीं माने जा सकते।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
यह फैसला बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि:
- भारतीय नागरिकता केवल वैधानिक प्रक्रिया से ही प्राप्त हो सकती है, न कि दस्तावेजों या स्थायी निवास से।
- पंचायत चुनाव में भाग लेने के लिए भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है।
- भारत सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे मामलों में नागरिकता के नियमों को स्पष्ट और सख्ती से लागू करे।
- आम जनता को यह समझना जरूरी है कि आधार, वोटर कार्ड या पैन कार्ड नागरिकता के प्रमाण नहीं हैं, बल्कि ये केवल पहचान या वित्तीय लेन-देन के लिए होते हैं।
यह फैसला पंचायत स्तर की राजनीति में पारदर्शिता और वैधानिकता सुनिश्चित करता है। इससे सरकारी संस्थाएं भी सावधान रहेंगी कि चुनाव में अयोग्य व्यक्तियों को शामिल न किया जाए।
कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)
- क्या राज्य चुनाव आयोग के पास नागरिकता के आधार पर चुनाव रद्द करने का अधिकार है?
- हां। बिहार पंचायती राज अधिनियम की धारा 136(1)(a) के तहत यह अधिकार है।
- क्या नेपाल की नागरिकता छोड़ देने से भारत की नागरिकता मिल जाती है?
- नहीं। भारतीय नागरिकता के लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत आवेदन करना अनिवार्य है।
- क्या आधार, पैन और वोटर आईडी भारतीय नागरिकता का प्रमाण है?
- नहीं। ये दस्तावेज पहचान और सेवाओं के लिए हैं, नागरिकता का प्रमाण नहीं।
- क्या अपीलकर्ता पंचायत चुनाव लड़ने के लिए योग्य थीं?
- नहीं। क्योंकि उन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया था।
- क्या उनके पास कोई कानूनी रास्ता बचा है?
- हां। कोर्ट ने कहा कि अगर वे नागरिकता के लिए आवेदन करें तो केंद्र सरकार को यथाशीघ्र विचार करना चाहिए।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- Dhanwanti Devi v. State Election Commission, 2012 (1) PLJR 296
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- Rajani Kumari v. State Election Commission, (2019) 4 PLJR 673
- State Trading Corporation v. CTO, AIR 1963 SC 1811
- Izhar Ahmad Khan v. Union of India, AIR 1962 SC 1052
- Sarbananda Sonowal v. Union of India, (2005) 5 SCC 665
- Rupjan Begum v. Union of India, (2018) 1 SCC 579
- Bhanwaroo Khan v. Union of India, (2002) 4 SCC 346
- Hari Shankar Jain v. Sonia Gandhi, (2001) 8 SCC 233
- Lal Babu Hussein v. Electoral Registration Officer, (1995) 3 SCC 100
मामले का शीर्षक
Kiran Gupta v. State Election Commission & Ors.
केस नंबर
LPA No. 139 of 2020 (arising out of CWJC No. 19109 of 2019)
उद्धरण (Citation)
2021(1)PLJR 9
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं माननीय न्यायमूर्ति एस. कुमार
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- अपीलकर्ता की ओर से: श्री राजेश सिंह, श्री रणविजय नारायण सिंह, श्री जितेन्द्र सिंह, श्री रंजीत चौबे
- राज्य चुनाव आयोग की ओर से: श्री अमित श्रीवास्तव, श्री गिरिश पांडे
- राज्य सरकार की ओर से: श्री ललित किशोर (महाधिवक्ता), श्री पवन कुमार (एजी के सहायक)
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MyMxMzkjMjAyMCMxI04=-ynJt7toCf–ak1–8=
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