पटना हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त स्वास्थ्य कर्मचारी से की गई पेंशन वसूली को अवैध ठहराया

पटना हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त स्वास्थ्य कर्मचारी से की गई पेंशन वसूली को अवैध ठहराया

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी से ₹1,38,633 की पेंशन और ग्रेच्युटी से की जा रही वसूली को गैरकानूनी करार देते हुए उसे रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब कर्मचारी द्वारा कोई धोखाधड़ी या गलत जानकारी नहीं दी गई, और यह गलती पूरी तरह सरकार की थी, तो वसूली नहीं की जा सकती।

याचिकाकर्ता रामाश्रय शर्मा, जो अरवल जिले में बेसिक हेल्थ वर्कर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे, ने उस आदेश को चुनौती दी जिसमें लेखा महानियंत्रक कार्यालय ने 11.09.2018 को अरवल कोषागार को ₹1,38,633 की वसूली का निर्देश दिया था।

राज्य सरकार का तर्क था कि उन्हें ACP स्कीम के तहत तीसरी पदोन्नति में ₹2800 की जगह ₹4200 का ग्रेड पे गलती से मिल गया, जिसे बाद में सुधारा गया और अब उसकी वसूली की जा रही है।

लेकिन हाई कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह ने साफ कहा:

  • कर्मचारी ने कोई झूठी जानकारी नहीं दी थी
  • गलत वेतन निर्धारण सरकार की गलती थी, कर्मचारी की नहीं।
  • कर्मचारी पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं, और वसूली का आदेश उनके रिटायरमेंट के बाद जारी हुआ।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध निर्णय राज्य बनाम रफीक मसीह (2015) 4 SCC 334 का हवाला दिया, जिसमें कुछ स्थितियाँ तय की गई हैं जिनमें वसूली नहीं की जा सकती, जैसे कि:

  1. सेवानिवृत्त कर्मचारियों से वसूली
  2. बिना धोखाधड़ी या गलत सूचना के की गई अधिक भुगतान की वसूली
  3. 5 साल से अधिक पुरानी गलतियों पर वसूली
  4. ऐसी वसूली जो अनुचित या अन्यायपूर्ण हो

इस मामले में ये सभी स्थितियाँ लागू थीं, इसलिए कोर्ट ने न केवल वसूली को रद्द किया, बल्कि राज्य सरकार को आदेश दिया कि ₹1,38,633 की कटौती की गई राशि 12 सप्ताह में याचिकाकर्ता को वापस करें।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह फैसला बिहार सहित देश भर के लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए राहत भरा संदेश है। यह स्पष्ट करता है कि:

  • पेंशन और ग्रेच्युटी जैसे लाभों की कटौती मनमाने तरीके से नहीं की जा सकती
  • सरकारी विभागों की गलती का खामियाज़ा कर्मचारी नहीं भुगत सकते, खासकर जब वे पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हों।
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन सभी सरकारी अधिकारियों और लेखा विभागों द्वारा अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए।

यह निर्णय सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा और मन की शांति सुनिश्चित करता है। सरकार के लिए यह एक कानूनी चेतावनी है कि वह कर्मचारियों से वसूली करने से पहले कानून और न्याय के सिद्धांतों का पालन करे।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या सरकार सेवानिवृत्त कर्मचारी से वसूली कर सकती है, जब गलती उसकी नहीं थी?
    ❌ नहीं, कोर्ट ने इसे कानून के खिलाफ माना।
  • क्या गलत ग्रेड पे पर हुई अधिक भुगतान की वसूली कर्मचारी से की जा सकती है?
    ❌ नहीं, जब यह गलती विभाग की थी और कर्मचारी ने कोई धोखा नहीं किया।
  • क्या यह मामला रफीक मसीह मामले में तय की गई श्रेणियों में आता है?
    ✔️ हाँ, याचिकाकर्ता रिटायर हो चुके हैं और धोखाधड़ी का कोई आरोप नहीं है।
  • अंतिम निर्णय:
    • वसूली का आदेश रद्द किया गया। ₹1,38,633 की राशि 12 हफ्तों में लौटाने का निर्देश।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • सैयद अब्दुल कादिर बनाम बिहार राज्य, (2009) 3 SCC 475
  • साहिब राम बनाम हरियाणा राज्य, (1995) Supp (1) SCC 18
  • श्याम बाबू वर्मा बनाम भारत सरकार, (1994) 2 SCC 521
  • बी. गंगा राम बनाम क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक, (1997) 6 SCC 139
  • पुरुषोत्तम लाल दास बनाम बिहार राज्य, (2006) 11 SCC 492
  • राज्य बनाम रफीक मसीह, (2015) 4 SCC 334

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • राज्य बनाम रफीक मसीह, (2015) 4 SCC 334

मामले का शीर्षक

रामाश्रय शर्मा बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 22696 of 2018

उद्धरण (Citation)

2021(1)PLJR 90

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री शिव कुमार
  • प्रतिवादी की ओर से: श्री राजेश्वर सिंह

निर्णय का लिंक

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjMjI2OTYjMjAxOCMxI04=-9tyFZ7ZvP–am1–g=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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