पटना हाईकोर्ट ने कोयला आपूर्ति अनुबंध में मासिक सीमा विवाद पर व्यापारी की ब्लैकलिस्टिंग को रद्द किया

पटना हाईकोर्ट ने कोयला आपूर्ति अनुबंध में मासिक सीमा विवाद पर व्यापारी की ब्लैकलिस्टिंग को रद्द किया

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक कोयला आपूर्तिकर्ता की तीन साल की ब्लैकलिस्टिंग और सुरक्षा जमा राशि की जब्ती को रद्द करते हुए उसका पक्ष स्वीकार कर लिया। यह कार्यवाही बिहार राज्य खनन निगम द्वारा की गई थी, जिसमें अनुबंध की कुछ शर्तों के उल्लंघन का आरोप था।

मामला कोयले की आपूर्ति से जुड़े एक सरकारी अनुबंध का है, जिसमें दो प्रकार की मात्रा तय की गई थी—वार्षिक अनुबंधित मात्रा (ACQ) और मासिक निर्धारित मात्रा (MSQ)। याचिकाकर्ता पर आरोप था कि उसने कुछ महीनों में MSQ से अधिक कोयला उपयोग किया, और कुछ महीनों में कम, जिससे अनुबंध का उल्लंघन हुआ।

कोर्ट के सामने मुख्य सवाल यह था कि क्या MSQ हर महीने के लिए सख्त सीमा है, या फिर यह सिर्फ एक सामान्य गाइडलाइन है, जबकि असली उद्देश्य साल भर में कुल ACQ का उपयोग करना है।

याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्हें कई महीनों में कोयले की आपूर्ति नहीं मिली, जिससे फैक्ट्री को बंद करना पड़ा। जब सप्लाई दोबारा शुरू हुई, तो उन्होंने पिछली कमी को पूरा करने के लिए ज्यादा कोयला उपयोग किया।

कोर्ट ने पहले एक समान मामले में—CWJC No. 1114 of 2024 (M/s Bhagwati Coke Industries Pvt. Ltd. बनाम बिहार राज्य)—फैसला दिया था। उस फैसले में कोर्ट ने साफ किया था कि वास्तविक जिम्मेदारी सालाना मात्रा (ACQ) के पूर्ण उपयोग की है। MSQ केवल एक शेड्यूल है, न कि कठोर सीमा।

इस मामले में भी कोर्ट ने वही सिद्धांत अपनाया और कहा कि जब तक पूरी साल की कोयला आपूर्ति ACQ के अनुसार हो रही है, तब तक महीनेवार उतार-चढ़ाव कोई अनुबंध उल्लंघन नहीं है।

कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता के खिलाफ ब्लैकलिस्टिंग और राशि जब्ती अनुचित थी। इसलिए याचिका स्वीकार कर ली गई और आदेश रद्द कर दिया गया।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

यह निर्णय उन व्यापारियों और सप्लायर्स के लिए राहत है जो सरकारी अनुबंधों के तहत काम करते हैं। कोर्ट ने साफ किया है कि वार्षिक लक्ष्य मुख्य होता है, न कि हर महीने की तय मात्रा।

यह फैसला खासतौर पर उन क्षेत्रों में काम कर रही कंपनियों के लिए अहम है जहाँ सरकारी आपूर्ति अनियमित होती है, जैसे कि कोयला या खनन क्षेत्र। कोर्ट ने यह भी दोहराया कि सरकारी संस्थाएं अनुबंध को तर्कसंगत और व्यावहारिक तरीके से लागू करें और छोटी प्रक्रियात्मक बातों पर सख्त दंड न लगाएं।

सरकारी एजेंसियों को भी यह याद दिलाया गया है कि वे अनुबंध की हर शर्त को व्यापक नजरिए से पढ़ें और व्यावसायिक व्यवहार की वास्तविकता को समझें।

कानूनी मुद्दे और निर्णय (बुलेट में)

  • क्या मासिक सीमा (MSQ) का उल्लंघन अनुबंध का उल्लंघन था?
    • नहीं। कोर्ट ने कहा कि असली दायित्व वार्षिक मात्रा (ACQ) का पूरा उपयोग है, न कि मासिक सीमा।
  • क्या कुछ महीनों में MSQ से अधिक कोयला उपयोग करने से अनुबंध टूटता है?
    • नहीं। जब कुल सालाना आपूर्ति ACQ के अनुसार हो रही हो, तब मासिक उतार-चढ़ाव स्वीकार्य हैं।
  • क्या याचिकाकर्ता पर कोई दंड बनता है?
    • नहीं। उसने अनुबंध की मूल भावना का पालन किया।
  • क्या पुराने फैसले का इस केस पर असर पड़ा?
    • हाँ। कोर्ट ने पूर्व फैसले (CWJC No. 1114 of 2024) को आधार बनाते हुए यह फैसला दिया।
  • क्या अनुबंध अभी भी लागू है?
    • हाँ। जब तक समय की समाप्ति या नियमों के अनुसार समाप्ति नहीं होती, तब तक अनुबंध जारी रहेगा।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • CWJC No. 1114 of 2024 (M/s Bhagwati Coke Industries Pvt. Ltd. बनाम बिहार राज्य एवं अन्य)

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • वही ऊपर उल्लिखित

मामले का शीर्षक
M/s SZ Traders बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

केस नंबर
CWJC No. 4207 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री के. विनोद चंद्रन
माननीय न्यायमूर्ति श्री पार्थ सारथी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
श्री एस. डी. संजय, वरिष्ठ अधिवक्ता – याचिकाकर्ता की ओर से
श्री सिद्धार्थ शंकर पांडेय, श्री मोहित अग्रवाल, श्री विकास खन्ना – याचिकाकर्ता की ओर से
श्री नरेश दीक्षित, विशेष पी.पी. (खनन) – प्रतिवादी की ओर से
सुश्री कल्पना, श्री अरविंद उज्जवल (SC-4), श्री सुशील कुमार मलिक – प्रतिवादी की ओर से

निर्णय का लिंक
https://www.patnahighcourt.gov.in/ShowPdf/web/viewer.html?file=../../TEMP/be8ce872-a09e-4549-8a44-76100e7cce03.pdf&search=Blacklisting

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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