निर्णय की सरल व्याख्या
यह मामला एक हाई टेंशन (HT) बिजली उपभोक्ता से जुड़ा है। उपभोक्ता की फैक्ट्री को 25.04.2014 को बिजली का नया मीटर (HT मिटरिंग यूनिट) दिया गया था। यह मीटर बाद में जल गया और 24.08.2015 को नया मीटर लगाया गया। इस नए मीटर में “MF-02” (मल्टिप्लाइंग फैक्टर 2) लिखा गया था।
HT मीटरिंग सिस्टम में अक्सर मीटर रीडिंग को सही बिजली खपत में बदलने के लिए गुणक कारक (MF) लगाया जाता है। यदि MF-02 है, तो मीटर पर दर्ज यूनिट को 2 से गुणा करना पड़ता है। यहीं से विवाद की शुरुआत हुई।
बिजली कंपनी गलती से 2015 से 2020 तक उपभोक्ता को MF-01 के आधार पर बिल बनाती रही, यानी वास्तविक खपत का केवल आधा बिल लिया गया। 2020 में कंपनी को यह गलती पता चली और उसने करीब ₹5.67 करोड़ का अतिरिक्त बिल भेज दिया। यह बिल पुराने समय की खपत का अंतर जोड़कर बनाया गया था।
उपभोक्ता ने इस पर आपत्ति जताई और कहा:
- यह गलती कंपनी की थी, इसलिए इतने वर्षों बाद अचानक इतना बड़ा बिल नहीं लिया जा सकता।
- मीटर की जांच “चेक मीटर” से होनी चाहिए।
- अतिरिक्त बिल का भुगतान न करने पर कनेक्शन काटना गैरकानूनी है।
कंपनी ने कहा कि – 2015 में नया मीटर लगाया गया था, जिसमें MF-02 साफ लिखा था और उपभोक्ता के प्रतिनिधि ने उस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर भी किया था। सिर्फ सॉफ़्टवेयर में गलती से MF-01 रह गया, इसलिए अब केवल हिसाब सुधारा गया है।
न्यायालय ने पाया कि:
- उपभोक्ता ने कभी भी मीटर की रीडिंग पर आपत्ति नहीं की।
- 2015 की इंस्टॉलेशन रिपोर्ट पर खुद उपभोक्ता ने हस्ताक्षर किया था, जिसमें MF-02 दर्ज था।
- बिलिंग में गलती केवल “क्लेरिकल एरर” (लेखापाल की चूक) थी।
इसलिए अदालत ने कहा कि बिजली कंपनी को पुराना बकाया वसूलने का अधिकार है।
जहां तक “चेक मीटर” लगाने की मांग थी, कोर्ट ने माना कि उपभोक्ता ने कोई ठोस कारण या मीटर की खराबी नहीं बताई। सिर्फ “संतुष्ट नहीं” लिख देना पर्याप्त नहीं है।
बिजली कंपनी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि केवल अतिरिक्त बिल न चुकाने पर सप्लाई नहीं काटी जाएगी। लेकिन मौजूदा बिलों का भुगतान करना अनिवार्य है। साथ ही बिहार विद्युत विनियामक आयोग (BERC) के आदेश के तहत उपभोक्ता चाहें तो किस्तों में भुगतान कर सकते हैं:
- कम से कम 25% राशि तुरंत जमा करनी होगी।
- बाकी रकम 6 किस्तों में और वर्तमान बिल के साथ जमा करनी होगी।
- विलंब भुगतान पर ब्याज भी लगेगा।
अंततः कोर्ट ने उपभोक्ता की याचिका खारिज कर दी और बिजली कंपनी के अतिरिक्त बिल को सही माना।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर
- बिजली कंपनियों के लिए: यह फैसला साफ करता है कि अगर बिलिंग में किसी तरह की गलती हो गई है, तो कंपनी उसे सुधारकर पुराना बकाया वसूल सकती है। उपभोक्ता यह नहीं कह सकता कि गलती कंपनी की थी, इसलिए उसे भुगतान नहीं करना होगा।
- उपभोक्ताओं के लिए: यह फैसला चेतावनी है कि अगर मीटर रिपोर्ट में MF-02 जैसा गुणक कारक लिखा है, तो बाद में बिल गलत बने होने पर भी कंपनी बकाया वसूल सकती है। हां, उपभोक्ता को अचानक आर्थिक बोझ से राहत देने के लिए किस्तों की सुविधा उपलब्ध रहेगी।
- सार्वजनिक हित में: इससे बिजली कंपनियों की आय का नुकसान रुकेगा और उपभोक्ताओं में भी जागरूकता आएगी कि मीटर इंस्टॉलेशन के समय कागज़ात ध्यान से देखें और समय पर आपत्ति दर्ज करें।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या बिजली कंपनी पुराना बकाया वसूल सकती है अगर MF-01 की जगह गलती से MF-02 का उपयोग नहीं किया गया?
- हाँ। कोर्ट ने कहा यह केवल क्लेरिकल गलती थी और उसे सुधारा जा सकता है।
- क्या उपभोक्ता चेक मीटर लगाने का अधिकार रखता है?
- नहीं। बिना ठोस कारण या मीटर की खराबी बताए सिर्फ असंतोष दिखाना पर्याप्त नहीं है।
- क्या सप्लाई काटी जा सकती है?
- सिर्फ अतिरिक्त बिल न चुकाने पर नहीं। लेकिन मौजूदा बिल का भुगतान न करने पर सप्लाई काटी जा सकती है।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- Assistant Engineer (D1), Ajmer Vidyut Vitran Nigam Ltd. v. Rahamatullah Khan @ Rahamiulla (2020) 4 SCC 650
मामले का शीर्षक
M/s Gokul Steels Private Limited बनाम South Bihar Power Distribution Company Limited एवं अन्य
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 9742 of 2020
उद्धरण (Citation)
2021(1)PLJR 484
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह (निर्णय दिनांक: 13.01.2021)
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री सुरज समदर्शी, अधिवक्ता
- प्रतिवादियों की ओर से: श्री उमेश प्रसाद सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता; श्री प्रकाश कुमार, अधिवक्ता
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjOTc0MiMyMDIwIzEjTg==-xFY34rOnKFs=
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