पटना उच्च न्यायालय 2021 का फैसला: फर्जी दस्तावेज़ों से प्राप्त एलपीजी डीलरशिप रद्द करने का आदेश बरकरार

पटना उच्च न्यायालय 2021 का फैसला: फर्जी दस्तावेज़ों से प्राप्त एलपीजी डीलरशिप रद्द करने का आदेश बरकरार

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला गोपालगंज जिले में एक इंडेन (Indane) गैस एजेंसी से जुड़ा है। याचिकाकर्ता ने एलपीजी (LPG) डीलरशिप खोने के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी।

शुरुआत में यह डीलरशिप याचिकाकर्ता के पिता को “स्वतंत्रता सेनानी श्रेणी” में दी गई थी। पिता की 2008 में मृत्यु के बाद बेटे (याचिकाकर्ता) ने डीलरशिप अपने नाम पर ट्रांसफर कराने की अर्जी दी। जांच के बाद इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) ने अप्रैल 2009 में उसे अनापत्ति पत्र (Letter of Intent) दिया। उसने गोदाम बनवाया, निवेश किया और सितंबर 2009 में समझौता हुआ।

डीलरशिप 2016 में नवीनीकृत भी हुई और कई साल तक काम सही चलता रहा। लेकिन 2019 में IOCL ने नोटिस जारी किया कि –

  • याचिकाकर्ता ने आवेदन के समय फर्जी बैंक स्टेटमेंट लगाया था।
  • उसने झूठे शैक्षणिक प्रमाणपत्र भी जमा किए थे।

आरोप यह था कि उसने 20 लाख रुपये से अधिक का बैंक बैलेंस दिखाया, जबकि बैंक ने पुष्टि की कि उसके खाते में केवल 2.4 लाख रुपये थे।

जवाब सुनने के बाद IOCL ने दिसंबर 2019 में डीलरशिप रद्द कर दी। याचिकाकर्ता ने इसे कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन मई 2020 में हाई कोर्ट ने कहा कि डीलरशिप धोखे से ली गई थी और धोखाधड़ी (Fraud) किसी भी अनुबंध को अमान्य कर देती है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह IOCL के पास “सहानुभूतिपूर्ण आधार” पर फिर से अर्जी दे सकता है।

इसके बाद उसने IOCL में पुनः आवेदन किया, पर IOCL ने जून 2020 में उसका अनुरोध ठुकरा दिया। अब उसने फिर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

उसके तर्क थे कि –

  • उसने 10 साल से ज्यादा सफलतापूर्वक एजेंसी चलाई है।
  • शिकायत पहले बंद हो चुकी थी।
  • नीति परिपत्र (2007) में नियम है कि कुछ मामलों में एजेंसी को पुनः बहाल किया जा सकता है।
  • उसने काफी निवेश किया है, इसलिए न्यायसंगत रूप से एजेंसी मिलनी चाहिए।

IOCL का कहना था कि –

  • डीलरशिप की शुरुआत ही फर्जी दस्तावेज़ों पर हुई थी।
  • धोखाधड़ी को किसी भी तरह से माफ नहीं किया जा सकता।
  • नीति में ऐसे मामलों में बहाली का कोई प्रावधान नहीं है।

न्यायालय ने माना कि पहले ही उसके खिलाफ आदेश दिया जा चुका है। IOCL ने सही कहा कि नियमों में कोई राहत नहीं दी जा सकती। यह भी कहा गया कि धोखे से लिया गया अनुबंध शुरू से ही अमान्य होता है, चाहे बाद में काम कितना भी अच्छा क्यों न किया गया हो।

इसलिए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और IOCL का आदेश बरकरार रखा।

निर्णय का महत्व और प्रभाव

  • एलपीजी एजेंसियों के लिए: यह फैसला चेतावनी है कि आवेदन के समय कोई भी गलत या फर्जी जानकारी देने पर डीलरशिप कभी भी रद्द हो सकती है।
  • तेल कंपनियों के लिए: अदालत ने उनके अधिकार की पुष्टि की कि वे गलत तरीके से हासिल की गई डीलरशिप रद्द कर सकते हैं।
  • जनहित में: यह सुनिश्चित करता है कि गैस एजेंसियां केवल उन्हीं को मिलें जो सही और पात्र उम्मीदवार हों, न कि धोखे से लाभ लेने वालों को।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर डीलरशिप रद्द की जा सकती है?
    • हाँ। अदालत ने कहा कि गलत बयानी और धोखाधड़ी अनुबंध को अवैध बना देती है।
  • क्या लंबे समय तक सही ढंग से एजेंसी चलाना गलती को माफ कर सकता है?
    • नहीं। धोखाधड़ी की वजह से अनुबंध शुरू से ही अमान्य माना जाएगा।
  • क्या सहानुभूतिपूर्ण आधार पर एजेंसी लौटाई जा सकती है?
    • नहीं। नियमों में ऐसी कोई छूट नहीं है।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • Commr., Karnataka Housing Board v. C. Muddaiah, (2007) 7 SCC 689
  • Atma Linga Reddy v. Union of India, (2008) 7 SCC 788
  • Alka Gupta v. Narender Kumar Gupta, (2010) 10 SCC 141
  • B. Prabhakar Rao v. State of A.P., 1985 Supp SCC 432
  • Punjab SEB Ltd. v. Zora Singh, (2005) 6 SCC 776
  • Ashwani Kumar Singh v. U.P. Public Service Commission, (2003) 11 SCC 584
  • Rattan Lal Sharma v. Managing Committee, Dr Hari Ram Higher Secondary School, (1993) 4 SCC 10
  • Dhananjay Sharma v. State of Haryana, (1995) 3 SCC 757

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • Sajeesh Babu K. v. N.K. Santhosh, (2012) 12 SCC 106
  • Chandra Shashi v. Anil Kumar Verma, (1995) 1 SCC 421

मामले का शीर्षक

M/s Gauri Shankar Indane Service बनाम Indian Oil Corporation Ltd. एवं अन्य

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 7295 of 2020

उद्धरण (Citation)

2021(1)PLJR 502

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह (निर्णय दिनांक: 15.01.2021)

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री वाई.एस. लोहित, अधिवक्ता; श्री विवेक प्रसाद, अधिवक्ता; श्री रंजन कुमार श्रीवास्तव
  • प्रतिवादी IOCL की ओर से: श्री अनिल कुमार झा, वरिष्ठ अधिवक्ता; श्री सनत कुमार मिश्रा, अधिवक्ता

निर्णय का लिंक

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjNzI5NSMyMDIwIzEjTg==-tEmRmcgy1fg=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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