निर्णय की सरल व्याख्या
यह मामला बिहार सरकार के योजना एवं विकास विभाग में सांख्यिकीय पर्यवेक्षक (Statistical Supervisor) पद पर कार्यरत एक कर्मचारी से जुड़ा है, जो 31 अगस्त 2015 को सेवानिवृत्त हुए।
2014 में उन्हें निगरानी विभाग (Vigilance) ने एक ट्रैप ऑपरेशन में ₹8,000 रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। उनके खिलाफ आपराधिक मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत लंबित रहा।
इसी बीच विभागीय कार्यवाही शुरू हुई। सेवानिवृत्ति के बाद कार्यवाही को बिहार पेंशन नियमावली (Pension Rules) की धारा 43 के तहत बदल दिया गया। 2017 में विभाग ने आदेश जारी कर उनकी पूरी पेंशन और ग्रेच्युटी रोक दी। अपील करने पर 2018 में विभागीय अपीलीय प्राधिकारी ने भी इस आदेश को बरकरार रखा।
सेवानिवृत्त कर्मचारी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दलील दी कि—
- विभागीय जांच सिर्फ नाममात्र की थी, न कोई गवाह पेश हुआ और न कोई दस्तावेज सबूत के तौर पर दिया गया।
- जांच अधिकारी ने बिना सबूत मान लिया कि वे दोषी हैं।
- उन्हें प्रोविजनल पेंशन (90%) का भुगतान नहीं किया गया, जबकि नियम 43(c) के तहत यह अनिवार्य है।
- ग्रेच्युटी को रोकना कानून के खिलाफ है। अरविंद कुमार सिंह बनाम बिहार राज्य (2018) के फुल बेंच फैसले के अनुसार ग्रेच्युटी रोकी नहीं जा सकती।
राज्य सरकार ने बचाव में कहा कि कर्मचारी ने स्वयं रिश्वत लेने की बात स्वीकार की थी और पेंशन में ग्रेच्युटी भी शामिल होती है, इसलिए पूरी पेंशन रोकना सही है।
कोर्ट ने सभी तथ्यों की जांच के बाद कहा—
- विभागीय जांच अत्यंत लापरवाहीपूर्ण रही। गवाह या दस्तावेज पेश नहीं हुए और दोष सिद्ध करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
- जांच अधिकारी और अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने बिना आधार यह मान लिया कि कर्मचारी दोषी है और उस पर बोझ डाल दिया कि वह अपनी बेगुनाही साबित करे।
- अपीलीय प्राधिकारी ने भी कर्मचारी के तर्कों पर विचार नहीं किया।
- नियम 43(c) के तहत प्रोविजनल पेंशन देना अनिवार्य था, जिसे न देना नियमों का उल्लंघन है।
- अरविंद कुमार सिंह केस लागू होता है, जिसके अनुसार केवल लंबित आपराधिक मामले के आधार पर ग्रेच्युटी रोकी नहीं जा सकती।
इसलिए, कोर्ट ने विभागीय और अपीलीय दोनों आदेशों को रद्द कर दिया। हालांकि विभाग को यह स्वतंत्रता दी गई कि चाहे तो वह नई जांच शुरू करे, लेकिन इसे चार महीने के भीतर पूरा करना होगा। साथ ही, कोर्ट ने निर्देश दिया कि सेवानिवृत्ति की तारीख (31 अगस्त 2015) से लेकर विभागीय आदेश (18 जुलाई 2017) तक का प्रोविजनल पेंशन दो माह के भीतर कर्मचारी को दिया जाए।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव
- निष्पक्ष जांच की आवश्यकता: किसी भी सरकारी कर्मचारी पर भ्रष्टाचार का आरोप गंभीर है, लेकिन केवल आरोप के आधार पर उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता। सबूत और गवाह जरूरी हैं।
- प्रोविजनल पेंशन का अधिकार: जब तक अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, सेवानिवृत्त कर्मचारी को प्रोविजनल पेंशन मिलना ही चाहिए।
- ग्रेच्युटी सुरक्षित अधिकार है: कोर्ट ने साफ किया कि लंबित मामले के आधार पर ग्रेच्युटी नहीं रोकी जा सकती।
- विभागीय अनुशासन: विभागों को नियमों का पालन करना होगा, वरना उनके आदेश कोर्ट में रद्द हो जाएंगे।
- संतुलित दृष्टिकोण: कोर्ट ने तत्काल राहत (प्रोविजनल पेंशन) दी, साथ ही विभाग को निष्पक्ष जांच दोबारा करने की छूट भी दी।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या विभागीय जांच वैध थी?
➡ नहीं। बिना गवाह और सबूत के की गई जांच मान्य नहीं है। - क्या पूरी पेंशन और ग्रेच्युटी रोकी जा सकती थी?
➡ नहीं। यह नियमों और फुल बेंच फैसले के खिलाफ था। - क्या प्रोविजनल पेंशन देना जरूरी था?
➡ हाँ। नियम 43(c) के तहत यह अनिवार्य है। - क्या हाई कोर्ट सबूतों की दोबारा जांच कर सकता था?
➡ कोर्ट ने कहा कि वह सबूतों का पुनर्मूल्यांकन नहीं कर रहा, बल्कि प्रक्रिया की खामियों और न्याय सिद्धांत के उल्लंघन पर आदेश रद्द कर रहा है।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- अरविंद कुमार सिंह बनाम बिहार राज्य, 2018 (2) PLJR 933 (फुल बेंच, पटना हाई कोर्ट)
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- Union of India v. P. Gunasekaran, (2015) 2 SCC 610
- अरविंद कुमार सिंह बनाम बिहार राज्य, 2018 (2) PLJR 933
मामले का शीर्षक
Ram Kumar Singh v. State of Bihar & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 6945 of 2017
उद्धरण (Citation)
2021(1)PLJR 542
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री राजीव कुमार सिंह, अधिवक्ता
- राज्य की ओर से: श्री हरीश कुमार, GP-8
निर्णय का लिंक
https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MTUjNjk0NSMyMDE3IzEjTg==-9qwmtAmDu–ak1–Y=
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