पटना हाई कोर्ट 2021: मृत राजस्व कर्मचारी के वारिसों को सेवा लाभ की गणना पर महत्वपूर्ण फैसला

पटना हाई कोर्ट 2021: मृत राजस्व कर्मचारी के वारिसों को सेवा लाभ की गणना पर महत्वपूर्ण फैसला

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला पटना हाई कोर्ट के 29 जनवरी 2021 के निर्णय से जुड़ा है। यह निर्णय एक Letters Patent Appeal (LPA) में दिया गया, जो एक रिट याचिका से उत्पन्न हुआ था। मूल विवाद यह था कि एक मृत सरकारी कर्मचारी की सेवा से हटाने और बाद में दी गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा को जब न्यायालय ने रद्द कर दिया, तो उसके वारिसों को सेवा लाभ (consequential benefits) किस तारीख तक मिलना चाहिए — क्या सिर्फ अपीलीय आदेश की तारीख तक या फिर कर्मचारी की वास्तविक मृत्यु तक।

पृष्ठभूमि

एक राजस्व कर्मचारी ने 1993 में सेवा जॉइन की। जनवरी 2012 में उसे निलंबित किया गया और उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चली। 30 जून 2014 को जिलाधिकारी ने उसे सेवा से हटा दिया। कर्मचारी ने अपील की, और 8 दिसम्बर 2014 को संभागीय आयुक्त ने सजा को बदलकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति कर दिया। इन दोनों आदेशों (हटाने और अनिवार्य सेवानिवृत्ति) को कर्मचारी ने पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी।

मामले की सुनवाई के दौरान 27 अक्टूबर 2016 को कर्मचारी की मृत्यु हो गई और उसके कानूनी वारिसों को याचिका में शामिल किया गया।

एकल न्यायाधीश का आदेश

माननीय एकल न्यायाधीश ने दोनों आदेशों को रद्द कर दिया। लेकिन उन्होंने यह निर्देश दिया कि मृत कर्मचारी को सेवा में सिर्फ 8 दिसम्बर 2014 तक (यानी अपीलीय आदेश की तारीख तक) ही माना जाए और उसी आधार पर वारिसों को लाभ दिया जाए।

अपील और द्वैधपीठ का फैसला

कर्मचारी के वारिस इस आदेश से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने LPA दाखिल किया। उनका तर्क था कि जब दोनों आदेश (हटाने और अनिवार्य सेवानिवृत्ति) ही रद्द हो गए हैं, तो मृत कर्मचारी को 27 अक्टूबर 2016 (वास्तविक मृत्यु की तारीख) तक सेवा में माना जाना चाहिए।

द्वैधपीठ (मुख्य न्यायाधीश और एक अन्य न्यायाधीश) ने वारिसों की इस दलील से सहमति जताई और आदेश में संशोधन किया। अदालत ने कहा कि मृत कर्मचारी को 30 जून 2014 (हटाए जाने की तारीख) से 27 अक्टूबर 2016 (मृत्यु की तारीख) तक काल्पनिक रूप से सेवा में माना जाएगा और उसी आधार पर सभी पूर्व-सेवानिवृत्ति एवं सेवानिवृत्ति के बाद के बकाए (जैसे पेंशन, ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट आदि) की गणना की जाएगी।

इस तरह, अदालत ने वारिसों को अधिक लाभ दिलाने के लिए एकल न्यायाधीश के आदेश में संशोधन किया और अपील का निपटारा कर दिया।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  • आम जनता के लिए: यह फैसला उन परिवारों के लिए बहुत अहम है जिनके सदस्य की मृत्यु अनुशासनात्मक कार्यवाही के दौरान हो जाती है। अगर हटाने या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया जाता है, तो परिवार को सिर्फ अपीलीय आदेश की तारीख तक ही नहीं, बल्कि मृत्यु की वास्तविक तारीख तक के सेवा लाभ मिल सकते हैं।
  • सरकारी विभागों के लिए: यह फैसला चेतावनी है कि यदि अनुशासनात्मक कार्यवाही में त्रुटि होगी तो बाद में सरकार को अतिरिक्त वित्तीय भार उठाना पड़ेगा।
  • वकीलों और अधिवक्ताओं के लिए: यह एक नजीर है कि कैसे न्यायालय मृत्यु के मामलों में भी “काल्पनिक सेवा निरंतरता” (notional continuity of service) का सिद्धांत लागू करके वारिसों को उचित लाभ दिला सकता है।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या वारिसों को केवल अपीलीय आदेश (8 दिसम्बर 2014) तक ही लाभ मिलना चाहिए था या मृत्यु (27 अक्टूबर 2016) तक?
    • निर्णय: मृत्यु तक। अदालत ने कहा कि जब दोनों आदेश रद्द हो गए हैं, तो कर्मचारी को 27 अक्टूबर 2016 तक सेवा में माना जाएगा।
  • क्या वारिसों को पूर्व-सेवानिवृत्ति और सेवानिवृत्ति के बाद के सभी लाभ मिलेंगे?
    • निर्णय: हाँ। अदालत ने निर्देश दिया कि सभी लाभ उसी आधार पर दिए जाएं मानो कर्मचारी 30 जून 2014 से 27 अक्टूबर 2016 तक सेवा में रहा हो।

मामले का शीर्षक

Letters Patent Appeal No. 709 of 2018 in Civil Writ Jurisdiction Case No. 2518 of 2015 (Patna High Court)

केस नंबर

LPA No. 709 of 2018 in CWJC No. 2518 of 2015

उद्धरण (Citation)

2021(1)PLJR 561

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय मुख्य न्यायाधीश (संजय करोल, CJ) और माननीय न्यायमूर्ति एस. कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • अपीलकर्ताओं (वारिसों) की ओर से: श्रीमती महास्वेता चटर्जी, अधिवक्ता
  • राज्य/प्रतिवादियों की ओर से: श्री मजिद महबूब खान, ए.सी. टू AAG-12

निर्णय का लिंक

https://patnahighcourt.gov.in/viewjudgment/MyM3MDkjMjAxOCMxI04=-8a6zMu10K4s=

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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