पटना हाईकोर्ट 2021: एक्साइज ड्यूटी विवाद में रिट याचिका नहीं, अपील का रास्ता अपनाना जरूरी

पटना हाईकोर्ट 2021: एक्साइज ड्यूटी विवाद में रिट याचिका नहीं, अपील का रास्ता अपनाना जरूरी

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने एक साथ दायर कई रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि सेंट्रल एक्साइज एक्ट, 1944 के तहत पारित आदेशों के खिलाफ सीधे हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर नहीं की जा सकती। इसके लिए कानून में निर्धारित अपील और पुनरीक्षण (appeal and revision) की व्यवस्था मौजूद है।

इन मामलों में याचिकाकर्ता अलग-अलग व्यवसायी थे, जिन पर बड़ी मात्रा में सिगरेट की अवैध उत्पादन और बिक्री का आरोप था। वर्ष 2013-14 में बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में छापेमारी के दौरान करोड़ों सिगरेट बरामद की गईं। बाद में विभाग ने 2018 में आदेश पारित कर सिगरेट जब्त की, भारी कर वसूली का आदेश दिया और जुर्माना लगाया।

याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में दलील दी कि:

  1. उन्हें गवाहों से जिरह (cross-examination) करने का मौका नहीं दिया गया।
  2. वे आर्थिक तंगी के कारण अपील में जरूरी प्री-डिपॉज़िट (पहले से जमा राशि) नहीं कर सकते।

लेकिन हाईकोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा:

  • वैकल्पिक उपाय मौजूद है: सेंट्रल एक्साइज एक्ट में अपील और पुनरीक्षण की पूरी प्रक्रिया है। जब वैकल्पिक उपाय उपलब्ध हो तो रिट याचिका सीधे दाखिल नहीं की जा सकती।
  • प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन नहीं हुआ: गवाहों से जिरह न कराने से कोई गंभीर अन्याय साबित नहीं हुआ। याचिकाकर्ताओं ने खुद भी सिगरेट बरामदगी का खंडन नहीं किया।
  • आर्थिक कठिनाई आधार नहीं बन सकती: प्री-डिपॉज़िट न कर पाने की दलील रिट को स्वीकार करने का कारण नहीं हो सकती।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वित्तीय कानूनों में बने प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य है और केवल अपील अथवा पुनरीक्षण का ही रास्ता अपनाना होगा। हालांकि, कोर्ट ने यह राहत दी कि अगर याचिकाकर्ता चार हफ्तों में अपील दाखिल कर दें तो समय-सीमा (limitation) बाधा नहीं बनेगी और अपील छह महीने में निपटा दी जाएगी।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव

  • करदाताओं और व्यवसायियों के लिए: यह फैसला बताता है कि एक्साइज और टैक्स मामलों में सीधे रिट दायर नहीं करनी चाहिए। पहले कानून में दी गई अपील की प्रक्रिया अपनानी होगी।
  • सरकारी विभागों के लिए: यह आदेश उनकी कार्रवाई को मजबूती देता है और बताता है कि जब्तगी और कर निर्धारण आदेश तब तक लागू रहेंगे जब तक अपील में निरस्त न हों।
  • न्याय प्रणाली के लिए: यह निर्णय दोहराता है कि हाईकोर्ट को तभी हस्तक्षेप करना चाहिए जब कानून की पूरी तरह अनदेखी हो या गंभीर अन्याय हो।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या अपील का रास्ता छोड़कर सीधे रिट दाखिल की जा सकती है?
    ❌ नहीं। जब वैकल्पिक उपाय मौजूद हो तो रिट याचिका बरकरार नहीं रखी जा सकती।
  • क्या गवाहों से जिरह का अवसर न देना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है?
    ❌ नहीं, जब तक कोई गंभीर अन्याय साबित न हो।
  • क्या आर्थिक कठिनाई के आधार पर प्री-डिपॉज़िट से छूट मिल सकती है?
    ❌ नहीं। केवल वित्तीय तंगी से रिट याचिका स्वीकार नहीं की जाएगी।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय

  • Lakshman Exports Ltd. v. Collector of Central Excise (2005) 10 SCC 634
  • Rajiv Arora v. Union of India AIR 2009 SC 1100
  • Andaman Timber Industries v. CCE Kolkata-II 2015 (324) ELT 641 (SC)
  • Arya Abhushan Bhandar v. Union of India 2002 (143) ELT 25 (SC)

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • Kanungo & Co. v. Collector of Customs (1973) 2 SCC 438
  • Union of India v. Alok Kumar (2010) 5 SCC 349
  • Authorized Officer, State Bank of Travancore v. Mathew K.C. (2018) 3 SCC 85
  • CIT v. Chhabil Dass Agarwal (2014) 1 SCC 603
  • Satyawati Tondon v. Union of India (2010) 8 SCC 110

मामले का शीर्षक

Shri Raj Kumar Gupta @ Raj Kumar Sultania @ Raju Sultania एवं अन्य बनाम Union of India एवं अन्य (संबद्ध याचिकाओं सहित)

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 4098 of 2019 (साथ ही CWJC Nos. 4374/2019, 4541/2019, 4542/2019, 4645/2019, और 8335/2019)

उद्धरण (Citation)

2021(1) PLJR 655

न्यायमूर्ति गण का नाम

  • माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल
  • माननीय श्री न्यायमूर्ति एस. कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • श्री एन.के. अग्रवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता व श्री प्रकाश चंद्र अग्रवाल — याचिकाकर्ताओं की ओर से
  • डॉ. के.एन. सिंह, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल व श्री राजेश कुमार वर्मा — प्रतिवादियों की ओर से

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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