निर्णय की सरल व्याख्या
फरवरी 2021 में पटना हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया। यह मामला बिहार सरकार के दो इंजीनियरों से जुड़ा था, जो सड़क निर्माण विभाग में कार्यरत थे और बाद में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) में प्रतिनियुक्ति (deputation) पर गए।
बाद में जब NHAI ने स्थायी नियुक्ति (absorption) के लिए आवेदन मांगे, तो इन इंजीनियरों ने बिहार सरकार से “नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट” (NOC) मांगा। लेकिन सरकार ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद दोनों ने अक्टूबर 2014 में इस्तीफा दिया और अनुरोध किया कि उनका इस्तीफा इस शर्त पर स्वीकार किया जाए कि उन्हें पेंशन और अन्य रिटायरमेंट लाभ मिलते रहें।
सरकार ने लंबे समय तक निर्णय टाला और अंततः जनवरी 2016 में उनका इस्तीफा स्वीकार किया, लेकिन यह शर्त जोड़ दी कि उन्हें पेंशन और ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी। केवल जीपीएफ, ग्रुप इंश्योरेंस और 50% अवकाश नकदीकरण (leave encashment) की अनुमति दी गई।
इंजीनियरों ने इस आदेश को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
- उनका मामला स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement) का नहीं था, बल्कि “टेक्निकल रिजाइन” का था ताकि वे NHAI में शामिल हो सकें।
- नियम 74(b) बिहार सर्विस कोड का उन पर लागू नहीं होता।
- बिहार पेंशन नियम 1950 का नियम 101(a), जो कहता है कि इस्तीफा देने पर पिछली सेवा समाप्त मानी जाएगी, केवल तब लागू होता है जब इस्तीफा दंड या अनुशासनात्मक कारण से दिया गया हो।
- उन्होंने पहले के फैसलों (जैसे Binay Kumar Thakur और Deo Krishna Mishra) का हवाला दिया, जिनमें ऐसे कर्मचारियों को पेंशन दी गई थी।
राज्य सरकार की दलीलें
- बिना 20 साल सेवा पूरे किए, पेंशन नहीं मिल सकती।
- सरकार ने बार-बार लिखा कि यदि आप इस्तीफे पर अड़े हैं, तो शपथपत्र दें कि पेंशन और ग्रेच्युटी का दावा नहीं करेंगे।
- याचिकाकर्ताओं ने अंततः लिखित सहमति दी कि उनका इस्तीफा सरकार के नियमों के अनुसार स्वीकार किया जाए।
- इसलिए यह इस्तीफा “साधारण इस्तीफा (resignation simpliciter)” नहीं था।
अदालत की राय
- नियम 101(a) साफ कहता है कि इस्तीफा देने पर पिछली सेवा समाप्त हो जाती है। केवल वही कर्मचारी अपवाद (exception) में आते हैं जो किसी अन्य सरकारी पेंशन योग्य सेवा में शामिल होने के लिए इस्तीफा देते हैं और जिनके पास NOC होता है। याचिकाकर्ताओं को यह अनुमति नहीं मिली थी।
- चूँकि उन्हें पहले से ही लिखित रूप में बताया गया था कि पेंशन नहीं मिलेगी और उन्होंने फिर भी इस्तीफा स्वीकार करने का अनुरोध किया, उनका इस्तीफा शर्तों के साथ था, न कि साधारण इस्तीफा।
- पहले दिए गए फैसले (Deo Krishna Mishra) अब मान्य नहीं हैं, क्योंकि डिवीजन बेंच ने Dr. Shahida Hassan (2010) केस में इसे गलत कानून माना और साफ कहा कि इस्तीफे पर सेवा का अधिकार समाप्त हो जाता है।
अदालत का निर्णय
पटना हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को सही ठहराया और याचिकाएँ खारिज कर दीं।
- याचिकाकर्ताओं को पेंशन और ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी।
- उन्हें केवल GPF, ग्रुप इंश्योरेंस और 50% अवकाश नकदीकरण का लाभ मिलेगा।
निर्णय का महत्व और प्रभाव
- सरकारी कर्मचारियों के लिए: यह फैसला स्पष्ट करता है कि अगर कोई कर्मचारी इस्तीफा देता है और उसके पास NOC नहीं है, तो वह पेंशन और अन्य रिटायरमेंट लाभ खो देगा।
- प्रशासन के लिए: यह फैसला विभागों को मजबूती देता है ताकि वे पेंशन संबंधी मामलों में एकसमान नीति अपना सकें।
- NHAI जैसी संस्थाओं में प्रतिनियुक्त इंजीनियरों के लिए: अगर वे स्थायी नियुक्ति चाहते हैं, तो बिना NOC के इस्तीफा देना पेंशन अधिकारों से वंचित कर सकता है।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या NHAI में शामिल होने के लिए दिया गया इस्तीफा पेंशन का अधिकार देता है?
- नहीं। NOC के बिना इस्तीफा सेवा समाप्ति माना जाएगा।
- क्या यह “साधारण इस्तीफा” था?
- नहीं। यह नियमों और शर्तों के तहत स्वीकार किया गया था।
- क्या पुराने फैसले (जैसे Deo Krishna Mishra) लागू हैं?
- नहीं। उन्हें डिवीजन बेंच ने 2010 में अस्वीकार कर दिया था।
पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
- Binay Kumar Thakur v. State of Bihar, 2019 (2) PLJR 885
- Deo Krishna Mishra v. State of Bihar, 2004 (1) PLJR 12
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- State of Bihar v. Dr. Shahida Hassan, 2010 (2) PLJR 189
- State of Bihar v. Kailash Pati Chaturvedi, 2010 SCC OnLine Pat 88
- Syed Raza Ahmad Hussaini v. State of Bihar, 2007 SCC OnLine Pat 328
मामले का शीर्षक
- Rajiv Nayanam v. State of Bihar & Ors.
- Amrendra Singh v. State of Bihar & Ors.
केस नंबर
- CWJC No. 5045 of 2017
- CWJC No. 5551 of 2017
उद्धरण (Citation)
2021(1) PLJR 701
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ताओं की ओर से: श्री राजेश कुमार सिंह, श्री रणविजय नारायण सिंह, श्री धर्मेंद्र कुमार सिंह, सुश्री हिमांशी सिंह
- राज्य की ओर से: श्री मनोज कुमार अंबष्ठा (SC 26), श्रीमती पुष्पांजलि शर्मा, श्री बलराम कपरी
- NHAI की ओर से: श्री एस.एन. पाठक
निर्णय का लिंक
MTUjNTA0NSMyMDE3IzEjTg==-6G4rluEeljo=
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