पटना हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: जीएसटी अपीलों में 10% प्री-डिपॉज़िट और अंतरिम स्थगन — 2024

पटना हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: जीएसटी अपीलों में 10% प्री-डिपॉज़िट और अंतरिम स्थगन — 2024

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर 2024 को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) से जुड़े एक महत्वपूर्ण सवाल को स्पष्ट किया। यह सवाल था — जब तक जीएसटी अपीलीय अधिकरण (Tribunal) की स्थापना नहीं होती, तब तक अपील दाखिल करने के लिए कितने प्रतिशत प्री-डिपॉज़िट (पहले से जमा राशि) देना होगा और क्या कर वसूली पर रोक मिल सकती है?

सुप्रीम कोर्ट और संसद ने पहले यह व्यवस्था दी थी कि अपीलीय अधिकरण में अपील करने के लिए करदाता को विवादित कर राशि का 20% जमा करना होगा। लेकिन हाल ही में संसद ने संशोधन करके इसे 10% कर दिया, जो 01.11.2024 से लागू हो गया। समस्या यह थी कि अभी तक राज्य और केंद्र में अपीलीय अधिकरण (GST Tribunal) बना ही नहीं है। नतीजतन, करदाता अपील नहीं कर पा रहे थे और विभाग वसूली की कार्रवाई शुरू कर रहा था।

पहले पटना हाईकोर्ट ने अपने एक पुराने फैसले (SAJ Food Products Pvt. Ltd. बनाम राज्य) में अंतरिम राहत दी थी कि जब तक ट्रिब्यूनल नहीं बनता, करदाता अगर 20% जमा करता है तो कर वसूली पर रोक लग जाएगी। लेकिन अब चूंकि कानून बदल चुका है और जमा राशि 10% कर दी गई है, इसलिए हाईकोर्ट ने कहा कि अब केवल 10% जमा करने पर ही करदाता को राहत मिलेगी।

कोर्ट ने साफ किया कि —

  • यह राहत अनिश्चितकालीन नहीं होगी।
  • जैसे ही ट्रिब्यूनल बन जाएगा और उसके अध्यक्ष पद पर बैठ जाएंगे, करदाता को तय समय के भीतर अपील दाखिल करनी होगी।
  • अगर करदाता अपील दाखिल नहीं करता, तो विभाग को बकाया वसूलने का पूरा अधिकार होगा।

साथ ही, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि अगर करदाता 10% राशि जमा कर देता है तो उसकी बैंक खाते की कुर्की या अन्य जब्ती की कार्रवाई रोक दी जाएगी। इसका उद्देश्य यह है कि व्यापारी और छोटे व्यवसाय बिना वजह की वित्तीय कठिनाई में न फँसें, खासकर जब अपील का मंच (Tribunal) ही उपलब्ध नहीं है।

यह फैसला संतुलन बनाता है — एक तरफ़ करदाताओं को अनावश्यक बोझ से बचाता है, वहीं सरकार के राजस्व हितों की भी रक्षा करता है।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  • करदाताओं के लिए: यह फैसला छोटे और मध्यम व्यवसायियों के लिए राहत की तरह है। अब उन्हें विवादित कर की केवल 10% राशि जमा करनी होगी और वसूली पर रोक मिल जाएगी। इससे उनके नकदी प्रवाह (cash flow) पर दबाव कम होगा।
  • सरकार के लिए: कोर्ट ने कर पूरी तरह माफ नहीं किया, बल्कि केवल राहत दी है। इससे सरकार के राजस्व पर सीधा असर नहीं पड़ेगा। जैसे ही ट्रिब्यूनल बनेगा, अपील दाखिल करना ज़रूरी होगा और करदाता को पूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा।
  • व्यवस्था के लिए संदेश: यह फैसला सरकार को याद दिलाता है कि ट्रिब्यूनल का गठन जल्द से जल्द करना चाहिए ताकि कानूनी व्यवस्था सुचारु रूप से चले।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • मुद्दा 1: प्री-डिपॉज़िट की राशि कितनी होगी — 20% या 10%?
    निर्णय: केवल 10%। संसद ने संशोधन कर दिया है और यह अब प्रभावी है।
  • मुद्दा 2: क्या ट्रिब्यूनल के न बनने तक वसूली की कार्रवाई जारी रहेगी?
    निर्णय: नहीं। अगर करदाता 10% जमा करता है तो वसूली पर रोक रहेगी।
  • मुद्दा 3: क्या यह रोक हमेशा रहेगी?
    निर्णय: नहीं। जैसे ही ट्रिब्यूनल बनेगा, करदाता को तय समय में अपील करनी होगी।
  • मुद्दा 4: क्या जब्ती/बैंक खाते की कुर्की जारी रहेगी?
    निर्णय: अगर करदाता 10% जमा करता है तो खाते की कुर्की हटाई जाएगी।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • SAJ Food Products Pvt. Ltd. बनाम राज्य, C.W.J.C. No. 15465 of 2022 — जिसमें पहले 20% जमा करने की शर्त पर राहत दी गई थी।

मामले का शीर्षक
एम/एस शक्ति इन्फोटेक प्रा. लि. बनाम भारत संघ

केस नंबर
CWJC No. 16663 of 2024

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन एवं माननीय न्यायमूर्ति पार्थ सारथि (मौखिक निर्णय दिनांक 29-10-2024)।

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • याचिकाकर्ता की ओर से: श्री विकास कुमार पंकज, अधिवक्ता।
  • प्रतिवादी (केंद्र/राज्य जीएसटी विभाग) की ओर से: डॉ. के. एन. सिंह, ए.एस.जी.; श्री अंशुमान सिंह, वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता (CGST & CX); श्री शिवादित्य धारी सिन्हा, ए.सी. टू ए.एस.जी.; श्री देवांश शंकर सिंह, जे.सी. टू ए.एस.जी.

निर्णय का लिंक
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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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