निर्णय की सरल व्याख्या
यह मामला बिहार सरकार के खनन एवं भूतत्व विभाग के एक सेवानिवृत्त अधिकारी (याचिकाकर्ता) से जुड़ा था। उनके खिलाफ यह आरोप था कि उन्होंने अपनी ज्ञात आय के स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की। इस आधार पर सरकार ने बिहार पेंशन नियमावली की धारा 43(b) के तहत उनकी पूरी पेंशन (100%) जब्त करने का आदेश दिया।
सेवानिवृत्त अधिकारी ने इस आदेश को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी।
पहले, C.W.J.C. No. 9009 of 2017 में कोर्ट ने कहा कि पूरी पेंशन जब्त करना अनुचित और अनुपातहीन (Disproportionate) है। अदालत ने यह माना कि भ्रष्टाचार गंभीर अपराध है, लेकिन सजा हमेशा आरोप की गंभीरता के अनुपात में होनी चाहिए। किसी कर्मचारी की 100% पेंशन आजीवन रोक लेना, उसे जीने के लिए साधनविहीन कर देता है और यह अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है।
इसके बाद विभाग ने नया आदेश पारित किया और 2019 में याचिकाकर्ता की 60% पेंशन जब्त करने का निर्णय लिया। इस बार कारण यह दिया गया कि याचिकाकर्ता पर अभी भी विजिलेंस अदालत में आपराधिक मुकदमा लंबित है।
याचिकाकर्ता ने इस आदेश को भी चुनौती दी। पटना हाईकोर्ट ने 25 फरवरी 2021 को यह निर्णय दिया कि:
- जब तक विजिलेंस मुकदमे का अंतिम फैसला नहीं हो जाता, तब तक 60% पेंशन जब्त रहेगी।
- अगर याचिकाकर्ता विजिलेंस मामले में बरी होते हैं, तो वे पेंशन जब्ती को चुनौती देकर पूरी पेंशन बहाल करा सकते हैं।
- अगर वे दोषी ठहराए जाते हैं, तो 60% पेंशन जब्ती बरकरार रहेगी।
- इस बीच याचिकाकर्ता को 40% पेंशन तुरंत दी जानी चाहिए, और चार माह के भीतर भुगतान करना होगा।
अदालत ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि आरोप गंभीर हैं, लेकिन जब तक मुकदमा तय नहीं होता, तब तक व्यक्ति को पूरी तरह पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता।
निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव
- कर्मचारियों के लिए: यह फैसला स्पष्ट करता है कि पेंशन जीवन निर्वाह का साधन है और इसे पूरी तरह से छीनना अनुचित है।
- सरकार और विभागों के लिए: यह निर्णय याद दिलाता है कि सजा अनुपातिक और न्यायसंगत होनी चाहिए। भ्रष्टाचार पर सख्ती जरूरी है, लेकिन दंड इतना कठोर नहीं होना चाहिए कि वह मानवीय गरिमा का हनन कर दे।
- चल रहे विजिलेंस मामलों के लिए: यह फैसला बताता है कि लंबित मुकदमे के आधार पर पेंशन को स्थायी रूप से जब्त नहीं किया जा सकता। अंतिम फैसला आने तक कर्मचारी को न्यूनतम सुरक्षा मिलनी चाहिए।
कानूनी मुद्दे और निर्णय
- क्या 100% पेंशन जब्त करना सही है?
• अदालत का निर्णय: नहीं। यह अत्यधिक और असंवैधानिक है। - क्या 60% पेंशन जब्त करना वैध है?
• अदालत का निर्णय: हाँ, लेकिन यह फैसला विजिलेंस मामले के अंतिम नतीजे पर निर्भर करेगा। - याचिकाकर्ता को अभी क्या राहत मिली?
• अदालत का निर्णय: 40% पेंशन तुरंत भुगतान की जाए, चार माह के भीतर।
न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
- C.W.J.C. No. 9009 of 2017 – जिसमें कहा गया कि 100% पेंशन जब्ती अनुचित है।
मामले का शीर्षक
Jhakari Ram बनाम The State of Bihar & Ors.
केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 19518 of 2019
(with CWJC No. 21783 of 2019)
उद्धरण (Citation)
2021(2) PLJR 50
न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय श्री न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय (मौखिक निर्णय दिनांक 25-02-2021)
वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
- याचिकाकर्ता की ओर से: श्री अखिलेश दत्ता वर्मा, अधिवक्ता
- राज्य की ओर से: श्री ज्ञान प्रकाश ओझा (GA-7), श्री एस.के. मंडल (SC-3) एवं सहयोगी अधिवक्ता
- खनन विभाग की ओर से: श्री नरेश किक्षित, विशेष लोक अभियोजक; श्रीमती कल्पना, अधिवक्ता
- BPSC की ओर से: श्री नीरज कुमार, अधिवक्ता
- लेखा महानियंत्रक की ओर से: श्री राम किंगर चौबे, अधिवक्ता
निर्णय का लिंक
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