पटना उच्च न्यायालय का फैसला: पेट्रोल पंप की लीज़ मृतक डीलर से कानूनी उत्तराधिकारियों को मान्य (2024)

पटना उच्च न्यायालय का फैसला: पेट्रोल पंप की लीज़ मृतक डीलर से कानूनी उत्तराधिकारियों को मान्य (2024)

निर्णय की सरल व्याख्या

पटना उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि यदि पेट्रोल पंप (ईंधन रिटेल आउटलेट) पहले से ही एक पंजीकृत लीज़ (पट्टा) पर चल रहा है, और वह लीज़ मृतक डीलर के नाम पर बनी हुई है, तो उसके कानूनी उत्तराधिकारी उसी लीज़ पर आगे कारोबार जारी रख सकते हैं। कंपनी (तेल विपणन निगम) कानूनी उत्तराधिकारियों से यह मांग नहीं कर सकती कि वे पहले अपने नाम से नई लीज़ रजिस्टर्ड कराएँ। अदालत ने साफ कहा कि जब तक पुरानी लीज़ वैध और चालू है, तब तक उसी आधार पर डीलरशिप का पुनर्गठन (reconstitution) किया जाना चाहिए।

इस मामले में, याचिकाकर्ताओं की माता को कंपनी ने 2006 में पेट्रोल पंप चलाने का अधिकार दिया था और उसी समय 35 साल की पंजीकृत लीज़ (11 दिसम्बर 2006) भी की गई थी। 2022 में डीलर की मृत्यु हो गई। इसके बाद, कानूनी उत्तराधिकारी (बच्चों) ने डीलरशिप अपने नाम कराने की प्रक्रिया शुरू की। कंपनी ने पहले तो 20 अक्तूबर 2022 को सिद्धांत रूप में सहमति दे दी, लेकिन साथ ही यह शर्त रख दी कि या तो नई लीज़ उनके नाम से लाई जाए या जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम पर हो। 18 मई 2023 को भी कंपनी ने यही शर्त दोहराई। इसी शर्त को चुनौती देते हुए मामला पटना उच्च न्यायालय में लाया गया।

अदालत ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के फैसले State of West Bengal v. Kailash Chandra Kapur (AIR 1997 SC 1348) का हवाला लिया, जिसमें यह कहा गया था कि किरायेदारी या लीज़ अधिकार उत्तराधिकार में चल जाते हैं, जब तक कि किसी विशेष कानून में अलग व्यवस्था न हो। यह सिद्धांत आवासीय और व्यावसायिक दोनों प्रकार की किरायेदारी पर लागू होता है।

अदालत ने पाया कि चूँकि 35 साल की पंजीकृत लीज़ पहले से मौजूद है और अब भी वैध है, तो कंपनी द्वारा नई लीज़ की मांग कानूनन सही नहीं है। इसीलिए, अदालत ने 18 मई 2023 की चिट्ठी में डाली गई शर्त को रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि पुरानी लीज़ को ही मान्य मानकर डीलरशिप पुनर्गठन किया जाए।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

• आम जनता को राहत: इस फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि पेट्रोल पंप जैसी आवश्यक सेवाएँ डीलर की मृत्यु के बाद भी बिना रुकावट चलती रहेंगी।
• परिवारों के लिए सुरक्षा: यह निर्णय उन परिवारों के लिए महत्वपूर्ण है जो पीढ़ियों से पेट्रोल पंप चला रहे हैं। उन्हें अब नई लीज़ या जमीन खरीदने की जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा।
• सरकारी कंपनियों के लिए स्पष्टता: तेल विपणन कंपनियाँ अक्सर नई लीज़ की मांग करती हैं, लेकिन अब उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि उत्तराधिकारियों को पहले से मौजूद लीज़ पर ही अधिकार मिल जाता है।
• कानूनी स्थिरता: यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांत के अनुरूप है और इससे पूरे राज्य में एकरूपता और कानूनी स्थिरता बनी रहेगी।
• प्रशासनिक दक्षता: इससे सरकारी कंपनियों को बार-बार लीज़ बदलने की प्रक्रिया से छुटकारा मिलेगा और कामकाज तेज़ी से होगा।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

• क्या मृतक डीलर की जगह उनके कानूनी उत्तराधिकारी पुरानी लीज़ पर डीलरशिप चला सकते हैं? – हाँ। अदालत ने कहा कि पुरानी लीज़ वैध और चालू है, इसलिए उत्तराधिकारी उसी पर अधिकार रखते हैं।
• क्या कंपनी द्वारा नई लीज़ या जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम पर लाने की मांग सही थी? – नहीं। अदालत ने इस शर्त को रद्द कर दिया।
• क्या किरायेदारी/लीज़ अधिकार उत्तराधिकार में चलते हैं? – हाँ। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार ये अधिकार सामान्य उत्तराधिकार कानून के अनुसार परिवार को मिलते हैं।

पार्टियों द्वारा संदर्भित निर्णय
• State of West Bengal & Anr. v. Kailash Chandra Kapur & Ors., AIR 1997 SC 1348.

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय
• State of West Bengal & Anr. v. Kailash Chandra Kapur & Ors., AIR 1997 SC 1348.

मामले का शीर्षक
Saroj Devi vs. Indian Oil-Corporation & Ors. (Fuel Retail Outlet Reconstitution)

केस नंबर
Civil Writ Jurisdiction Case No. 5246 of 2024.

उद्धरण (Citation)
2025 (1) PLJR 490

न्यायमूर्ति गण का नाम
माननीय न्यायमूर्ति ए. अभिषेक रेड्डी

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए
• याचिकाकर्ता की ओर से – श्री नीरज कुमार गुप्ता, अधिवक्ता
• प्रतिवादी की ओर से – श्री सनत कुमार मिश्रा, अधिवक्ता
• निगम की ओर से – श्री के.डी. चटर्जी, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं श्री अमलेश कुमार वर्मा, अधिवक्ता

निर्णय का लिंक
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Samridhi Priya

Samriddhi Priya is a third-year B.B.A., LL.B. (Hons.) student at Chanakya National Law University (CNLU), Patna. A passionate and articulate legal writer, she brings academic excellence and active courtroom exposure into her writing. Samriddhi has interned with leading law firms in Patna and assisted in matters involving bail petitions, FIR translations, and legal notices. She has participated and excelled in national-level moot court competitions and actively engages in research workshops and awareness programs on legal and social issues. At Samvida Law Associates, she focuses on breaking down legal judgments and public policies into accessible insights for readers across Bihar and beyond.

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