पटना हाई कोर्ट का फैसला: जीएसटी में एक्स-पार्टी असेसमेंट और अपील खारिज करने का आदेश रद्द

पटना हाई कोर्ट का फैसला: जीएसटी में एक्स-पार्टी असेसमेंट और अपील खारिज करने का आदेश रद्द

निर्णय की सरल व्याख्या

यह मामला एक ऐसे करदाता से जुड़ा है जो जीएसटी (Goods and Services Tax) के तहत रजिस्टर्ड था। करदाता ने समय पर रिटर्न दाखिल नहीं किया, जिसके कारण विभाग ने सेक्शन 62(1) के तहत एक्स-पार्टी असेसमेंट (यानी बिना सुनवाई के “बेस्ट जजमेंट” असेसमेंट) कर दिया। इस आदेश में करदाता पर बड़ा वित्तीय दायित्व डाला गया।

बाद में जब करदाता ने अपील दायर की तो अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Authority) ने इसे सिर्फ इसलिए खारिज कर दिया कि अपील “समय-सीमा से बाहर” दाखिल की गई थी। लेकिन करदाता का कहना था कि कोरोना महामारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रकार की समय-सीमाओं को बढ़ा दिया था, इसलिए अपील को समय-सीमा से बाहर नहीं माना जाना चाहिए था।

पटना हाई कोर्ट ने दोनों मुद्दों पर करदाता के पक्ष में फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि—

  1. अपीलीय प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश (Suo Motu Writ (Civil) No. 3 of 2020) को नजरअंदाज किया, जबकि उस आदेश के तहत महामारी के दौरान सभी अपीलों के लिए समय-सीमा बढ़ा दी गई थी। इसलिए अपील खारिज करना गलत था।
  2. मूल असेसमेंट आदेश भी गलत था, क्योंकि यह बिना उचित सुनवाई और कारण बताए पारित किया गया था। ऐसा आदेश “प्राकृतिक न्याय” के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है और टिक नहीं सकता।

कोर्ट ने दोनों आदेशों को रद्द कर दिया और मामला फिर से असेसिंग अथॉरिटी (Assessing Authority) को भेज दिया।

कोर्ट ने करदाता और विभाग दोनों के हितों को संतुलित रखने के लिए कुछ शर्तें भी रखीं। करदाता ने कहा कि उसने पहले ही लगभग 45% राशि जमा कर दी है और अब ₹3,00,000 और जमा करेगा। कोर्ट ने इसे स्वीकार किया और कहा कि यदि अंतिम आदेश के बाद पता चलता है कि करदाता ने जरूरत से ज्यादा राशि दी है तो सरकार को वह राशि तुरंत वापस करनी होगी।

साथ ही कोर्ट ने समय-सीमा भी तय की—

  • करदाता को 09.03.2021 तक अतिरिक्त ₹3,00,000 जमा करना होगा।
  • उसी दिन सुबह 10:30 बजे करदाता को असेसिंग अथॉरिटी के सामने उपस्थित होना होगा।
  • दोनों पक्षों को सभी जरूरी कागजात रखने का मौका मिलेगा।
  • अंतिम आदेश 03.05.2021 तक पारित करना अनिवार्य होगा।
  • ज़रूरत पड़ने पर सुनवाई डिजिटल माध्यम से भी हो सकती है।

निर्णय का महत्व और इसका प्रभाव आम जनता या सरकार पर

  1. प्राकृतिक न्याय का पालन: जीएसटी में एक्स-पार्टी असेसमेंट करते समय भी विभाग को करदाता को सुनवाई का उचित अवसर देना होगा। बिना सुनवाई और बिना कारण बताए आदेश पास करना असंवैधानिक है।
  2. कोविड-19 अवधि में समय-सीमा का विस्तार: अपीलीय प्राधिकरण अब अपील को “समय से बाहर” कहकर खारिज नहीं कर सकते, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्रभावी है। यह देशभर के करदाताओं के लिए राहत है।
  3. सरकार और करदाता दोनों के हितों का संतुलन: कोर्ट ने एक तरफ करदाता को न्याय दिलाया, दूसरी ओर सरकार के राजस्व हित को ध्यान में रखते हुए अंतरिम रूप से राशि जमा करने की शर्त रखी।
  4. समयबद्ध निर्णय: कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि मामला लटकाया न जाए और स्पष्ट तारीखें तय कर दीं। इससे दोनों पक्षों को निश्चितता और राहत मिलेगी।
  5. डिजिटल सुनवाई का समर्थन: महामारी जैसी परिस्थितियों में ऑनलाइन सुनवाई का विकल्प देकर कोर्ट ने आधुनिक और लचीला दृष्टिकोण अपनाया।

कानूनी मुद्दे और निर्णय

  • क्या अपील समय-सीमा से बाहर थी?
    नहीं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण समय-सीमा स्वतः बढ़ गई थी।
  • क्या एक्स-पार्टी असेसमेंट सही था?
    नहीं। आदेश बिना सुनवाई और कारण बताए पारित किया गया था, इसलिए इसे रद्द कर दिया गया।
  • अंतरिम व्यवस्था क्या होगी?
    → करदाता को ₹3,00,000 अतिरिक्त जमा करना होगा। बाद में यदि यह ज्यादा पाया गया तो सरकार तुरंत वापस करेगी।
  • क्या सुनवाई के लिए समय-सीमा तय की गई?
    → हाँ। 09.03.2021 को उपस्थित होना और 03.05.2021 तक अंतिम आदेश देना अनिवार्य किया गया।

न्यायालय द्वारा उपयोग में लाए गए निर्णय

  • सुप्रीम कोर्ट: Suo Motu Writ (Civil) No. 3 of 2020 — Re: Cognizance for Extension of Limitation

मामले का शीर्षक

करदाता बनाम बिहार राज्य एवं अन्य (पटना हाई कोर्ट)

केस नंबर

Civil Writ Jurisdiction Case No. 2097 of 2021

उद्धरण (Citation)

2021(2) PLJR 135

न्यायमूर्ति गण का नाम

माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री संजय करोल एवं माननीय न्यायमूर्ति श्री एस. कुमार

वकीलों के नाम और किनकी ओर से पेश हुए

  • करदाता की ओर से: श्री गौतम कुमार केजरीवाल, अधिवक्ता
  • राज्य की ओर से: श्री ललित किशोर (एडवोकेट जनरल), श्री विकास कुमार, अधिवक्ता

निर्णय का लिंक

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Aditya Kumar

Aditya Kumar is a dedicated and detail-oriented legal intern with a strong academic foundation in law and a growing interest in legal research and writing. He is currently pursuing his legal education with a focus on litigation, policy, and public law. Aditya has interned with reputed law offices and assisted in drafting legal documents, conducting research, and understanding court procedures, particularly in the High Court of Patna. Known for his clarity of thought and commitment to learning, Aditya contributes to Samvida Law Associates by simplifying complex legal topics for public understanding through well-researched blog posts.

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